Madhya Pradesh Assembly Election 2023:एमपी में गुजरात मॉडल,खतरे में BJP के 45 से 60 विधायकों के टिकट

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 Gujarat model BJP will cut 45 MLA tickets

गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की नजर उन राज्यों पर है जहां 2023 में चुनाव होना हैं। इनमे में मप्र भी शामिल है। ऐसे में बीजेपी के केन्द्रीय संगठन की नजर मध्य प्रदेश पर टिक गई है। यहां सत्ता बचाए रखने के साथ बड़े अंतर से जीत को लेकर कवायद तेज कर दी गई है। मप्र में सत्ता विरोधी लहर को लेक बीजेपी संगठन किसी प्रकार का रिस्क लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में गुजरात मॉडल मप्र में भी चुनावी तैयारी की जा रही है। गुजरात की तर्ज पर मप्र में भी बीजेपी करीब 45 से 60 मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है।

गुजरात में मिली सफलता के बाद बीजेपी के कई मौजूदा विधायकों को अपना टिकट कटने की चिंता सताने लगी है। खासकर उन विधायकों को जिनका प्रदर्शन औसत से कमजोर रहा। बीजेपी अपनी सक्सेस स्टोरी दोहराने के लिए गुजरात मॉडल उन राज्यों में लागू कर सकती है, जहां 2023 में विधानसभा चुनाव होना हैं।

गुजरात में एक साल पहले सीएम का चेहरा बदला। फिर मंत्रियों के कामकाज में भी फेरबदल किए। इतना ही नहीं 30 से अधिक मौजूदा विधायकों के टिकट काटे। उनकी जगह युवाओं को मैदान में उतारा। इसका असर यह हुआ कि 182 विधायकों वाली विधानसभा में पार्टी ने 156 सीटों पर जीत हासिल की।

मध्यप्रदेश में हो चुका है सर्वे

मध्यप्रदेश में बीजेपी ने अपने विधायकों का प्रदर्शन जांचने के लिए तीन स्तर पर सर्वे कराया है। पहले सर्वे में जिन विधायकों का प्रदर्शन खराब निकला था। उन्हें समझाइश दी गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं नवंबर माह में विधायक दल की बैठक बुलाकर साफ तौर पर सर्वे का जिक्र भी किया था। शिवराज ने कहा था कि अभी चुनाव से पहले दो और सर्वे होंगे। आचरण और व्यवहार सुधारना होगा। तभी 2023 के विधानसभा चुनावों में विधायकों के टिकट पर फैसला होगा। दरअसल पार्टी नेतृत्व भी मान रहा है कि बीजेपी के लिए मिशन 2023 आसान नहीं है। मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस की सीटों में काफी कम अंतर है। तमाम दल-बदल के बाद भी सदन में भाजपा के पास 127 और कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं।

सर्वे के आधार पर कटेंगे टिकट

बीजेपी ने इन सर्वे के आधार पर ही टिकट काटने का फैसला किया है। गुजरात मॉडल से यह सुनिश्चित हो गया है कि यह फॉर्मूला आने वाले चुनावों में भी आजमाया जाएगा। बता दें बीजेपी हर चुनाव से पहले सर्वे कराती है और यह किसी से छिपा नहीं है। इसके नतीजे टिकट काटने का आधार भी बनते हैं। कमजोर परफॉर्मंस वाले विधायकों और मंत्रियों के भी टिकट पिछली बार कटे थे। अब गुजरात में जबरदस्त सफलता मिली है तो निश्चित तौर पर बीजेपी मध्यप्रदेश में जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ ही युवाओं पर दांव खेलेगी।

कई विधायकों की मिली निगेटिव रिपोर्ट

सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में भी बीजेपी विधायकों का सर्वे करा चुकी है और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ऐसे विधायकों को चेता भी चुके हैं जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। ऐसे लोगों के टिकट भी काटने में पार्टी परहेज नहीं करेंगी। बीजेपी वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से सबक ले चुकी है और वर्ष 2023 में आने वाले चुनाव में एंटी इनकंबेंसी वाले विधायकों को मौका देकर किसी भी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। पार्टी ने लगभग 50 ऐसे विधायकों के नाम तय कर लिए हैं जिन पर गंभीरता से विचार हो रहा है।

खतरे में तीसरी श्रेणी के विधायकों का टिकट

पार्टी सूत्रों की मानें तो विधायकों की तीन श्रेणियां बनाई हैं। एक वह जो चुनाव जीतेंगे ही। दूसरे वे जिन पर थोड़ी मेहनत कर जीत हासिल की जा सकती है। तीसरे वे विधायक जो कितना भी जोर लगा लें पार्टी उन्हें जीता नहीं सकती। इस तीसरी श्रेणी के विधायकों का टिकट कटना तय है। इसके साथ ही कई उम्रदराज विधायकों को भी बीजेपी इस बार घर बैठा सकती है।

इस बार मैदान में नजर आएंगे चौंकाने वाले उम्मीदवार

बीजेपी नेतृत्व ने पिछले समय में कई प्रत्याशियों के नामों से चौंकाया है। राजनीतिक पंडितों और जानकारों के साथ-साथ दावेदारों को दरकिनार करते हुए इंदौर में महापौर पद के लिए पुष्यमित्र भार्गव का चुनाव किया गया। भार्गव इससे पहले कभी चुनाव नहीं लड़े थे। इससे पहले बीजेपी ने जबलपुर से सुमित्रा वाल्मीकि को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर चौंकाया था। ऐसे में विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी कई ऐसे चेहरों को मैदान में उतार सकती है,जो चौंकाने वाले होंगे।

चुनौतियों पर संगठन की नजर

2018 के विस चुनाव में भी वोट शेयर पर गौर करें तो बीजेपी को 41.6 प्रतिशत और कांग्रेस को 41.5 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि 2020 में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा था।  लेकिन मध्य प्रदेश में सियासी नब्ज टटोलते हुए बीजेपी आलाकमान की नजर सत्ता विरोधी रुझान के साथ पार्टी के सामने कई अन्य चुनौतियां पर भी है। ऐसे में नेतृत्व पहले राज्य स्तर के नेताओं से उनकी कार्ययोजना जानना चाहता है कि आखिर वे किस रणनीति के तहत सरकार में बने रहने का दावा कर रहे हैं।

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