लोकसभा चुनाव के चार चरण के बाद अब पांचवे चरण की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर भी 20 मई को होने वाले पांचवें चरण के चुनाव में मतदान किया जाएगा। जिनमें कई ऐसी सीट हैं जिन पर दिग्गजों की साख दांव पर लगी हुई है। इन्हीं सीटों में से एक है कैसरगंज जो रामनगरी अयोध्या से लगी हुई है। यहां से 2019 में बीजेपी के बृजभूषण शरण सिंह चुनाव मैदान में जीते थे और सांसद बने थे। लेकिन कुश्ती विवाद के चलते बृजभूषण शरण अचानक सुर्खियों में आ गए और इसी विवाद में उनका टिकट काट दिया गया। हालांकि भाजपा ने कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण की जगह उनके ही पुत्र करण भूषण को मैदान में उतारा है।
- केसरगंज से चुनाव मैदान में बृजभूषण शरण के बेटे करण भूषण
- प्रभु श्री राम की जन्मस्थली से अयोध्या से लगी हुई है कैसरगंज सीट
- रायबरेली की तरह कैसरगंज में भी अंतिम समय में उतारे प्रत्याशी
- कुश्ती विवाद के चलते दांव पर बृजभूषण शरण की साख
बृजभूषण शरण केसरगंज से साल 2009 से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। यहां जातीय समीकरण साधना भी एक बड़ी चुनौती है। कहा जाता है कि बृजभूषण शरण अपने दबदवे के चलते कैसरगंज सीट से साल 2009 से लगातार काबिज है। लेकिन विवाद के चलते इस बार बीजेपी ने उनकी जगह उनके छोटे बेटे और उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ अध्यक्ष करण भूषण सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। बृजभूषण शरण के बड़े बेटे प्रतीक भूषण शरण सिंह पहले से ही भाजपा के विधायक हैं।
सपा बसपा ने भी किया बीजेपी के प्रत्याशी के नाम का इंतजार
केसरगंज सीट से बीजेपी ने नामांकन की आखिरी तारीख से ठीक एक दिन पहले प्रत्याशी की घोषणा की गई थी। यह बृजभूषण शरण के दबदवे का ही नतीजा है कि भाजपा की ओर से प्रत्याशी का नाम सामने आने के बाद ही समाजवादी पार्टी और बसपा ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। हालांकि बृजभूषण यहां प्रत्याशी ना होते हुए भी मुख्य मुद्दा बन चुके हैं। चुनाव उनके नाम पर ही लड़ा जा रहा है। हालांकि बृजभूषण शरण को अपनी उम्मीदवारी का भरोसा था। यहही वजह है कि नाम का ऐलान होने से पहले ही करीब 165 रेलियां वे कैसरगंज संसदीय क्षेत्र में कर चुके थे। इसके चलते क्षेत्र में हर जगह बीजेपी के झंडे पोस्टर और बैनर ही नजर आते हैं। दूसरी पार्टियों के प्रत्याशियों की चुनावी तैयारी यहां अभी अधूरी सी नजर आती है जबकि 20 मई को कैसरगंज में मतदाताओं की कतार लगेगी।
एक महिला भी दे रही बृजभूषण के बेटे को चुनौती
कैसरगंज लोकसभा सीट पर 4 प्रत्याशी ही बचे हैं। वैसे तो कई निर्दलीयों ने भी नामांकन भरा था लेकिन अधिकांश के पर्चे खारिज हो गए तो कई ने नाम वापस ले लिए। जिससे केसरगंज के चुनाव मैदान में बीजेपी, सपा, और बसपा के साथ एक निर्दलीय महिला प्रत्याशी अरुणिमा पांडे ही चुनावी मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां से भगतराम मिश्रा जो पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा के भाई हैं। वहीं बीएसपी ने नरेंद्र पांडे को टिकट दिया है। नरेंद्र ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं।
कैसरगंज संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की सबसे अधिक आबादी है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सबसे ज्यादा 23% यहां ब्राह्मण और 14% क्षत्रिय हैं जबकि मुस्लिम आबादी करीब 18% और यादव आबादी 13% है। एससी-एसटी की बात करें तो 15 एससी है और बाकी ओबीसी की आबादी हैं। भाजपा प्रत्याशी कारण भूषण सिंह पिछले 35 साल से कैसरगंज क्षेत्र में उनके पिता की ओर से कराये गसे विकास कार्यों का चुनाव मे जिक्र करते हुए लोगों से आशीर्वाद मांगते नजर आ रहे हैं। वही विरोधी दल के उम्मीदवार बृजभूषण शरण के शिक्षा व्यापार और जमीन की हेरा फेरी के साथ कुश्ती विवाद का जिक्र करने से नहीं चूक रहे हैं।