सात शताब्दी के बाद बन रहा है महाशिवरात्रि का ऐसा शुभ मुहूर्त और संयोग, होगी बिल्कुल विशिष्ट आपकी पूजा

पूजा-पाठ के अलावा खरीददारी भी होगी शुभ

कल यानी शनिवार 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है। पंचांग के हिसाब से यह फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी है। ये दिन शुभ संयोग वाला है और इसी वजह से शिव पूजा का महत्व और बढ़ जाएगा। बता दें कि सात शताब्दी यानी करीबन 700 साल बाद ऐसा मौका आया है जब महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बन रहा है।

पूजा की खास विधि है क्या?

शिव औढरदानी हैं- आशुतोष हैं, भोले बाबा हैं। वह बेहद आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए, बहुत तामझाम करने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर आपको समय मिले तो मंदिर जाकर पूजा करें, न हो तो घर पर ही ऊँ नमः शिवाय का जाप कर सकते हैं। भोले हरेक स्थिति में प्रसन्न हो सकते हैं।

महाशिवरात्रि पर पूरे दिन-रात पूजा कर सकते हैं। हालांकि, स्कंद, शिव और लिंग पुराण का कहना है कि रात में शिवलिंग का अभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

शिव को कैसे मनाएं

बाबा भोले बहुत सरल और सहज हैं। उनका पूजन केवल बिल्वपत्र और पानी के सहारे भी कर सकते हैं। पानी और दूध से उनका अभिषेक करने के पीछे की मान्यता ये भी है कि देवासुर संग्राम के बाद समुद्र-मंथन से निकले हलाहल को शिव पी गए। इससे पैदा हुए ताप को शांत करने के लिए उन्हें पानी और दूध चढ़ाया जाता है।

शिव का जीवन हमें यह सीख देता है कि भोलेनाथ ने अपने लिए कुछ भी नहीं रखा, न संचय किया। उन्होंने जो भी पाया, जो भी लिया सब समाज (यानी, विश्व को) को बचाने या उसके संवर्द्धन के लिए।

इस महाशिवरात्रि औढरदानी से प्रार्थना करें, विश्व के कल्याण के लिए, प्राणियों में सद्भावना के लिए और धर्म की जय के लिए।

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