योग गुरु पद्मश्री शिवानंद बाबा ने 128 साल की उम्र में शनिवार की रात देह त्याग दी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में उन्होंने अंतिम सांस ली। शिवानंद बाबा के निधन के बाद देर रात उनका पार्थिव शरीर दुर्गाकुंड स्थित आश्रम पर लाया गया। हरिश्चन्द्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। बाबा शिवानंद को संयम का पर्याय माना जाता था। शिवानंद बाबा ने कभी जिंदगी भर भरपेट भोजन नहीं किया। वे हमेशा ही हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही सोकर उठ जाते थे।
करीब 126 साल की उम्र में जब वे पद्मश्री अवार्ड लेने पहुंचे थे तो नंदी मुद्रा में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अभिवादन किया था। इतनी लंबी उम्र में भी बाबा की चुस्ती फुर्ती देखते ही बनती थी। शिवानंद बाबा दुर्गाकुण्ड स्थित अपने आश्रम की तीसरी मंजिल पर रहा करते थे। जहां वे कई बार सीढ़ियों से सहारे ऊपर नीचे बगैर किसी का सहारा लिये आते-जाते थे। महाकुंभ के दौरान उन्होंने प्रयागराज में अपना शिविर लगाया था और संगम में स्नान किया था।
जानें आखिर कौन थे बाबा शिवानंद?
महज चार साल की उम्र में ही बाबा शिवानंद अपने परिवार से अलग हो गए थे। छह साल की उम्र से ही उन्होंने योग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया था। बताया जाता है कि बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल में स्थित श्रीहट्ट जिले के हरिपुर गांव में गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाबा शिवानंद ने बाबा ओंकारानंद गोस्वामी से दीक्षा के साथ योग की शिक्षा हासिल की थी। आखिरी वक्त तक योग उनके साथ रहा। वे अक्सर योग को ही अपनी लंबी उम्र का आधार बताया करते थे।
कई लोग थे बाबा के मुरीद
बाबा शिवानंद ने योग के बल पर न सिर्फ 128 साल का स्वस्थ्य जीवन जिया, बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही दुनिया के कई देशों के लोग उनके मुरीद थे। 21 मार्च 2022 को शिवानंद बाबा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। बता दें जब शिवानंद बाबा पद्मश्री लेने पहुंचे थे तो उन्होंने पीएम मोदी को प्रणाम किया था। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने भी कुर्सी से खड़े होकर शिवानंद बाबा को हाथ जोड़कर और झुककर उनका अभिवादन स्वीकार किया था। तत्कलीन राष्ट्रपति कोविंद ने उन्हें अपने हाथों से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। बताया जाता है कि शिवानंद बाबा कभी बीमार नहीं पड़े। यहां तक की 128 साल की उम्र में भी वह योगाभ्यास करते थे।