चालबाज ड्रैगन जासूसी पर आमादा!
चीन अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आता है। उसका जासूसी जहाज युआन वांग इन दिनों श्रीलंका में डेरा डाले है। जिससे भारत की सुरक्षा पर खतरा मंडाने लगा है। हालांकि चीन दावा कर रहा है कि इसत का कोई कदम वह नहीं उठाएगा जिससे वैश्विक अशांति फैले लेकिन चीन कभी भी भरोसे के काबिल नहीं रहा। उसकी असल साजिश ना सिर्फ खतरनाक है बल्कि इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। जबकि भारत लगातार श्रीलंका को ऐसा करने से रोकता रहा है। इसके बाद भी श्रीलंका ने चीनी जहाज को पोर्ट पर आने की अनुमति दे दी। इसके बाद चीन ने अपना जासूसी जहाज वहां खड़ा कर दिया। ये जहाज हंबनटोटा पोर्ट पर खड़ा है। जिससे भारत भारत की टेंशन बढ़ गई है।
श्रीलंका ने कर्ज चुकाने के बदले लीज पर दिया हंबनटोटा पोर्ट
श्रीलंका ने चीन से करीब डेढ़ अरब डॉलर का कर्ज लिया है। लेकिन ये राशि चुकाने के बदले उसने हंबनटोटा पोर्ट को चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया। इसके बाद से चीन इस पोर्ट पर अपना अधिकार जमाने लगा है। भारत इससे पहले भी चीन की चालाकी को समझ चुका था कि युआन वांग 5 हिंद महासागर पर नजर रख रहे चीन के जासूसी सैटेलाइटों को अगस्त से सितंबर तक मदद देगा। ऐसी ही खबर अमेरिका को भी थी। लिहाजा भारत और अमेरिका दोनों ने श्रीलंका को आगाह किया था कि वो चीन के जहाज को अपने पोर्ट पर न आने दें। लेकिन श्रीलंका नहीं माना। अब चीन का जासूसी जहां हंबनटोटा पोर्ट से हिंद महासागर और दक्षिण भारत में होने वाली हर बड़ी गतिविधि पर नजर रखेगा। डिफेंस एक्सपर्ट पी के सहगल का कहना है भारत के दक्षिण से कोई भी सैटेलाइट या मिसाइल लॉन्च होता है तो ये उसे डिटेक्ट कर सकता है। इसका असर भारत की सुरक्षा पर पड़ेगा। यही वजह है देखते हुए ही भारत ने विरोध किया था।अमेरिका ने विरोध किया था। श्रीलंका ने एतराज को दरकिनार कर चीनी जहाज को अपने यहां लंगर डालने की अनुमति प्रदान कर दी। हालांकि विवाद के बीच श्रीलंका दावा कर रहा है कि चीन ने उसे विश्वास दिया है कि जहाज का इस्तेमाल जासूसी के लिए नहीं किया जाएगा। इसे सिर्फ रिफ्यूलिंग के लिए रुकने की इजाजत दी है। माना जा रहा है 22 अगस्त तक ये चीनी जहाज हंबनटोटा में खड़ा रहेगा। इसकी मौजूदगी भारत ही नहीं अमेरिका को भी चिंता में डाल दिया है।
भारत के न्यूक्लियर प्लाट की निगरानी
चीनी जहाज श्रीलंका हंबनटोटा से ही सैटेलाइट की मदद से भारत की मिसाइल रेंज ही नहीं न्यूक्लियर प्लांट पर नजर रख सकता है। ये भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। हालांकि ये कोई सैन्य जहाज नहीं है लेकिन चीनी जहाज की पहुंच भारत में दूर दूर तक नजर रखने में सक्षम है। जहाज से करीब 750 किमी दूर तक आसानी से निगरानी की जा सकती है। युआन वांग 5 सैटेलाइट और इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलों को ट्रैक करने में भी सक्षम है।
पावरफुल ट्रैकिंग शिप है युआन वांग 5
बता दें हंबनटोटा पोर्ट से तमिलनाडु के कन्याकुमारी की दूरी लगभग 451 किलोमीटर है। इसके बाद भी श्रीलंका ने चीनी जहाज को हंबनटोटा पोर्ट पर आने की अनुमति दे दी। भारत इसे लेकर अलर्ट पर है। बताया जाता है कि युआन वांग 5 को 2007 में बनाया गया था। मिलिट्री नहीं है। लेकिन पावरफुल ट्रैकिंग शिप इसे कहा जाता है। शिप लगभग 750 किलोमीटर दूर तक आसानी से निगरानी करने में सक्षम है। 400 क्रू वाला यह शिप पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और कई सेंसर्स से लैस है।
डरा रही अमेरिकी रिपोर्ट
जहाज के हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचने के बाद चीन दक्षिण भारत के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकाने जैसे कलपक्कम, कुडनकुलम तक निगरनी कर सकता है। वहीं केरल , तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई पोर्ट यानी बंदरगाह चीन के रडार आ गए है। एक्सपर्ट यह भी अंदेशा जता रहे है कि चीन भारत के मुख्य नौसैना बेस और परमाणु संयंत्रों की जासूसी के लिए इस जहाज को श्रीलंका लाया है। अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट भी कुछ इसी तरह की है।