छत्तीसगढ़ के जंगलों पर भी अब मध्य प्रदेश के बाघों का राज होगा। उनकी दहाड़ यहां भी सुनाई देगी। दरअसल छत्तीसगढ़ में बाघों का कुनबा बढ़ाने की कोशिश की जा रही हैं। केन्द्र सरकार की ओर से बघुवा प्रोजेक्ट के तहत एमपी के दो बाघ और दो बाघिनों को छत्तीसगढ़ में बसाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड लगातार कोशिश में जुटा है। पिछले दिनों राज्य स्थापना दिवस के मौरे पर भी वन्यजीवों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
- छत्तीसगढ़ के जंगलों पर होगा एमपी के बाघों का राज!
- एमपी के बाघों की छत्तीसगढ़ में सुनाई देगी दहाड़
- छत्तीसगढ़ में बाघों का कुनबा बढ़ाने की कोशिश
- केन्द्र सरकार की ओर से बघुवा प्रोजेक्ट के तहत हो रहे प्रयास
- मध्यप्रदेश से लाए जाएंगे दो बाघ और दो बाघिन
- एमपी के दो बाघ और दो बाघिनों को छत्तीसगढ़ में बसाने की तैयारी
- छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड लगातार कोशिश में जुटा
बता दें छत्तीसगढ़ वन्यजीव संरक्षण और बाघों की संख्या में वृद्धि के लिए विशेषज्ञों की ओर से प्रोग्राम आयोजित किया गया। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में बाघों के लिए वातावरण बेहद अनुकूल है। ऐसे में टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करने वाले पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से बाघों को छत्तीसगढ़ लाने की कोशिशें की जा रही हैं। हालांकि बाघ कब एमपी से छत्तीसगढ़ पहुंचेंगे इसे लेकर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ सकी है।
छत्तीसगढ़ में बाघों की स्थिति
- अचानकमार टाइगर रिजर्व में 12 बाघ
- इंद्रवती टाइगर रिजर्व में दस बाघों का डेरा
- बारनवापारा अभयारण्य में एक बाघ
- भोरमदेव अभायारण्य में दो
- गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में सात बाघ
- बारनवापार अभयारण्य बाघों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान
छत्तीसगढ़ में हैं करीब 33 बाघ
वन विभाग के अनुसार छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में 12 बाघ हैं। जबकि इंद्रवती टाइगर रिजर्व में दस बाघों का डेरा है। इसी तरह बारनवापारा अभयारण्य में एक बाघ है। जबकि भोरमदेव अभायारण्य में दो और गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में सात बाघों की मौजूदगी का दावा किया जाता रहा है। बाघ विशेषज्ञों की माने तो छत्तीसगढ़ का बारनवापार अभयारण्य बाघों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। ऐसे में एमपी से दो नई बाघिनों को लाकर यहां छोड़ने की सिफारिश भी की गई है। अधिकारियों की माने तो दो बाघ और दो बाघिनों को छोड़ने से पहले यहां बारनवापार अभयारण्य का निरीक्षण भी किया जा चुका है।
एमपी के बाघों की आवाजाही
वन विभाग के अनुसार छत्तीगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में एमपी से बाघों की आवाजाही लगातार देखी गई है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि यदि इस क्षेत्र में बाघों के बसने के लिए बेस को मजबूत किया जाता है तो बाघ इस क्षेत्र से आकर्षित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त बाघों के संरक्षण के लिए पहले लोगों को भी जागरुक किये जाने की जरुरत है।
बाघ लाएंगे साथ में पर्यटक!
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य में स्थित टाइगर रिजर्व में यदि बाघों की संख्या बढ़ती है तो इससे राज्य में पर्यटन बढ़ेगा। मौजूदा दौर में कई बार ऐसा होता रहा है कि जब भी लोग टाइगर रिजर्व में बाघों की अटखेलियां देखने के लिए पहुंचते हैं तो कई बार उन्हें बाघ नजर ही नहीं आते। ऐसे में लोग निराश होकर लौट जाते हैं। यदि यहां बाघों का कुनबा बढ़ता है तो पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।
(प्रकाश कुमार पांडेय)