दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: बीजेपी MP वाले इस फॉर्मूले से जीतेगी देश का दिल? प्रत्याशियों के नाम का जल्द होगा ऐलान

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साल 2025 साल की शुरुआत के साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमाने लगी है। खासकर भाजपा में गहमागहमी बढ़ती जा रही है। भाजपा की ओर से सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों को लेकर मंथन लगभग पूरा कर लिया गया है। अब केंद्रीय नेतृत्व के साथ अनौपचारिक बैठक के दौरान इन नामों पर विचार किया जाएगा। विचार मंथन के बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। बता दें दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले माह फरवरी की शुरुआत में होने की संभावना जताई जा रही है।

बीजेपी के प्रचार अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में मिली बड़ी जीत और झारखंड विधानसभा चुनाव के झटके के बाद बीजेपी नेतृत्व ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर अंदरूनी तौर पर भी काफी विचार-विमर्श किया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जहां वे सीधे जनता तक अपना जुड़ाव कायम करने में सफल रही है। वहां उसे चुनाव में जीत मिली है। वहीं जहां इस मामले में पार्टी कमजोर हुई, उसे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।

मैदान में उतारेंगे पार्टी के बड़े नेता

बीजेपी से जुड़े सूत्रों की माने तो पार्टी मध्य प्रदेश की तर्ज पर दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी अपने अधिकांश बड़े नेताओं को चुनाव के मैदान में उतार सकती है। जिनमें लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी से टिकट ने मिलने पूर्व सांसद, पूर्व विधायक भी शामिल हैं। वहीं पूर्व और मौजूदा पार्षदों की ओर से एक बड़ी दावेदारी की जा रही है, लेकिन इन पूर्व और मौजूदा पार्षदों की छवि को देखते हुए ही टिकट दिए जाने का फैसला किया जाएगा। इसके लिए पार्टी की ओर से कुछ एजेंसियों के जरिए भी संभावित उम्मीदवारों को लेकर फीडबैक लिया है।

टिकट उसे जिसका जनता से जुड़ाव

बीजेपी के एक प्रमुख नेता का कहना है कि जनता से जुड़ाव का केवल अर्थ महज यह नहीं है कि हम हर व्यक्ति से प्रत्यक्ष मिलें। बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि उस व्यक्ति को यह लगना भी चाहिए कि बीजेपी की सत्ता में ही उसकी बेहतरी होगी। अगर अन्य दल आएं तो उसके लिए दिक्कतें बढ़ेंगी। यह काम मानस परिवर्तन अर्थात तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर व्यक्ति की मानसिकता में बदलाव लाने का है। ऐसे में चुनावी मैदान में साफ-सुथरे, सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को साधते हुए ही इस बार उम्मीदवार उतारने से जीतने की संभावना बढ़ जाती है।

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