तीन सर्वे, तीनों के नतीजे अलग लेकिन सभी में बीजेपी की जीत दिख रही है, फिर टेंशन में क्यों है भाजपा?

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Lok Sabha Election: हाल ही में सी वोटर और इंडिया टुडे ने अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव में जनता का मिजाज समझने के लिए ‘मूड ऑफ द नेशन’ नाम से सर्वे किया था। इसमें लगभग डेढ़ लाख लोगों से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब एक साल का ही वक्त बचा रह गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए मिशन मोड में लग गई है।

दो सर्वे पहले हुए थे

सी वोटर अपना सर्वे हर छह महीने पर करता है। अगस्त 2022 में इसका एक सर्वे हुआ था। जारी किए गए नतीजे में बीजेपी को अकेले उसके अपने दम पर 283 सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया था। इसी सर्वे में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 307 सीट मिलती दिखाई गई थी। 2019 के मुकाबले देखें तो बीजेपी की 20 सीटें कम हुई थीं, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले 303 सीट हासिल हुई थी।

भाजपा फिर क्यों है परेशान

जनवरी 2023 में जारी हुए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि अगर आज चुनाव होते हैं तो एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनेगी। वैसे, इस सर्वे में एनडीए की कुल सीटें 300 के नीचे घटकर 298 पर आ गई हैं। बीजेपी को अकेले उसके दम पर 284 सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है। सी वोटर के ही छह महीने पहले के सर्वे से तुलना करें तो बीजेपी की एक सीट बढ़ी है।

हालांकि बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को नुकसान हुआ है और इसी वजह से मोदी-शाह युति की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। दोनों इस बात को जानते हैं कि दिल्ली का रास्ता यूपी-बिहार से होकर ही जाएगा और इसीलिए ये चिंतित हैं। यूपी में जहां अखिलेश सभी विपक्षियों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, तो बिहार में नीतीश-लालू गठबंधन से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल रही है। यही वजह है कि यूपी पर 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर बीजेपी चल रही है, तो बिहार में उसकी कोशिश है कि अधिक से अधिक असंतुष्टों को नीतीश के खिलाफ किया जा सके।

वैसे, तीनों सर्वे के नतीजों को देखें तो ये साफ नजर आता है कि सरकार बनाने की रेस में बीजेपी सबसे आगे है, भले ही उसकी सीटें कुछ कम हो गयी हैं। बहुमत भाजपानीत गठबंधन को ही मिल रहा है। हालांकि,  300 सीटों को पार करने की बात करें तो दो सर्वे बीजेपी को 300 के नीचे रख रहे हैं,जबकि एक सर्वे ही उन्हें इसके पार पहुंचाता दिखा रहा है। इन आंकड़ों की वजह से ही पीएम मोदी की टेंशन बढ़ी है, भले ही ये अभी सर्वे ही है और अभी चुनाव में एक साल का वक्त भी है।

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