कर्नाटक विधानसभा चुनाव,येदियुरप्पा के बिना आसान नहीं बीजेपी के लिए चुनावी समर

Karnataka Assembly Elections

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का शंखनाद होने के साथ ही सियासी दलों में बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है। कांग्रेस जहां 166 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर चुकी है वहीं बीजेपी की भी सूची कभी भी जारी हो सकती है। बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन किया गया। नाम फाइनल हो गए हैं।

राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों के पेंच में उलझी कर्नाटक की राजनीति को देखते हुए भाजपा ने राज्य के पूर्व सीएम बी एस येदियुरप्पा को अपने अभियान का चेहरा बना लिया है। हालांकि येदियुरप्पा सीएम फेस नहीं बनाए गए है। वे राज्य के न केबल वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं बल्कि प्रभावी लिंगायत समुदाय के प्रतिष्ठित नेता भी माने जाते हैं। यही वजह है कि सवाल उठता है कि आखिर सत्ता के शिखर तक पहुंचने वाले येदियुरप्पा का क्या राजनीतिक सफर इस चुनाव के बाद समाप्त हो जाएगा।

येदियुरप्पा ने कुर्सी छोड़ी तो हार गई थी बीजेपी

बता दें बीएस येदियुरप्पा ने दक्षिण में भाजपा का रास्ता खोला। उन्होंने कर्नाटक में भाजपा को मजबूत पार्टी के रुप में भी स्थापित किया। येदियुरप्पा के मजबूत होने अंदाज़ा इस बात से भी लगा सकते हैं कि साल 2011 में बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद छोड़ा तो पार्टी को अगले ​विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद दक्षिण में बीजेपी को स्थापित करने वाले येदियुरप्पा फिर 2023 के चुनाव में बीजेपी के लिए कर्णधार की भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि कर्नाटक में भाजपा के चुनाव अभियान को बीएस येदियुरप्पा ही नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। जिससे सवाल उठता है कि राजनीति से दूर जाने वाले येदियुरप्पा भाजपा को वापसी के लिए पसींना बहा रहे हैं। भाजपा में येदियुरप्पा 1980 में शामिल हुए थे। इसके बाद 1983 में येदियुरप्पा शिकारपुरा से विधायक चुने गए। विधायक बनने के बाद बीएस येदियुरप्पा का सियासी सफर तेजी से चल निकला। साल 1994 के आते आते वे इतने सशक्त हो गए। उन्हें नेता प्रतिपक्ष की भूमिका सौंपी गई। साल 1999 के विधानसभा चुनाव में हालांकि हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में पार्टी ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया तो साल 2004 में जीत मिली ऐसे में वे एक बार फिर वो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे। साल 2006 में सियासी सितारे बदले, और येदियुरप्पा को डिप्टी सीएम बनाया गया। जब जेडीएस का गठबंधन टूटा तो साल 2007 में जेडीएस ने बीजेपी की ओर रुख किया और अपना समर्थन देकर बीएस युदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
हालांकि कुछ ही दिन बाद परिस्थित बदली तो बीएस येदियुरप्पा 2008 के विधानसभा चुनाव में फिर येदियुरप्पा दूसरी बार कर्नाटक के सीएम बने।

शिमोद से चुने गए थे 2014 में सांसद

साल 2014 में फिर से येदियुरप्पा ने भाजपा से हाथ मिलाया। अपनी पार्टी का भाजपा में विलय किया और शिमोगा से लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2016 में बीजेपी ने उन्हें पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इसके बाद 2018 के चुनाव में 104 सीटों के साथ बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सरकार भी बनाई लेकिन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी। कांग्रेस के समर्थन से कुमारस्वामी कर्नाटक के सीएम बने। लेकिन उनकी सरकार भी गिर गई। ऐसे में एक बार फिर बीजेपी की ओर से चौथी बार येदियुरप्पा सीएम बने। इसके बाद बीजेपी ने कर्नाटक का मुख्यमंत्री बदल कर येदियुरप्पा को आराम करने की सलाह दी, लेकिन 2023 का चुनाव बीजेपी बिना येदियुरप्पा के जीत नहीं सकती इसलिए फिर से उन्हें आगे किया गया है। दरअसल येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद के बाद बीजेपी नहीं चाहती थी कि लिंगायत समुदाय उनसे नाराज हों। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं। बीजेपी ने उनकी जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया। मुख्यमंत्री बनने से भाजपा को कुछ खास फायदा नहीं मिला।

Exit mobile version