रलपिंडी। पाकिस्तान से एक हैरान करने वाली खबर आ रही है। हैरान करनेवाली इसलिए कि जो पाकिस्तान आतंक की नर्सरी है, वह अब आतंकियों को हलाक कर रहा है। दरअसल, हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सदस्य और कमांडर इम्तियाज आलम उर्फ बशीर अहमद पीर की पाकिस्तान में हत्या की गयी है।
- इम्तियाज आलम की रावलपिंडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई है
- उसे हमेशा से कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है
- 4 अक्टूबर 2022 को केंद्र ने उसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी (UAPA) के जरिए आतंकवादी घोषित किया था
- वह मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के बाबरपोरा इलाके का रहने वाला था, लेकिन फिलहाल पाकिस्तान के रावलपिंडी में रहता था
- केंद्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि पीर “हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और ऐसे कई आतंकी-जिहादी संगठनों की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कई ऑनलाइन प्रचार समूहों में शामिल था।”
आईएसआई का था सर पर हाथ
इम्तियाज आलम पर 23 मई, 2019 को कश्मीर में अल-कायदा की शाखा अंसार गजवत-उल-हिंद के मुख्य कमांडर जाकिर मूसा को मारने का आरोप भी है। उसने पाकिस्तान समर्थक हिजबुल मुजाहिदीन को 2017 में ही छोड़ दिया था। उसके बाद वह खिलाफत की स्थापना और शरिया कानूनों को लागू करने के मिशन में जुटा हुा था। मार्च 2007 में पाकिस्तानी सेना के सैन्य खुफिया निदेशालय ने इम्तियाज आलम को हिरासत में ले लिया था, लेकिन आईएसआई के आदेश पर उसे जल्द ही रिहा कर दिया गया।
भारत का दबदबा या पाकिस्तान की बदहाली
बता दें कि दो दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए आतंकी शोपियां के रहनेवाले थे। उनके नाम एम अब्बास वागे, गौहर अहमद मीर और निसार अहमद शेख हैं। अधिकारियों ने कहा कि तलाशी अभियान के दौरान, पुलिस ने 1 पिस्तौल, 2 पिस्तौल मैगजीन और 13 जिंदा पिस्टल राउंड बरामद किए।
भारत ने आतंकियों की ऐसी कमर तोड़ी है कि अब कश्मीर से सेना की वापसी तक पर विचार हो रहा है। वहीं, बदहाल और कंगाल पाकिस्तान समझ नहीं पा रहा है कि अपने ही भस्मासुरों से कैसे पार पाए? ऐसे माहौल में पाकिस्तान में आतंक पर क्रैक डाउन करना पाकिस्तान की मजबूरी भी है और समझदारी भी।