किसके दवाब में दिया था राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला!

Retired Justice Sudhir Agarwal

रामनगरी अध्योध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का काम तीव्र गति से चल रहा है। मंदिर का निर्माण काम अभी तक करीब 50 फीसदी पूरा हो चुका है। गर्भ गृह की दीवार खड़ी हो चुकी हैं। दावा किया जा रहा है कि अक्टूबर 2023 तक पहले तल का निर्माण पूरा हो जाएगा। इस बीच साल 2010 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाने वाली इलाहाबाद हाई कोर्ट की पीठ का हिस्सा रहे सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने दावा किया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उन पर फैसला नहीं देने का बहुत दबाव था।

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता, तो संभव है आने वाले 200 साल तक इस मामले में कोई फैसला ही नहीं होता। बता दें कि न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल 23 अप्रैल 2020 को हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। हाईकोर्ट से रिटायर्ड होने के बाद न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने पहली बार इस संबंध में कोई बात सार्वजनिक तौर पर कही है। बता इें एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने मेरठ पहुंचे सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि फैसला सुनाने के बाद वे अपने आप को धन्य महसूस कर रहे थे। जबकि इस मामले में फैसला टालने का उन पर भारी दबाव था। उन्होंने कहा घर के अंदर भी दबाव था और घर के बाहर से भी उन पर दवाब था। सुधीर अग्रवाल ने कहा परिवार के सदस्य ही नहीं नाते रिश्तेदार भी उन्हें सुझाव दे रहे थे कि वे फैसला न दें, किसी तरह समय कटने का बस इंतजार करते रहें।

30 सितंबर 2010 को सुनाया था फैसला

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ने यह भी कहा है कि अगर 30 सितंबर 2010 को वे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर फैसला नहीं सुनाते तो हो सकता है इस मामले में आने वाले 200 साल तक भी कोई फैसला नहीं हो पाता। बता दें 30 सितंबर 2010 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2:1 के बहुमत के साथ यह फैसला सुनाया था। जिसके तहत अयोध्या में करीब 2.77 एकड़ जमीन को समान रूप से 3 हिस्सों में बांटा जाना था। जिसका एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को देने के साथ एक हिस्सा ‘राम लला’ यानी मंदिर निर्माण के लिए को दिया जाना था। फैसला सुनानी वाली पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के साथ न्यायमूर्ति एस यू खान और न्यायमूर्ति डी वी शर्मा भी शामिल थे।

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