जानें कैसा था पांच लाख से डेढ़ सौ करोड़ बिलियन डॉलर के मालिक Gautam Adani का सफर

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गौतम अडाणी आज इस नाम ने पूरे देश की राजनीति में बवाल मचा रखा है। आज देश की अर्थव्यवस्था के बड़े सार्वजिनक सेक्टर की आर्थिक सांख दांव पर लगी है और उन सबकी वजह है गौतम अडाणी का अडाणी ग्रुप । जिस नाम पर आज देश के नेता युवा और बिजनेसमेन की नजरें टिकी है उसका यहां तक पंहुचने का सफर कैसा रहा। आइए बताते हैं आपको

अडाणी के पिता कपड़ा व्यवासायी थे।

गौतम अडाणी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था।

उनकी शिक्षा अहमदाबाद के ही सेठ चिमनदास नागिदास स्कूल में हुई।

गौतम अडाणी ने स्कूल शिक्षा के बाद कॉलेज में सेकेण्ड ईयर तक पढाई की

गौतम अडाणी की रूचि क्रिकेट में ज्यादा रहती थी। वो अकसर खाली वक्त में क्रिकेट खेला करते थे।

अडाणी सबसे पहले अपने पिता के साथ उनके टेक्सटाइल के बिजनेस में साथ देते थे। कहा जाता है उस दौरान वो अपने पिता के साथ साड़ियों को बेचने के लिए घर घऱ जाया करते थे।

सात भाई बहन हैं अडाणी

आडणी सात भाई बहन थे। अडाणी के भाईयों में मनसुख अडाणी, बंसत एस अडाणी,राजेश शांतिलाल अडाणी औऱ विनोद अडाणी है।

कुछ दिन पिता के साथ काम करने के बाद अडाणी ने मुंबई का रूख किया।

अडाणी की पत्नी हैं दांतों की डाक्टर

गौतम अडाणी की पत्नी का नाम प्रीति अडाणी है । वो डेंटिस्ट है। फिलहाल वो अडाणी ग्रुप के वेलफेयर कामों को देखती हैं। वह अडाणी फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। अडाणी के दो बेटे जीत औऱ करण अडाणी हैं।

करण की शादी हो चुकी है और उनकी पत्नीं परिधि एक अच्छी वकील हैं। दोनों की एक बेटी है जिसका नाम अनुराधा अडाणी है। वहीं छोटे बेटे जीत हैं जो अपने पिता और भाई के बिजनेस का काम सम्हालते हैं।

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बड़े काम के लिए मुंबई आए

अडाणी ने बड़ा काम करने के उद्देश्य से मुंबई आ गए। सबसे पहले उनहोंने महिन्द्रा बर्दस की कंपनी में डायमंड शार्टर के तौर पर काम किया है। इसके बाद अडाणी ने खुद की डायमंड ब्रोकरेज फर्म शुरू की।

गुजरात में पाइप फैक्ट्री शुरू की

मुंबई में अडाणी हीरा ब्रोकरेज फर्म के काम में जुटे थे इस बीच बड़े भाई मनसुख ने अडाणी नो पाइप फैक्ट्री के काम की देखरेख के लिए बुला लिया। अडाणी वापस गुजरात आए और भाई के साथ प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करना शुरू किया।

इस फैक्ट्री के स्थापित करने के बाद अडाणी ने अडाणी एक्सपोर्ट और इमपोर्ट की कंपनी स्थापित की।

ये कंपनी आगे चलकर अडाणी इंटरप्राइजेस लिमिटेड हो गई। ये कंपनी खेती बिजली और दूसरे सामानों का व्यापार करने लगी।

1991 में मिली अडाणी को सफलता

1991 में देश की अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव हुए। देश की अर्थवय्वस्था में उदारीकरण आया और अडाणी का व्यापार ज्लदी ही अलग अलग क्षेत्रों में फैलने लगा। देखते देखते अडामी मल्टीनेशनल कंपनियों के मालिक बन गए औऱ अडानी ग्रुप एक बड़े बिजनेस ग्रुप के तौर पर उभरा।

अडाणी ग्रुप की मुख्य कंपनियां

1991 के बाद से धीरे धीरे अडाणी ग्रुप बड़ा होने लगा। गौतम अडाणी एक के बाद एक अलग अळग क्षेत्रों में कंपनियो की शुरूआत करने लगे। 1993 में मुद्रा पोर्ट चलाने का काम प्राइवेट कंपनियो तो दिया। 1995 में ये काम अडाणी ग्रुप को मिला।

इसके बाद अडाणी पॉवर, पाइंट पोर्ट आस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में माइंस पोर्ट शुरू किया। 2020 में भारत सरकार की सोलर एनर्जी की सबसे बड़ी बोली अडाणी ग्रुप को मिली। तब से लेकर अब तक अडाणी तरक्की कर रहे हैं।

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अडाणी की नेटवर्थ

व्यापार तरक्की करता रहा औऱ अडाणी देखते देखते पहले भारतीय रहे जो दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर जा पहुंचे। अडाणी ग्रुप की नेटवर्थ इतनी तेजी से बढ़ रही थी कि इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी वो दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी अलन मस्क को पीछे छोड़कर अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर होंगे। सितम्बर 2022 तक अडाणी की नेटवर्थ 154.6 बिलियन डॉलर थी।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने दिया झटका

अडाणी को जनवरी अंत में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से तगड़ा झटका लगा। हिंडलबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अडाणी ग्रुप पर काफी कर्ज है और ग्रुप ने शेयरों को हेरफेर किए हैं। 32 हजार शब्दों की इस रिपोर्ट के अंत में 88 सवालों को लिया गया है। वहीं अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग को भी 403 पन्नों में जवाब दिया है और सभी आऱोपों को गलत ठहराया है।  इस रिपोर्ट के बाद अडाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई और पूरे देश में बावल मच गया। अडाणी विश्व के अमीरों की लिस्ट से भी बाहर हो गए।लेकिन अडाणी ने जिन संघर्षों से गुजरकर तरक्की पाई है उनके चाहने वालों को उम्मीद है कि वो जल्दी ही इन आरोपों से उबर जाऐंगे।

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