सवाल आनंद मोहन की रिहाई का नहीं है,हकीकत जानेंगे तो चौंक जाएंगे !

नीतीश को अपने ही दे रहे चुनौती

ऐसा नहीं है कि बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत खुश हैं। ये भी नहीं है कि एक बाहुबली नेता को जेल से छोड़ने के बाद उनके खाते में बहुत बड़ा वोट बैंक चला जाएगा। फिर ऐसी कौन सी वजह रही है जिसके कारण नीतीश को रिहाई के लिए कानून में बदलाव करना पड़ा। आनंद की रिहाई सही थी या गलत,इस सवाल पर न केवल राजनैतिक दल बंटे हुए हैं बल्कि नेताओं में भी मतभेद हैं। ऐसा क्यों हुआ है इसको लेकर जिस तरह की बिहार में राजनीति हो रही है वो चौंकाने वाली है।

     बिहार की राजनीति पर सभी की नजर
     भाजपा के दांव से बिगड़ सकता नीतीश का खेल
     बिहार में अपराधियों पर टिकने लगी राजनीति
     महागठबंधन में बढ़ने लगी रार
     आरजेडी और जेडीयू में मतभेद की आशंका

बिहार की राजनीति पर पूरे देश की नजरें लगीं हुईं हैं। वजह ये है कि बाहुबली नेता की रिहाई से नीतीश के नफा नुकसान का आकलन किया जा रहा है। कई दलों ने चुप्पी साध रखी है कुछ ने आनंद मोहन के मामले में गोलमोल बयान देकर खुद को अलग कर लिया है। माफियाओं के खिलाफ ढींगे हांकने वाली भाजपा ने भी सिर्फ इतना कहा कि आनंद मोहन को बलि का बकरा बनाया गया है। सही मायने में 27 अपराधियों को छोड़ने की नीतीश कुमार की मंशा थी। भाजपा के इस बयान से स्पष्ट है कि भाजपा ने आनंद मोहन का खुलकर विरोध नहीं किया। कुछ नेता समर्थन में दिख रहे हैं तो कुछ विरोध भरे बयान दे रहे हैं। पार्टी का रुख क्या है कोई नहीं जानता।

नीतीश को अपने ही दे रहे चुनौती

आनंद मोहन की रिहाई पर नीतीश कुमार को अपनों से ही चुनौती मिल रही है। उनके रास्ते में महागठबंधन के दलों ने ही सवाल खड़े करना शुरु कर दिए हैं। वामदलों ने स्पष्ट कह दिया है कि जब एक अफसर की हत्या के दोषी को रिहा किया जा सकता है कि शराब और टाडा में बंद आरोपियों की रिहाई क्यों नहीं की जा सकती है। इस मांग को लेकर वामदलों ने पटना में विरोध प्रदर्शन भी किया। भाकपा माले का कहना है टाडा बंदी पिछले कई सालों से जेल में बंद हैं। टाडा खत्म होने के बाद भी लोग सजा काट रहे हैं उनकी भी रिहाई होना चाहिए। इसी तरह शराब के आरोपी भी जेल से छोड़े जा सकते हैं। उन्हे क्यों रिहा नहीं किया जा रहा है। धरने दे रहे भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने सरकार के सामने बड़ी मांग रखी है। महबूब का कहना है कि बिना देरी किए टाडा बंदियों और शराबबंदी कानून के तहत बंद लोगों को सरकार रिहा करे।

नीतीश सरकार को चेतावनी

सीपीआई एम के विधायक सत्येंद्र यादव ने राज्य की नीतीश सरकार को चेताते हुए कहा कि सामंती मानसिकता वाले बाहुबली नेता आनंद मोहन को रिहा करने से महागठबंधन का वोट बैंक बढ़ने वाला नहीं है। उन्होने चेतावनी देते हुए कहा कि महागठबंधन को बिहार के गरीबों की चिंता करने के साथ साथ टडा और शराबबंदी के मामले में जेल में बंद कैदियों को रिहा नहीं किया गया तो हम सब सड़क पर उतरेंगे और बड़ा आंदोलन करेंगे।

जेडीयू और आरजेडी में मतभेद

बिहार में जेडीयू और आरजेडी मिलकर सरकार चला रहा हैं। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं तो तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं। आनंद मोहन की रिहाई पर जेडीयू ने चुप्पी साध रखी है तो आरजेडी सहयोगी दलों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिला रही है। मतलब रिहाई ठीक है या नहीं दोनों ही दलों में मतभेद हैं। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का कहना है कि सब कुछ नियमों के मुताबिक हुआ है, आने वाले समय में भी नियमों के मुताबिक सरकार रिहाई पर फैसला लेगी।

क्या नीतीश को सियासी फायदा मिलेगा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाहुबली की रिहाई का फायदा मिलेगा कि नहीं,इस पर संशय है। क्योंकि य​दि वामदलों की मांगे मानी गई तो टाडा और शराब से जुड़े मामलों में जेल काट रहे सैकड़ों कैदियों की रिहाई हो जाएगी। इससे वामदलों के साथ साथ तमाम कैदी भी खुश हो जाएंगे। आगामी चुनाव में इनका फायदा लेने की कोशिश आरजेडी और जेडीयू करेगी। यदि भाजपा ने सियासी खेल नहीं बिगाड़ा तो नीतीश का दांव सही पड़ सकता है और उन्हे लोकसभा चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि इस समय नीतीश भाजपा को मात देने के लिए तमाम विरोधियों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं।

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