अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 7 सितंबर को भारत आ रहे हैं। वे यहां चार दिन रहेंगे। लेकिन उनके सिक्योरिटी एजेंट्स 3 महीने पहले ही यहां पहुंच चुके हैं। यह सुरक्षा एजेंट्स जो बाइडेन की सुरक्षा से जुड़े हर छोटे से छोटे प्वाइंट पर नजर बनाए हुए हैं। बता दें विदेशी दौरे पर जो बाइडेन के व्हाइट हाउस से निकलने से लेकर वापस अमेरिका पहुंचने तक उनकी सख्त सुरक्षा के इंतजाम किये जाते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ उनके निजी सुरक्षाकर्मी किसी साये की तरह लगातार चलते हैं। इसके अलावा उनके दौरे से पहले सीक्रेट सर्विस एजेंट सुरक्षा का जायजा लेते हैं।
- 7 सितंबर को भारत आएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन
- जो बाइडेन के पहुंचने से पहले सुरक्षा के तगड़े इंतजाम
- जी 20 शिखर सम्मलन में होंगे शामिल
- चार दिन भारत में रहेंगे जो बाइडेन
- रनवे पर हमेशा तैयार रहेगा उनका एयरफोर्स 1 विमान
- अमेरिकी सुरक्षा दस्ता भी पहुंचेगा बाइडेन के साथ भारत
- भारत की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां भी हैं अलर्ट
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया के किसी भी देश जाते हैं तो उनके साथ वहां अमेरिकी सुरक्षा दस्ता भी पहुंचता है। स्थानीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां तो अलर्ट पर ही रहती हैं, लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात कमांडो उनके साथ यात्रा करते हैं। ये कमांडो किसी भी हमले और फिर इमरजेंसी की स्थिति से प्रेसिडेंट को आसानी से निकाल सकते हैं।
रनवे पर ही रहेगा अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान
बता दें अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा में बेहद छोटी छोटी बातों पर पूरा ध्यान दिया जाता है। बाइडेन चार दिन भारत में रहेंगे। इस दौरान उनका एयरफोर्स-1 विमान रनवे पर हमेशा तैयार मिलेगा। दरअसल मेजबान देश में अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान कभी भी एयरपोर्ट के टर्मिनल पर पार्क नहीं होता है। ये हमेशा उसी रनवे पर खड़ा रहता है जहां लैंड किया जाता है। ऐसा इसलिए ताकि किसी आपात स्थिति में अगर विमान को वापस उड़ान भरना हो तो कुछ ही सेंट में ये टेकआफ कर जाए। इतना ही नहीं दूसरा एयरफोर्स वन विमान हमेशा एक गुप्त स्थान पर तैनात रहता है। पहले विमान में कोई समस्या होने पर फौरन उस विमान का उपयोग किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जब दिल्ली आएंगे तो अमेरिकन सीक्रेट सर्विस के टॉप अधिकारी भी उनके साथ रहेंगे। ये तेज तर्रार अधिकारी बाइडेन की निजी सुरक्षा में शामिल रहते हैं। अमेरिकी सीक्रेट एजेंट राष्ट्रपति के आने से पहले भी उस देश में सुरक्षा इंतजाम का बारिकी से जायजा लेते हैं। विमानतल से से लेकर जहां राष्ट्रपति ठहरेंगे उस होटल के साथ उसके आसपास और वेन्यू तक में तमाम एजेंट्स फैले होते हैं जो अपनी नजरें हवा से लेकर जमीन तक पर रखते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति का जिस तरह से तय कार्यक्रम होता है और जिन स्थानों पर राष्ट्रपति को जाना होता है वहां पहले से ही सीक्रेट सर्विस के ये एजेंट पहुंच चुके होते हैं। उस पूरे क्षेत्र को अच्छी तरह से सैनिटाइज भी किया जाता है। जब इन सुरक्षा एजेंट्स की हरीझंडी मिलती है तभी राष्ट्रपति को मूव किया जाता है। राष्ट्रपति की कार द बीस्ट में भी उनके साथ निजी सुरक्षाकर्मी होते हैं। राष्ट्रपति कार से तभी उतरते हैं जब बाहर उनके एजेंट्स सुरक्षा व्यवस्था का पूरा जायजा ले चुके होते हैं।
मानसिक रोगियों पर नजर!
इतना ही नहीं अमेरिकी सूरक्षा एजेंटस बाइडेन के आने से पहले आस-पास के मेंटल हॉस्पिटल से छोड़े गए मरीजों की जानकारी तक खंगालते हैं। इन्हें पोटेंशियल थ्रेट माना जाता है। दरअसल 30 मार्च 1981 को एक मानसिक रोगी ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की हत्या की थी। इसके बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा में इस लेकर भी खास ध्यान दिया जाने लगा।