Mahashivratri: जानें कब है महाशिवरात्रि और कैसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा…क्या है इसका धार्मिक महत्व?
महाशिवरात्रि का पर्व करीब आ रहा है। महाशिवरात्रि को लेकर पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है तो आइए जानते हैं आखिर इस साल महाशिवरात्रि कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है। पूजा करने की विधि कौन सी है, जिससे भोलनाथ प्रसन्न हों।
- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का करें दुध से अभिषेक
- बिल्वपत्र अर्पित करने से प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
- 26 फरवरी को मनाई जाएगी महाशिवरात्रि
- महापर्व पर भक्त करेंगे भगवान शिवशंकर के दर्शन
- भोलेनाथ की होगी विशेष पूजा अर्चना
महाशिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है। यह पर्व नजदीक आ रहा है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व की विशेष मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का माता पार्वती के संग विवाह हुआ था। धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन व्रत रखने से हर किसी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही दांपत्य जीवन सुख-शांति से भरा रहता है। मान्यता है कि अगर कुंवारी कन्याएं इस व्रत को रखती हैं और भगवान भोलनाथ की पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करती हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलने का आशीर्वाद मिलता है। महाशिवरात्रि को लेकर कई लोग भ्रम की स्थिति बनी हुई है। महाशिवरात्रि का पर्व हर साल माघ माह की कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि का पावन पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा।
हिन्दू पंचांग की माने तो चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 27 फरवरी को 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। क्योंकि हिंदू धर्म में उदयातिथि का ही विशेष महत्व माना जाता है, लिहाजा महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी।
किन-किन चीजों से करें भगवान भोलेनाथ का अभिषेक?
- गाय के दूध और घी से शिवलिंग का अभिषेक करने से मिलती है भक्तों को आरोग्यता
- जल में शक्कर मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करने से पूरी होती है पुत्र की कामना
- ज्वर की शांति के लिए करें शिव का ठंडा पानी या फिर गंगाजल से अभिषेक
- वंश के विस्तार के लिए करें भोलेनाथ का घी की धारा से अभिषेक
- शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर बुद्धि की होती है प्राप्ति
- सरसों के तेल से शिव का अभिषेक करने पर होता है शत्रु का नाश
- शहद से अभिषेक करने से दूर होता है तपेदिक का रोग
- पापों को नष्ट करने के लिए करें शिव का शहद और घी से अभिषेक
शिव का जलाभिषेक करने का शुभ मुहुर्त
महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को जलाभिषेक का शुभ मुहुर्त सुबह 6 बजकर 47 मिनट से 9 बजकर 42 मिनिट तक है। फिर 11 बजकर 6 मिनिट से 12 बजकर 35 मिनिट तक है। वहीं शाम को शिव का जलाभिषेक करने का समय 3 बजकर 25 मिनिट से 6 बजकर 8 मिनिट तक है। फिर रात में 8 बजकर 54 मिनिट से 12 बजकर 1 मिनिट तक है।
निशिता काल में पूजा का मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर्व पर निशिता काल पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है। यह पूजा 27 फरवरी को मध्य रात्रि 12 बजकर 27 मिनिट से रात 1 बजकर 16 मिनिट तक की जाएगी। रात्रि में पहले प्रहर की पूजा का मुहूर्त भी खास माना जाता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि के पहले प्रहर की पूजा का समय शाम 6 बजकर 43 मिनिट से रात 9:47 बजे तक रहेगा।
रात्रि में द्वितीय प्रहर की पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि में रात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा रात 9:47 बजे से 12:51 बजे तक 27 फरवरी को होगी। तृतीय प्रहर की पूजा 27 फरवरी को ही रात 12 बजकर 51 मिनिट से सुबह 3 बजकर 55 मिनिट तक होगी। महाशिवरात्रि के रात्रि चतुर्थ प्रहर की पूजा 27 फरवरी की सुबह 3 बजकर 55 मिनिट से 6:59 बजे तक होगी। वहीं पारण का समय 27 फरवरी के दिन सुबह 6 बजकर 59 मिनिट से 8:54 बजे तक रहेगा।
क्या है महाशिवरात्रि का महत्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती के संग विवाह किया था। इसलिए इस दिन पुरुष और स्त्री ऊर्जा के संतुलन का भी प्रतीक माने जाते हैं।
क्या है पूजा विधि
महाशिवरात्रि पर जातक को ब्रह्म मुहूर्त में शैया छोड़ देना चाहिए। इसके बाद पहले स्नान करें। फिर साफ धुले वस्त्र पहनें। इसके बाद शिवलिंग पर दूध और दही के साथ शहद, घी, गंगाजल, इत्र अर्पित करें। भगवान शिव को चंदन, बिल्वपत्र, अक्षत, पान, सुपारी, मौसमी फल, फूल और श्रीफल यानी नारियल भी अर्पित करें इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या ओम नमः शिवाय मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए। भगवान शिव को भोग के रुप में हलवा, ठंडाई, मालपुआ अर्पित करें। लस्सी, सूखा मावा का भोग भी लगाया जा सकता है। अंत में भगवान शिव की आरती करें। इसके बाद अगले दिन स्नान कर महाशिवरात्रि का व्रत खोलें। बता दें सुहागन महिलाओं के लिए महाशिवरात्रि का व्रत बहुत खास माना जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करती हैं। वहीं भगवान भेलेनाथ को बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाया जाता है। यह चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
(प्रकाश कुमार पांडेय)