भाजपा को मिला दूसरे दल के बागियों का बल,यूपी में इन दलबदलुओं के भरोसे भाजपा !

Lok Sabha Elections 2024

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही राजनीति पार्टियां लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुट गईं हैं। सभी राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव—2024 के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। विपक्षी दलों ने एनडीए को चुनौती देने के लिए जहां I.N.D.I. A के बैनर तले एकत्र होकर बैठकों के जरिए मंथन तेज कर दिया तो वहीं एनडीए का नेतृत्व करने वाली बीजेपी भी लगातार अपने सहयोगी दलों के साथ बैठक कर रही है। बीजेपी इसके साथ ही ये सुनिश्चित भी कर रही है कि 2024 में तीसरी बार केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्वाचित कराया जा सके। ऐसे में सभी दलों की नजर लोकसभा की 80 सीटों वाले उत्तरप्रदेश पर है।।

यूपी से मौजूदा दौर में ऐसे कई सांसद हैं, जो 2014 में मोदी लहर या उसके बाद में दूसरे दलों को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। बीजेपी ने विश्वास जताते हुए 2019 में उन्हें पार्टी का टिकट दिया और वे कमल के चुनाव चिन्ह् से सांसद बने। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कई ऐसे नेता हैं जो दल बदल कर बीजेपी के बैनर तले चुनाव लड़ना चाहते हैं। जिसके लिए अभी से प्रयास शुरू हो गया हैं। हाल ही में सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दारासिंह चौहान को बीजेपी ने यूपी की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के मैदान में उतारा था। हालांकि दारासिंह चुनाव मैदान जीतने में नाकामयाब रहे। इससे पहले 2014 और 2019 में देखा गया हैं जब अलग दल के नेता बीजेपी में शामिल हुए तो उन्हें पार्टी ने सांसद का टिकट दिया। कुछ ऐसी ही तस्वीर 2024 में भी नजर आने की उम्मीद दिखाई दे रही है, क्योंकि ऐसे कई नेता हैं जो 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी से जुड़े हैं।

कांग्रेस के एक दिन के CM  रह चुके हैं जगदंबिका पाल

कभी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार जगदंबिका पाल आज बीजेपी के सांसद हैं। 1998 में उत्तरप्रदेश के एक दिन के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार में मंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। साल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए जगदंबिका पाल लोकसभा भी पहुंचे लेकिन मार्च 2014 में उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर 2014 और इसके बाद 2019 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़कर सांसद चुने गए हैं।

पूर्व CM की बेटी रीता बहुगुणा अब बीजेपी सांसद

कांग्रेस से सियासत का सफर शुरु करने वाली रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद से बीजेपी की सांसद हैं।
बता दें यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा जोशी 1995 में कांग्रेस के टिकट से इलाहाबाद की महापौर चुनी गईं थीं। साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें लखनऊ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद 2016 में रीता बहुगुणा का कांग्रेस से मोह भंग हो गया और वे बीजेपी में शामिल हो गईं।साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें लखनऊ कैंट सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ाया और वे जीतकर न सिर्फ विधायक बनीं बल्की योगी सरकारी में उन्हें मंत्री पद भी दिया गया। इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर पहली बार इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बनीं।

एसपी सिंह बघेल : सपा से सियासत शुरु अब उठाया बीजेपी का झंडा

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल जिन्होंने 1998 में समाजवादी पार्टी से राजनीति की शुरुआत की थी। 1998 में सपा ने बघेल को जलेसर से लोकसभा का चुनाव मैदान में उतारा था और जीते भी थे। इसके बाद सपा से दूरी बनी तो बसपा का दामन थामा। 2009 में बसपा ज्वाइन करने के बाद बीएसपी ने बघेल को 2010 में राज्यसभा सांसद बनाया, लेकिन एसपी सिंह बघेल को बसपा भी रास नहीं आई और बसपा के राज्यसभा के कार्यकाल को अधर में छोड़ साल 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए। एसपीसिंह बघेल को बीजेपी ने 2014 के चुनाव में फिरोजाबाद सीट से मैदान में उतारा। बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन बधेल को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 2017 में यूपी की टूंडला विधानसभा सीट से बीजेपी ने मैदान में उतारा, चुनाव लड़े और जीते। 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यूपी की योगी सरकार में एसपीसिंह बघेल को मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आगरा से टिकट दिया। जिसमें बघेल ने जीत हासिल की और सांसद बनने के साथ ही साल 2021 में उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई।

