प्राधिकरणों में सेट किये जाएंगे बीजेपी नेता, बजट सत्र के बाद बंटेगी रेवड़ी,निगम-मंडलों को किया होल्ड

Development authority bjp leader

मध्यप्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। अक्सर शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें लगती रही है। अब कहा जा रहा है कि शिवराज सरकार चुनावी साल में खाली पड़े प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियों को हरीझंडी देने वाली है। राज्य में कई ऐसे निगम मंडल और प्राधिकरण हैं जिनमें अब तक राजनैतिक नियुक्तियां नहीं हुई हैं। माना जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान जल्द ही इन प्राधिकरणों में नियुक्तियां कर सकते हैं। हालांकि कई प्राधिकरण बेहद अहम हैं, लेकिन इसके बाद भी राज्य सरकार अपने अब तक के कार्यकाल में नियुक्ति नहीं कर सकी है। लेकिन अब इनमें नियुक्तियों के लिए सत्ता और संगठन स्तर पर पिछले कई दिनों से मंथन का दौर जारी है। बता दें निगम मंडलों की नियुक्तियों को होल्ड करते हुए प्राधिकरणों में नेताओं को एडजस्ट करने की तैयारी की जा रही है। उम्मीद लगाई जा रही है विधानसभा के बजट सत्र के बाद प्राधिकरणों में नियुक्त होने वाले अध्यक्ष, उपाध्यक्षों और सदस्यों की सूची जारी हो सकती है।

खाली पड़े प्राधिकरणों में उज्जैन, देवास, जबलपुर, सिंगरौली, कटनी, अमरकंटक और रतलाम में विकास प्राधिकरण शामिल हैं। जबकि पचमढ़ी, ग्वालियर, खजुराहो, ओरछा, महेश्वर- मंडलेश्वर स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी में भी राजनीतिक नियुक्तियां होना हैं। पिछले दिनों भोपाल विकास प्राधिकरण कृष्णमोहन सोनी अध्यक्ष और सुनील पांडे, अनिल अग्रवाल लिली को उपाध्यक्ष बनाया गया था। वहीं इंदौर विकास प्राधिकरण में बीजेपी के पूर्व संगठन मंत्री जयपाल सिंह चावड़ा को अध्यक्ष बनाया गया है। साथ ही राकेश गोलू शुक्ला को उपाध्यक्ष बनाया गया है। माखन सिंह चौहान को मध्यप्रदेश मेला प्राधिकरण में अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

प्रदर्शन ठीक नहीं किया तो बढ़ेगी परेशानी

हालांकि बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं में प्राधिकरण में निुयुक्ति को लेकर कोई विशेष उत्साह नजर नहीं आ रहा है। दरअसल नियुक्ति से लेकर कामकाज समझने में ही दो से तीन माह का समय निकाल जाएगा। इसके कुछ दिन बाद मध्यप्रदेश में चुनावी आचार संहिता लागू जाएगी। ऐसे में वे अपने कामकाज का प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। यही वजह है कि कार्यकर्ता पार्टी की कसौटी पर खरा उतर पाएंगे या नहीं यह असमंजस बना हुआ है। ठीकठाक प्रदर्शन न कर पाने की स्थिति में क्षेत्र के लोगों में नाराजगी की संभावनाएं अधिक रहेगी। यही वजह है कि नेताओं और कार्यकर्ताओं में प्राधिकरणाों को लेकर कोई रुचि नजर नहीं आ रही है।

सिंधिया समर्थकों को लेकर बना संशय

इस बीच सत्ता और संगठन स्तर पर नियुक्तियों को लेकर सहमति बना ली गई है। बताया जाता है कि कटनी विकास प्राधिकरण, सिंगरौली, उज्जैन विकास प्राधिकरण,रतलाम और देवास विकास प्राधिकरण के साथ खजुराहो – विंध्य विकास प्राधिकरण में राजनीतिक नियुक्ति को लेकर सहमति बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। बजट सत्र के समाप्त होते ही इनकी नियुक्तियों के आदेश जारी हो सकते हैं। वहीं ग्वालियर विकास प्राधिकरण, महाकौशल विकास प्राधिकरण, ओरछा विकास प्राधिकरण, साडा-विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण और बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण शामिल हैं। जिनमें अभी नामों को लेकर पेंच फंसा है। दरअसल ग्वालियर चंबल को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद को महत्व दिया गया लेकिन फिर भी नामों को लेकर पूरी तरह से सहमति नहीं बन सकी है। क्योंकि ग्वालियर में सुधीर गुप्ता, रामेश्वर भदौरिया, वेदप्रकाश शर्मा के साथ ही सुमन शर्मा और महेंद्र यादव दावेदार हैं।

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