राजस्थान में खत्म नहीं हो रही गहलोत-पायलट में सियासी ‘रार’

Rajasthan Congress Ashok Gehlot

चुनावी साल में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व ​डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच तल्खी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। दोनों के बीच एक बार फिर कोल्ड वॉर तेज हो गई है। सचिन पायलट बीजेपी शासन में हुए घपले घोटालों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर अपने रुख पर अड़े हैं। कांग्रेस सूत्र बताते हें कि आलाकमान से जुड़े नेताओं के सामने पायलट ने सीएम अशोक गहलोत पर बीजेपी शासन काल के दौरान के भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर फिर सवाल किया है। दरअसल पायलट अब खुलकर पार्टी से भिड़ रहे हैं। उन्होंने पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कथित घोटालों पर मौजूदा अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा और की निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए एक दिन का उपवास भी रखा था। अब एक बार फिर पायलट ने कहा है कि उन्होंने वसुंधरा राजे की सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाकर कुछ भी गलत नहीं किया है।

2013 से 2018 के बीच हुए जमकर घोटाले

पायलट ने कहा 2013 से 2018 के बीच वसुंधरा सरकार में जो भ्रष्टाचार हुआ उसे लेकर हम जनता के बीच गए थे। उन्होंने कभी कांग्रेस और भाजपा के बीच मिलीभगत की बात नहीं की। फिर यह नींबू और दूध की बात क्यों हैं। उन्होंने बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार का विरोध किया था। यह कांग्रेस के खिलाफ कैसे हो सकता है। सचिन पायलट का कहना है कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा गंभीर और समझदार व्यक्ति हैं। प्रभारी रंधावा बाकी सभी रिपोर्ट दे रहे हैं तो वे यह भी बताएं कि मंत्रियों और विधायकों पर कई आरोप हैं। जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। सरकार को इसे खड़गे साहब और एआईसीसी नेताओं को बताना चाहिए जिससे ऐसा हो सके।

राहुल गांधी भी उठा चुके हैं भ्रष्टाचार का मुद्दा

सचिन का कहना है कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी के शासन में हो रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है। हम सभी बीजेपी के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हैं। उन्होंने कोई गलत नहीं किया। राजस्थान की भाजपा सरकार के समय अलग-अलग तरह के माफिया पनपे हैं। उन्होंने इसे लेकर अनशन किया था। अनशन किये दो हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई होते नजर नहीं आ रही है।

लंबे समय से पदविहीन हैं पायलट

राज्य की पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार की जांच चाहते हैं। वहीं सियासी जानकार कहते हैं सचिन पायलट की नाराजगी के अलग-अलग सियासी अर्थ निकाले जा रहे हैं। चर्चा है कि सचिन पायलट को लम्बे समय से कांग्रेस ने कोई पद नहीं दिया। सरकार में और राज्य इकाई में उन्होंने कोई पद नहीं मिला। इससे पायलट नाराज हैं। हालांकि सचिन पायलट ने अपनी तरफ इस तरह की कोई मांग नहीं रखी, लेकिन पायलट चाहते हैं कि पार्टी आलाकमान भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जो मांगें हैं उन पर विचार करें। पायलट पार्टी संगठन में भी बराबर की हिस्सेदारी चाहते हैं। सियासी जानकार कहते हैं कि इससे पहले जब सचिन पालयट ने तेवर तल्ख किए हैं, कांग्रेस आलाकमान उनकी मांगों के आगे झुकता रहा है। सत्ता और संगठन में पायलट समर्थकों को बड़े पद दिये गये। अब पायलट चाहते हैं कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में उनके समर्थकों को महत्व दिया जाए। सियासी जानकार कहते हैं विवाद से पायलट को हमेशा फायदा ही मिलता रहा है।

पायलट चाहते हैं समर्थकों को मिले आहदा

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों पर बहुत ज्यादा भरोसा हैं। क्योंकि पायलट के पास एक तो विधायकों की संख्या अधिक नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में पायलट पार्टी आलकमान से मोलभाव चाहते हैं। पायलट चाहते है कि उनके समर्थकों को संगठन में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी दी जाए। जानकारों का कहना है कि पायलट इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। यही वजह है कि एक सप्ताह के भीतर ही दूसरी बार पायलट ने सीएम अशोक गहलोत को निशाने पर ले लिया। हालांकि, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पायलट की हरकतों को पार्टी विरोधी गतिविधियां बता चुके हैं। लेकिन सचिन पायलट के तेवरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे झुकने के लिए तैयार नहीं हैं।

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