सुरेखा यादव ये वो नाम है जो आज सुर्खियों में बना हुआ है। ये किसी राजनीति पार्टी से जुड़ी नहीं है, इनकी पहचान है वो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन जिसे चलाकर सुरेखा ने इतिहास रच दिया है। जी हां सुरेखा यादव भारत की सेमी हाई-स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने वाली पहली लोको पायलट बन गईं हैं। देश के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं देश की पहली महिला पायलट सुरेखा यादव को बधाई दी। रेल मंत्री ने नारी शक्ति की सराहना भी की है।
एशिया की पहली महिला लोको पायलट भी हैं सुरेखा
बता दें एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव ने वंदे भारत एक्सप्रेस चलाकर एक नया इतिहास रचा है। सोमवार 13 मार्च को सुरेखा यादव ने सोलापुर-सीएसएमटी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई। इस तरह वे वंदे भारत एक्स्प्रेस चलाने वाली पहली महिला लोको पायलट बन गईं। बता दें सुरेखा यादव को केवल देश की बल्कि एशिया की पहली महिला लोको पायलट का खिताब भी मिला है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया ट्वीट
बता दें सुरेखा यादव महाराष्ट्र के सतारा की रहने वाली हैं। वे 1988 में भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं थी। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। बता दें अप्रैल 2000 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार चार महानगरीय शहरों में लेडीज स्पेशल लोकल ट्रेन शुरू की थी। उस चालक दल में सुरेखा यादव भी शामिल थीं। इसके अलावा उनके करियर में एक महत्वपूर्ण घटना 8 मार्च 2011 को जुड़ी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सुरेखा यादव ने डेक्कन क्वीन नाम की रेलगाड़ी को पुणे से सीएसटी मुंबई तक चलाया।
अब सुरेखा की इस नई उपलब्धि की जानकारी स्वयं रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्विटर पर साझा की है। उन्होंने ट्वीट में सुरेखा की तस्वीर साझा की और लिखा है कि ये हैं वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली महिला लोको पायलट श्रीमती सुरेखा यादव।
समय से पहले पहुंची ट्रेन
बता दें वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने पर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर सुरेखा यादव का अभिनंदन किया गया। दरअसल ये ट्रेन सही समय पर सोलापुर से चली और अपने तय समय से पांच मिनट पहले छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर पहुंची। ट्रेन चलाने के साथ-साथ चालक दल सीखने की प्रक्रिया में सिग्नल का पालन करना ही नहीं नए उपकरणों पर हाथ आजमाना और दूसरे चालक दल के सदस्यों के साथ समन्वय बैठाने के साथ ट्रेन चलाने के लिए सभी मापदंडों का पालन करना भी शामिल रहता है। सुरेखा ने जिनका बखुबी पालन किया। सतारा की रहने वाली सुरेखा यादव 1988 में भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर बनीं और उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।