केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने ईआरसीपी मुद्दे को लेकर गहलोत को दी ये चुनौती!

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को खुले तौर पर सीधी चुनौती दी है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कड़े शब्दों में कहा कि ईआरसीपी मुद्दे पर सीएम गहलोत केवल और केवल झूठ की राजनीति कर रहे हैं। उनमें अगर दम है तो वे अधिकारियों, वकीलों और मीडिया को उनके सामने ले आएं। साथ ही स्पष्ट करें की केंद्र सरकार किस तरह से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं कर रही।

ERCP मामले की असलियत उजागर करें कार्यकर्ता

बता दें केन्द्रीय मंत्री शेखावत यहां सवाई माधोपुर में बीजेपी कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सीएम अशोक गहलोत जनता में केवल भ्रम फैला रहे हैं। जनता को ईआरसीपी के माध्यम से पेयजल नहीं, बल्कि आंखों से आंसू निकालने का काम किया जा रहा रहे हैं। इस दौरान केंद्रीय मंत्री के तेवर बेहद कड़े दिखाई दिए। उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ता को उनका नैतिक दायित्व याद दिलाते हुए कि वह जनता के बीच जाएं और ईआरसीपी मामले की असलियत को उजागर करें। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। उन्होंने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि गहलोत सरकार के कुशासन का अंत अब बहुत नजदीक हैं। ऐसे में जनता को भी अब कमर कस कर तैयार हो जाना चाहिए।

गहलोत ने लगाया था शेखावत पर ये आरोप

बता दें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पिछले दिनों 31 मई को पीएम नरेंद्र मोदी के अजमेर दौरे के दौरान पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का मुद्दा उठाया था। साथ ही गहलोत ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम लिए बगैर उन पर ईआरसीपी परियोजना रोकने के लिए एमपी की सरकार को उकसाने का भी आरोप लगाया था। सीएम गहलोत ने तब कहा था कि ईआरसीपी का काम रुकवाने का प्रयास किया गया है। एमपी से इस मामले में जानबूझकर आपत्ति लगवाई गई है। सीएम ने कहा उन्हें यह लगता है केंद्रीय मंत्री ने एमपी की शिवराज सरकार को भड़का कर आपत्ति करने को कहा होगा। उन्होंने तब कहा था कि साल 2005 में राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच सहमति बनी थी। सहमति के आधार पर राजस्थान सरकार कई मुद्दों पर एमपी को अपनी ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र दे रही थी, लेकिन एमपी की बीजेपी सरकार ने ईआरसीपी के मुद्दे पर राजस्थान से जुड़े मामलों में अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के बजाए आपत्ति लगा दी।

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