बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पीके ने दी ये चेतावनी…नीतीश कुमार से की ये तीन मांगे….!
बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी जैसे जैसे बढ़ रही है, मुद्दे भी हवा में उछलने लगे हैं। इस बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार की नीतीश ससरकार से बड़ी मांग की है। जाति आधारित गणना पर श्वेत पत्र जारी करने सहित प्रशांत की तीन प्रमुख मांगें हैं। जो एक महीने के अंदर पूरी न की जाती हैं तो वे बिहार में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन शुरू करेंगे।
प्रशांत किशोर ने बिहार में जारी भूमि सर्वेक्षण को भी तत्काल रोकने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। बता दें कभी चुनावी रणनीतिकार रहे पीके ने दलित और महादलित समुदायों के सदस्यों को तीन डिसमिल जमीन मुहैया करने संबंधी वादे को लेकर भी नीतीश कुमार की सरकार से जवाब मांगा है।
बिहार सरकार से पीके की तीन मांगें
- मांग नहीं मानी तो अगले माह 11 मई से हस्ताक्षर अभियान
- जन सुराज का राज्य के 40 हजार राजस्व गांवों में हस्ताक्षर अभियान
- 11 जुलाई तक 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर का लक्ष्य
- हस्ताक्षर के साथ राज्य की नीतीश सरकार को सौंपेंगे एक ज्ञापन सौंपा
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए पीके ने कहा अगर बिहार की NDA सरकार उनकी तीन मांगें नहीं मानती है तो अगले माह 11 मई से जन सुराज राज्य के 40 हजार राजस्व गांवों में हस्ताक्षर अभियान शुरू करेगी। उन्होंने कहा 11 जुलाई 2025 को 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर के साथ राज्य की नीतीश सरकार को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा। अगर सरकार इसके बाद भी जन सुराज की मांगों को नजरअंदाज करती है तो उनकी पार्टी विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान राज्य विधानसभा का घेराव करेगी। बता दें यह विधानसभा सत्र इस साल 2025 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आखिरी सत्र होगा।
प्रशांत किशोर का कहना है जन सुराज की पहली मांग राज्य सरकार की ओर से कराई गई जाति आधारित गणना से जुड़ी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 नवंबर 2023 को राज्य विधानसभा में पेश की जाति आधारित गणना रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर राज्य के 6 हजार रुपये प्रति माह से कम आय वाले 94 लाख परिवारों को दो लाख रुपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता देने का वादा किया था। लेकिन किसी एक परिवार को भी यह सहायता राशि नहीं मिली है। पीके ने कहा वे राज्य की नीतीश कुमार सरकार से एक महीने के भीतर इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हैं। उन्होंने यह सवाल भी किया कि इस सर्वेक्षण के आधार पर सरकार ने राज्य में आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का वादा किया गया था, उस वादे का क्या हुआ।
दलित और महादलित समुदायों के लोगों को धोखा दिया-PK
पीके की माने तो उनकी दूसरी मांग दलित और महादलित परिवारों से जुड़े 50 लाख बेघर और भूमिहीन परिवारों को घर बनाने के लिए कम से कम तीन डिसमिल जमीन का प्लाट देने के सरकार के वादे से जुड़ी है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि बिहार में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार केवल 2 लाख परिवारों को भूमि का आवंटन किया गया और वह भी केवल कागजों तक सीमित है। जमीन का कब्जा एक को भी नहीं दिया गया है। नीतीश कुमार की सरकार ने इस मुद्दे पर राज्य के दलित और महादलित समुदायों के लोगों को धोखा दिया है। राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना देना चाहिए कि इन परिवारों को भूमि पर वास्तविक कब्जा कब तब मिलेगा।
भूमि सर्वेक्षण को स्थगित करना चाहिए-PK
प्रशांत किशोर ने अपनी तीसरी मांग को लेकर कहा कि राज्य में जारी भूमि सर्वेक्षण को स्थगित करना चाहिए। उनकी यह तीसरी मांग की है। प्रशांत ने आरोप आरोप है कि जन सुराज पार्टी बिहार की नीतीश कुमार सरकार से इस प्रक्रिया को तत्काल रोकने का आग्रह करती है। उन्होंने कहा भूमि सर्वेक्षण के नाम पर राज्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। अधिकारी लोगों से रिश्वत ऐंठ रहे हैं।
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने भी 80 प्रतिशत भूमि का सर्वेक्षण कर लिया है। राजस्व अभिलेखों का भी वहां डिजिटलीकरण कर दिया है, जबकि 2013 में यह प्रक्रिया प्रारंभ की गई इसके शुरू होने के बाद से बिहार में अब तक केवल 20 प्रतिशत ही सर्वेक्षण हो सका है। इस तरह धीमी प्रगति के चलते राज्य में भूमि संबंधी विवादों में वृद्धि हुई है। जिससे अपराध बढ़े हैं हत्या और हत्या के प्रयास के मामले भी इसमें शामिल हैं।