जानें इस बार उज्जैन महाकाल मंदिर में क्यों नहीं मनेगी बड़े स्तर पर होली…! क्या बाबा महाकाल नहीं खेलेंगे हर साल की तरह इस बार ‘होली”…मंदिर समिति ने लागू किये ये सख्त नियम

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में इस साल होली और रंगपंचमी पर रंग गुलाल नहीं उड़ेगा। भक्तों के लिए इस बार सख्त नियम लागू कर दिए गए हैं। बता दें देश भर में गुरुवार 13 मार्च को परंपरागत होलिका दहन और इसके बाद 14 मार्च को धुलेंडी का उत्सव मनाया जाएगा। लेकिन बाबा महाकाल के दरबार में पिछले साल हुई आगजनी के हादसे के बाद इस बार मंदिर प्रबंधन ने सख्त नियम लागू कर दिए हैं। मंदिर परिसर में रंग और गुलाल के साथ प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। इतना ही नहीं मंदिर समिति की ओर से भी भगवान को अर्पित करने के लिए बहुत सीमित मात्रा में ही हर्बल गुलाल दी जाएगी।

इस तरह उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में इस बार धुलेंडी और रंगपंचमी पर केवल रंग की परंपरा निभाई जाएगी। पुजारी भगवान महाकाल को केवल प्रतीक स्वरुप हर्बल गुलाल और एक लोटा केसर से बना हर्बल रंग ही अर्पित कर सकेंगे। यह निर्णय उज्जैन कलेक्टर और मंदिर प्रशासक नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में की गई मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया है।
मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से रंगोत्सव के नाम पर रंग गुलाल के अत्यधिक प्रयोग पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही नंदी हाल, गणेश और कार्तिकेय मंडपम सहित मंदिर परिसर में भी इस बार होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पिछली बार हुई आगजनी से लिया सबक

महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति की ओर से नियम इतने सख्त कर दिए गए हैं कि कोई भक्त, पुजारी, कर्मचारी ही नहीं पंडे-पुजारियों को भी रंग-गुलाल के साथ मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। केवल संध्या के समय होने वाली आरती में सीमित मात्रा में मंदिर समिति की ओर से हर्बल गुलाल ही उपलब्ध कराया जाएगा। दरअसल यह फैसला पिछले साल 2024 में धुलेंडी के दिन हुई आगजनी की दुर्घटना के बाद लिया गया है। बता दें पिछली बार भस्म आरती के दौरान महाकाल बाबा के दरबार में आग लग गई थी,जिससे वहां मौजूद 14 पुजारी और श्रद्धालु झुलस गए थे। इसके बाद गंभीर रुप से झुलसे 80 वर्षीय पुजारी सत्यनारायण सोनी की मौत हो गई थी।

रंगोत्सव के नाम पर उड़ता था जमकर रंग-गुलाल

बता दें पिछले कई साल से बाबा महाकाल के मंदिर में रंगोत्सव के नाम पर जमकर रंग गुलाल के गुबारे और रंगों की बौछार की जा रही थी। पिछले साल 2024 की धुलेंडी पर जब केमिकल वाले गुलाल का अत्यधिक प्रयोग किया गया, जिससे गर्भगृह में आग लग गई थी। इस हादसे में पुजारी और पुरोहित, सेवक सहित कई श्रद्धालु घायल हो गए थे। इनमें से एक पुजारी की उपचार के दौरान मौत भी हो गई थी। ऐसे में इस बार मंदिर समिति ने रंग गुलाल के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

होली पर इस बार यह व्यवस्था रहेगी

बाबा महाकाल के दरबार में इस बार होली के दिन भस्म आरती के साथ संध्या आरती और शयन आरती में भगवान को केवल प्रतीक स्वरूप शुद्ध और हर्बल गुलाल ही अर्पित किया जाएगा। होली के बाद रंगपंचमी के दिन भी पुजारी भगवान महाकाल को केवल एक लोटा केसर से बना हर्बल रंग ही अर्पित कर सकेंगे। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से परंपरा के निर्वहन के लिए भस्म आरती करने वाले पुजारी और सरकारी पुजारी को हर्बल गुलाल के साथ केसर से बना रंग उपलब्ध कराएगी। वहीं धुलेंडी और रंगपंचमी दोनों ही दिन नंदी हाल, गणेश और कार्तिकेय मंडपम के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में होली खेलने पर प्रतिबंध रहेगा। मंदिर के पुजारी, पुरोहित,कर्मचारी और भक्त कोई भी अपने साथ रंग—गुलाल लेकर मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करेगा। प्रवेश द्वारों पर तैनात किये गये सुरक्षाकर्मी सभी की सख्त जांच पड़ताल करेंगे। इसके बाद प्रवेश दिया जाएगा। धुलेंडी और रंगपंचमी के दिन पर पूरे समय चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी रखी जाएगी।

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