ओडिशा का चुनावी रण, जनता किसके संग? इस तरह समझिए पूरा सियासी समीकरण…!

Lok Sabha Elections Odisha Assembly Elections CM Naveen Patnaik PM Narendra Modi

भारत में एक राज्य ऐसा है जो बड़ा ही शांत रहता है। जहां के मुख्यमंत्री शांत रहकर अपनी सरकार चलाते रहे हैं। और बरसों से हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं। हम बात कर रहे हैं ना काहू से दोस्ती ना को से बैर इस एटीट्यूड में चलने वाले ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की। पिछले 24 साल से लगातार वे ओडिसा के मुख्यमंत्री हैं। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच संबंध बेहद गहरे हैं। बहुत अच्छे संबंध है। यह इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को बीजेपी शासित न बल्कि बीजेडी शासित ओडिशा राज्य से ही नवीन पटनायक ने अपने कोटे से राज्यसभा भेजा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नवीन पटनायक और नरेंद्र मोदी के बीच किस तरह की केमिस्ट्री है।
संबंध दोनों के बहुत अच्छे हैं लेकिन चुनाव दोनों ही पार्टियां लड़ रहीं हैं।

देश में इस समय लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी अपने उफान पर है। आम चुनाव के साथ ही ओडिशा में राज्य विधानसभा के चुनाव भी होना है। पिछली बार 2019 में भी लोकसभा के साथ ही ओडिशा में 11 से 29 अप्रैल के बीच चार चरणों में विधानसभा चुनाव कराये गये थे। मौजूदा ओडिशा विधानसभा का कार्यकाल भी जून 2024 में खत्म होने वाला है। ओडिशा विधानसभा में कुल 147 सीट है। यहां की सत्ता हासिल करने के लिए 74 सीट जिसे मिल जाती है बहुमत का आँकड़ा उसके पास होता है। वहीं ओडिशा राज्य में लोकसभा की 21 सीट हैं। ओडिशा में लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव भी किए जा रहे हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टी बीजद और बीजेपी की यहां परीक्षा की घड़ी सामने आ गई है। दरअसल राज्य में पिछले 23 साल से नवीन पटनायक मुख्यमंत्री हैं और कांग्रेस का कोई नाम लेवा इस राज्य में नहीं है। बावजूद इसके वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस और राहुल गांधी को निशाने पर ले रहे हैं। उन पर ज्यादा हमले बोल रहे हैं। दूसरा ओडिशा के होते हुए भी बाहर हुई शिक्षादीक्षा के चलते स्वयं नवीन पटनायक बिना टेलीप्रॉन्पटर उड़िया नहीं बोल पाते। फिर भी वे राज्य में सर्व स्वीकार हैं। वहां उड़िया अस्मिता को मुख्य मुद्दा बनाकर प्रधानमंत्री मोदी क्या हासिल करने की कोशिश में हैं। दरअसल इन दोनों ही सवालों का उत्तर यह है कि ओडिशा में 147 विधानसभा सीटों पर चुनाव में बीजेपी ने बीजू जनता दल को एक तरह से दे दिया है। यहां भाजपा ने अपने कमजोर प्रत्याशी उतारे हैं तो बीजद ने भी हिसाब चुकता करने के लिए लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रत्याशी खड़े कर बीजेपी को 21 लोकसभा सीटों में से पिछली 8 सीटों की जगह 14 से 16 सीट लाने की एक तरह से छूट प्रदान कर दी है। यानी दिन दिन सिचुएशन।

पर्दे के पीछे किसी के गठबंधन नहीं चलते -बीजू जनता दल प्रवक्ता

बीजू जनता दल के प्रवक्ता डॉक्टर प्रियारता मांझी की माने तो पर्दे के पीछे किसी गठबंधन के चलते नहीं बल्कि गांव कस्बे में जमीनी तैयारी लिखकर चलते हैं। भाजपा अपनी जीत को लेकर विश्वस्त हैं। बीजू जनता दल के मुख्यालय शंकर भवन में पिछले साल 32 हजार कार्यकर्ता शामिल किए गए थे। हर बूथ पर करीब 12 से 14 कार्यकर्ता मौजूद हैं। हर कार्यकर्ता 60 मतदाताओं से लगातार संपर्क में है। बीजेपी के पास पन्ना प्रमुख का विचार है लेकिन उसे लागू करने के लिए लोग नहीं यह बीजेपी प्रवक्ता का कहना है संत भवन के बाद जब छोटे और परिसर भाजपा कार्यालय पर नजर डालें तो उड़ीसा का चुनाव प्रभारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव देने की बात को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि उड़ीशा में बीजेपी विधानसभा चुनाव में सरकार बनाएगी और यह भी कहा कि पिछली बार बीजेपी ने 32.5 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य का उदाहरण देते हुए कहा विधानसभा चुनाव में इस राज्य में बीजेपी की सरकार फिर से बनेगी। यह किसी ने अनुमान नहीं लगाया था लेकिन हमने इसे साबित कर दिया। इसी तरह उड़ीसा में भी बीजेपी सरकार बनाने जा रही है।

विधानसभा में BJD लोकसभा में BJP !

दरअसल यह वोट प्रतिशत ही मतदाता के मन में क्या चल रहा है यह बताता है। ओडिशा में बीजू जनता दल केंद्र में भाजपा 2019 में विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल को करीब 44.7% और बीजेपी को करीब 32.5% वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो 6% मतदाताओं ने अपना वोट बदल लिया। 42.8 प्रतिशत तो बीजेपी बढ़कर 38.4% पर 2019 में पहुंची थी। विधानसभा में कई ऐसी सीट हैं जहां बीजेपी जीत सकती थी लेकिन वहां इस बार बीजेपी ने कमजोर प्रत्याशी खड़े कर दिए हैं। हालांकि बीजेपी बार-बार यह कह रही है कि ओडिशा को बदलाव चाहिए। यह बात कुछ हद तक सही भी है लेकिन बदलाव को लाने का प्रयास कितना किया जा रहा है। इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा में राज्य की अस्मिता की बात करने के स्थान पर सीधा हमला कांग्रेस पर बोल रहे हैं।

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