दीदी का विश्वविद्यालयों की चांसलर बनने का रास्ता साफ
कोलकाता- पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालयों के कुधाधिपति के रूप में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की छुट्टी हो जाएगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विश्वविद्यालयों की चांसलर बनने का रास्ता साफ हो गया है. सोमवार को विधानसभा में विश्विद्यालय कानून (संशोधन) बिल 2022 को पास कर दिया है. इस बिल के कानून बनने के बाद अब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल विश्वविद्यालयों के चांसलर नहीं होंगे. इस बिल के लागू होने के बाद अब राज्य के सभी यूनिवर्सिटी की चांसलर खुद सीएम ममता बनर्जी होंगी. अभी तक राज्य के विश्वविद्यालयों के चीफ राज्यपाल होते थे.
इस कदम के बाद अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच चल रहा विवाद और गहरा गया है. इससे पहले 6 जून को पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी.
कई बार बनी तनातनी
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच कोई नया विवाद नहीं है. बल्कि कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिती बनी हुई है. ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती है.जबकि इन आरोपों के जवाब में राज्यपाल का कहना है कि वो जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के अनुसार होता है. बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है. चुनाव बाद राज्य में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था.
फैसले का विरोध
इसे लेकर प्रख्यात शख्सियतों के इस समूह ने विरोध जताया है. उनका कहना है कि, राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले में कुलाधिपति के पद पर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद को नियुक्त करने की लंबे समय से जारी लोगों की मांग को अनदेखी की गई है. समूह ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘हम मुख्यमंत्री को राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति नियुक्त करने के हालिया फैसले से हैरान और स्तब्ध हैं. हम सभी शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अनिवार्यता के बारे में जानते हैं, और इस तरह का निर्णय इसके लिए बड़ा झटका साबित होगा, साथ ही यह फैसला लोकतंत्र की भावना के भी खिलाफ है.