हिमाचल में आसान नहीं होगा सीएम सुक्खू के लिए ये चुनाव…फिर देना होगी अग्नि परीक्षा

Himachal Lok Sabha Elections June 1 Election on 4 seats By-elections on 6 assembly seats CM Sukhu

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सियासी दलों की सक्रियता बढ़ गई है। इस बार भी चुनाव सात चरण में होंगे चुनाव की सप्तपदी में आखिर चरण 1 जून को पूरा होगा। जिसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं। हिमाचल में 1 जून को लोकसभा की चार सीटों के साथ ही 6 विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव होना हैं।

लोकसभा की चार सीटों के साथ हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला, लाहौल स्पीति, बड़सर, सुजानपुर, गगरेट के साथ कुटलैहड़ विधानसभा सीट शामिल है। जहां पर उपचुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। लेकिन राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार के लिए यह चुनाव किसी कड़ी चुनौती से कम नहीं हैं। दरअसल कांग्रेस के आधा दर्जन बागी विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके बाद सुक्खू सरकार पर संकट गहराता गया था। ऐसे में कांग्रेस के साथ ही साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए भी लोकसभा चुनाव के साथ ही साथ विधानसभा की दर्जन सीटों पर होने वाले उप चुनाव जीतना दोहरी चुनौती से कम नहीं है।

बागी विधायक बने कांग्रेस की मुश्किल

हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में चार सीटों पर वोटिंग होगी। इसके साथ ही कांग्रेस के 6 विधायकों की अयोग्यता के चलते रिक्त हुई सीटों पर भी उपचुनाव के चलते वोटिंग होगी। ये वो सीट हैं जहां कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया था। इन विधायकों ने 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से धोखा करते हुए क्रॉस वोटिंग की थी। इस क्रॉस वोटिंग की वजह से बहुमत में होने के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इन बागी विधायकों ने हालांकि सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जिन पर आरोप है कि विधानसभा में कट मोशन के दौरान सदन में पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया गया है। जिसके आधार पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के इन सभी 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए बड़ा फैसला सुनाया था। अयोग्य ठहराए गए विधायकों में इंद्र दत्त लखनपाल, सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा और देवेंद्र कुमार भुट्टो के साथ राजिंदर राणा ने विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

मंत्री ने दिया था सीएम को बड़ा झटका,पार्टी ने संभाली बात

वहीं हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा भी सीएम के लिए बड़ा सिरदर्द रहा था। हालांकि पार्टी के केन्द्रीय नेताओं के हस्तक्षेप से फिलहाल हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से संकट टल तो गया लेकिन लोकसभा चुनाव और 6 विधानसभा सीट पर उपचुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस करना मुख्यमंत्री और कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मोदी लहर में हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीट और आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करना बेहद संघर्षपूर्ण होगा।

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