तुर्किये जिसे पहले तुर्की कहा जाता था वहां भूकंप के बाद तबाही बीच दूसरे दिन मंगलवार को एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस बार भूकंप के झटकों की तीव्रता 5.9 थी। जबकि तुर्की में इससे पहले सोमवार को भूकंप के तीन तेज झटके लगे थे। इनमें से पहला भूकंप सुबह करीब 4 बजे 7.8 तीव्रता का आया था। जिससे सबसे ज्यादा तबाही मची। इसके बाद 7.5 और 6 तीव्रता के भूकंप आए। बता दें तुर्की में पिछले 24 घंटे में 2900 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि तुर्की और सीरिया में अब तक 4360 लोगों की मौत हो चुकी है। भूकंप के बाद मची तबाही के चलते तुर्की में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री फहार्टिन कोका के अनुसार खराब मौसम के चलते सहायता टीमों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। कोका ने कहा, “मौसम की स्थिति और आपदा की भयावहता के कारण हमारी टीमों के लिए क्षेत्र में पहुंचना मुश्किल हो गया है।
भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के बाद कई देशों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। मुश्किल की इस घड़ी में भारत ने भी तुर्की की मदद की पेशकश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर भारत, तुर्की को फौरन मदद भेज रहा है। भारत ने NDRF की रेस्क्यू टीम, दवाइयां और मेडिकल टीम तुरंत तुर्की भेजी जा रही है। बुरे वक्त में भारत की इस मदद पर तुर्की ने शुक्रिया अदा किया है।
इसलिए आते हैं बार-बार भूकंप
तुर्की दुनिया के सबसे अधिक भूकंप संभावित देशों में से एक है। तुर्की में बार-बार भूकंप आने के पीछे की वजह यह है कि दरअसल तुर्की का लोकेशन इसे तीन अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों के ठीक ऊपर खड़ा करता है। तुर्की के उत्तर में यूरेशियन प्लेट स्थित है तो दक्षिण में अफ्रीकी प्लेट और इसके पूर्व में अरेबियन प्लेट स्थित है। यानी अरब प्लेट यूरेशियन प्लेट को धक्का देता है। जिससे तुर्की बड़े भूकंप आते हैं। उत्तरी Anatolian fault line तुर्की के उत्तर में स्थित है। पश्चिम से पूर्व की ओर जाती है जबकि पूर्वी Anatolian fault line देश के बाकी दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में स्थित है। बता दें पूर्वी Anatolian fault line के ऊपर ही सोमवार का भूकंप आया था। जिसने वहां तबाही मचा दी।
अब तक इतनी बार आया जानलेवा भूकंप
साल 1939 में 27 दिसंबर को तुर्की में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.2 दर्ज की गई थी। यह देश के इतिहास में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप है। इसके कारण 30,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
जबकि नवंबर 1976- इस भूकंप का केंद्र पूर्वी तुर्की के वान प्रांत में मुरादिये से 20 किमी उत्तर-पूर्व में कैलडीरन के पास था। भूकंप में मरने वालों की संख्या 4,000 और 5,000 के बीच थी जबकि भूकंप की तीव्रता 7.3 थी।
वहीं अगस्त 1999- तुर्की के पश्चिमी शहर इज़मित में आए 7.4 तीव्रता के भूकंप में 17 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।
अक्टूबर 2011- ईरानी बॉर्डर के करीब बसा वान का क्षेत्र दशकों से भूकंप से विशेष रूप से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां साल 2011 के अक्टूबर और नवंबर में दो भूकंप आए थे। जिससे 900 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
हर साल दुनिया में आते हैं 20 हजार भूकंप
हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं। हालांकि लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इन्फॉर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20 हजार भूकंप रिकॉर्ड करता है। इसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान ज्यादा होता है। भूकंप कुछ सेकेंड या कुछ मिनट तक रहता है। अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।