भोजपुरी अभिनेता को भी रास नहीं आई थी कांग्रेस

भोजपुरी और बॉलीवुड अभिनेता रवि किशन इस समय गोरखपुर से बीजेपी के सांसद हैं। रविकिशन ने साल 2014 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद उनका हृदय परिवर्तन हो गया और वे साल 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने रविकिशन को गोरखपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की। इस तरह कांग्रेस से राजनी​ति का क ख ग सिखने वाले रविकिशन वह पहली बार बीजेपी के टिकट पर सांसद बने।

उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज

उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने साल 1990 में बीजेपी से ही राजनीति की शुरुआत की थी। साल 1991 में मथुरा और इसके बाद 1996 व 1998 में फर्रुखाबाद से सांसद भी चुने गए। लेकिन 1999 में टिकट कटा तो नाराज होकर साक्षी महाराज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। साल 2000 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया लेकिन 2012 में वे फिर दोबारा से बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर वे उन्नाव से सांसद चुने गए।

बसपा से बीजेपी में आए बीपी सरोज

मछलीशहर से सांसद बीपी सरोज 2018 में बसपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। इससे पहले 2014 में लोकसभा चुनाव के बसपा के टिकट पर बीपी सरोज ने चुनाव लड़ा था लेकिन बीजेपी के रामचरित्र निषाद से उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2018 में सरोज ने बीजेपी का दामन थाम लिया। बाद बीजेपी ने 2019 के चुनाव में अपने सांसद का टिकट काट बीपी सरोज को मैदान में उतारा। इसके बाद रमेश चंद बिंद ने बसपा छोड़ थामा था बीजेपी का दामन रमेश चंद बिंद ने 1995 में बसपा के बैनर तले अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी। लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बिंद को 2019 में पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद 2019 में बिंद बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में आते ही उन्हें टिकट मिला और 2019 में भदोही लोकसभा सीट से चुनाव जीते। इससे पहले बिंद मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट से 3 बार विधायक भी चुने जा चुके हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बीजेपी के संग

संघमित्रा मौर्य भी उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने बसपा से अपनी राजनीति की शुरुआत की और बाद में बीजेपी में शामिल हो गईं। वैसे संघमित्रा मौर्य समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। साल 2014 में मैनपुरी से बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं थी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ वे 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुईं इसके बाद 2019 में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और वे पहली बार सांसद बनीं। अब उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो चुके हैं, लेकिन वे अब भी बीजेपी में ही हैं।

फूलपुर में अतीक ने केसरीदेवी पटेल को हराया था

गैंगस्टर अतीक से चुनावी हार के बाद बीजेपी में शामिल होने वाली केसरी देवी पटेल फिलहाल फूलपुर से सांसद हैं। वैसे 1995- 96 में उन्होंने बीजेपी से ही राजनीति की शुरुआत की थी लेकिन साल 2000 में बसपा के हाथी पर सवार हो गईं। वे 4 बार बीएसपी से जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। साल 2004 में बसपा के उम्मीदवार के तौर पर फूलपुर से अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव भी लड़ा लेकिन उन्हें सपा प्रत्याशी गैंगस्टर अतीक अहमद के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2014 में ही इलाहाबाद सीट से बसपा के टिकट पर फिरचुनाव लड़ा लेकिन उनकी हार हुई। इसके बाद 2017 में बीजेपी का दामन था लिया। तो बीजेपी ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट से चुनाव लड़ाया और उन्हें जीत मिली। वे पहली बार बीजेपी के टिकट से सांसद चुनी गईं।

फेहरिस्त में हैं और भी कई नाम

दूसरी पार्टी छोड़कर बीजेपी में राजनीतिक भविष्य तलाशने वालों में और भी कई नाम शामिल है। जैसे आंवला सीट से सांसद धर्मेंद्र कश्यप, शाहजहांपुर से सांसद अरुण कुमार सागर, सीतापुर से सांसद
राजेश वर्मा, मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, बांदा से सांसद आरके सिंह पटेल, गोंडा सांसद कीर्ति वर्धन सिंह, प्रवीण निषाद सांसद संतकबीरनगर, प्रदीप चौधरी सांसद कैराना, विजय कुमार दुबे सांसद कुशीनगर। राजकुमार चाहर सांसद फतेहपुर सीकरी। घनश्याम लोधी सांसद रामपुर, जयप्रकाश रावत सांसद हरदोई और बृजभूषण शरण सिंह जो कैसरगंज से सांसद हैं।

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