योगी सरकार का बजट, मिशन 80 पर रहेगा फोकस, क्या 25 करोड़ जनता की आकांक्षा पूरी करेंगे,योगी बुधवार को पेश किया जाएगा राज्य का 2023-24 का बजट

yogi government budget

उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बुधवार 22 फरवरी को 2023-24 का बजट विधानसभा में पेश करेगी। बताया जाता है कि योगी सरकार इस बार सात लाख करोड़ रुपये के आस-पास बजट पेश कर सकती हैं। बता दें सीएम योगी आदित्यनाथ का दावा है कि ये बजट यूपी की 25 करोड़ जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला होगा। प्रदेश सरकार का यह बजट रोजगार ही नहीं कृषि, महिलाओं से संबंधित योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के​ लिहाज से बेहद साख होगा। इसमें सरकार के लोक कल्याण संकल्प पत्र के बिंदुओं को शामिल किया जाएगा।

युवाओं पर योगी का फोकस

युवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार बजट में बड़ा ऐलान कर सकती है। वहीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से जुडे़ निवेश प्रस्तावों को लागू करने के लिए भी बजट में धन की व्यवस्था की जाएगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि बजट का आकार सात लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इससे पहले योगी आदित्यनाथ सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 6,15,518.97 करोड़ का पहला बजट पेश किया था। इसके बाद दिसंबर में 33769.54 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया। इसमें ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के आयोजन के लिए 296.56 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था। पहले के बजट से तुलना करें तो 2022-23 का वार्षिक बजट 2021-22 के वार्षिक बजट से 10 प्रतिशत अधिक था। वहीं 2021-22 के बजट का आकार 5.5 लाख करोड़ रुपये था। इसे फरवरी 2021 में पेश किया गया था। श्रमिकों की बेटी की शादी के लिए 75 हजार रुपये देगी।

लोकसभा चुनाव पर फोकस

लोकसभा में उत्तरप्रदेश से 80 सीटें हैं। साल 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। ऐसे में सरकार की नजर इन चुनावों पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट से पहले इसे आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बताया। जिससे माना जा रहा है कि सरकार का फोकस लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी होगा। योगी सरकार की पूरी कोशिश होगी कि बजट के जरिए चुनावी समीकरण साधे जा सकें। जिससे पार्टी को यूपी में मिशन 80 साधने में मदद मिले। इसके लिए नई योजनाओं की सौगात दी सकती है। पिछले बजट में 39,181.10 करोड़ की नई योजनाएं शामिल थीं। इस बार इनका दायरा और बड़ने की उम्मीद है। राज्य सरकार के राजस्व जुटाने के अलग अलग स्रोत होते हैं। योजनाओं पर होने वाला खर्च भी सरकार अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर करती है। जीएसटी के बाद राज्य सरकार अप्रत्यक्ष कर भी नहीं तय करती है। राज्य सरकार अब आबकारी और निगम जैसे करों का निर्धारण करती हैं। राज्य सरकार की कमाई देखी जाए तो उसका बड़ा हिस्सा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, स्वयं के कर यानी राज्य वस्तु एवं सेवा कर, वैट, निगम कर, भू.राजस्वए स्टांप एवं पंजीकरण शुल्क आदि से होता है। इनके अलावा करेत्तर राजस्व भी प्राप्त होता है।

चूंकि पेट्रोल व डीजल पर राज्य सरकार वैट लगाती है और यह प्रदेश की कमाई का बड़ा हिस्सा होता है। इसलिए राज्य सरकारें इसे जीएसटी में शामिल करने का विरोध करती हैं। अगर पेट्रोलियम पदार्थों से वैट कम हो जाए तो इसका असर आम लोगों पर सीधा पड़ेगा और महंगाई भी कम हो जाएगी। वर्ष 2022-23 का बजट देखा जाए तो प्रदेश सरकार करों व अन्य संसाधनों से होने वाली कुल कमाई का मात्र 20.5 प्रतिशत धनराशि ही सीधे विकास कार्यों यानी पूंजीगत परिव्यय के लिए आवंटित कर पाई थी।

यहां से होती है सरकार को आय

केंद्र सरकार से सहायता-17.9 प्रतिशत

लोक लेखा शुद्ध-1.0 प्रतिशत

करेत्तर राजस्व-3.9 प्रतिशत

केंद्रीय करों में राज्यांश-24.2 प्रतिशत

कर्ज एवं अग्रिम की वसूली-0.4 प्रतिशत

लोक ऋण-13.1 प्रतिशत

स्वयं के कर-36.5 प्रतिशत

समस्त लेन देन का शुद्ध परिणाम-3.0 प्रतिशत

यहां राशि खर्च करती है सरकार 

पूंजीगत परिव्यय-20.5 प्रतिशत

वेतन सरकारी-13.1 प्रतिशत

कर्ज की अदायगी-3.7 प्रतिशत

स्थानीय निकायों का समनुदेशन-3.0 प्रतिशत

वेतन सहायता प्राप्त संस्थाएं-12.2 प्रतिशत

सहायता अनुदान-9.3 प्रतिशत

ब्याज-7.6 प्रतिशत

अन्य राजस्व व्यय-13.5 प्रतिशत

सब्सिडी-3.8 प्रतिशत

पेंशन-12.8 प्रतिशत

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