भारत के इस मंदिर में भक्तों को दुखी देखकर रोते है भगवान, आंसू होते है मुसीबत का संकेत

 

भारत देश अपने मंदिरों के लिए प्रसिध्द है. यहां पर कई ऐसे मंदिर भी है, जिनके चमत्कारों को देंखकर हर कोई हैरान हो जाता है. खास बात तो यह है कि इन चमत्कारों का आज तक विज्ञान भी पता नहीं लगा पाया है. चलिए आज आपको एक ऐसे ही चमत्कारिक मंदिर के बारे में बताते है जहां भगवान अपने भक्तों को दुखी देखकर खुद रोते है. सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह सच्चाई है. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में यह मंदिर स्थित है जहां कोई मुसीबत आने से पहले ही भगवान रोकर संकेत दे देते हैं.

 

भगवान की आंखों से निकलते है आंसू
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में मौजूद बज्रेश्‍वरी देवी मंदिर अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है. इस मंदिर में भैरव बाबा की एक मूर्ति स्थापित है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब जब आस पास के क्षेत्रों में मुसीबत आती है तब तब मंदिर की मूर्ति की आंखों से आंसू बहने लगते है. इससे स्थानीय लोगों को आने वाली मुसीबत का पहले ही अंदाजा लग जाता है. कई वैज्ञानिक भी इस बात का पता लगाने की कोशिश कर चुके है कि आखिर मूर्ति से आंसू कैसे बहते है, लेकिन वे भी इस चमत्कार का आज तक पता नहीं लगा पाएं हैं.

 

5000 साल पुराना है मंदिर
बताया जाता है कि मंदिर में स्‍थापित भैरव बाबा की प्रतिमा करीब 5000 साल पुरानी है. पुजारी बताते है कि जब जब बाबा की आंखों से आंसू बहते है तो भक्त संकट से उबरने के लिए बाबा की विशेष पूजा अर्चना और भजन करवाते है. ऐसे करने से आना वाला संकट टल जाता है. बाबा की आंखों से आंसू बहने का रहस्य आज तक कोई भी पता नहीं कर पाया है.

 

कांगड़ा जयंती पर होती है विशेष पूजा
कांगड़ा क्षेत्र में हर साल कांगड़ा जयंती बनाई जाती है. कांगड़ा जयंती के दौरान भैरव बाबा का विशेष पूजन किया जाता है और मंदिर में हवन कराया जाता है. स्थानीय लोग बताते है कि साल 1976-77 में कांगड़ा बाजार में भीषण अग्निकांड हुआ था, जिसमें कई दुकाने जल गई थी और बहुत नुकसान भी हुआ था. खास बात थी कि ये घटना के होने से पहले ही बाबा की आंखो से आंसू बहने लगे थे. इसके बाद से हर साल कांगड़ा में नवंबर और दिसंबर के महीने में कांगड़ा जयंती बनाई जाती है.

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