Karnataka Assembly Election:बीजेपी के लिए बंद होते दिख रहा दक्षिण का दरवाजा,कर्नाटक में मुरझा सकता है कमल, बीजेपी के सर्वे में 224 में से पार्टी को मिल रहीं 60-70 सीट

South door seems to be closing for BJP lotus may wither in Karnataka

karnataka assembly election:भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में केंद्र में सरकार बनाकर इतिहास रचा था। इसके बाद से बीजेपी ने देश के कई राज्यों में या तो अकेले अपने दम पर सरकार बनाई या फिर एनडीए गठबंधन की सरकार बनाई लेकिन कर्नाटक को छोड़ दें तो दक्षिण भारत का दुर्ग जीतना अभी भी बीजेपी के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। अब एक बार फिर कर्नाटक में चुनावी बयार बह रही है। जिसमें बीजेपी अपनी सत्ता कायम रखने की जद्दोजहद में जुटी है।

बता दें मोदी युग में बीजेपी ने कई राज्यों में जीत हासिल की जहां पहले कभी पार्टी सत्ता में नहीं रही। असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में बीजेपी पहली बार अकेले अपने दम पर सत्ता में आई। वहीं हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में भी बीजेपी का मुख्यमंत्री गद्दी पर बैठा। हालांकि इसी दौरान कर्नाटक को छोड़कर बीजेपी दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में अपनी पैठ नहीं बना पाई। कर्नाटक दक्षिण भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है। जहां बीजेपी ने अपने दम पर सरकार बनाई है। न सिर्फ यहां बीजेपी का प्रदर्शन अपने पीक पर रहा है बल्कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य में कुल मतदाताओं में से आधे से अधिक का समर्थन भी मिला था।

अब चुनावी मौसम में कर्नाटक में हिंदुत्व का मुद्दा बीजेपी को रास नहीं आ रहा है। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के सर्वे में कर्नाटक में पार्टी को बहुमत नहीं मिल रहा है। सर्वे में राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों में से पार्टी को 60-70 सीटें ही मिल रही हैं। ऐसा ही एक सर्वे सीएम बसवराज सोमप्पा बोम्मई ने भी कराया था। जिसमें पार्टी को 110 सीटें मिलने का दावा किया गया था। हालांकि बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत है।

विस चुनाव में बचा तीन महीने का समय

बता दें कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बमुश्किल तीन महीने का समय बचा है। दक्षिण भारत में सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा राज्य है। जहां बीजेपी सत्ता में है। 2018 में यहां भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर बीजेपी ने सरकार बना ली थी। हालांकि, इस बार जो सर्वे सामने आ रहे हैं, उनके आंकड़ों ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। पार्टी सूत्रों की माने तो केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इससे पहले जब बेंगलुरु आए थे। तब उन्होंने बसवराज बोम्मई से मुलाकात की थी। उस दौरान अमित शाह ने बोम्मई से पूछा कि जब पार्टी का सर्वे 60 से 70 सीटें बता रहा है तो आप किस आधार पर 110 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। इसके बाद बीजेपी ने अगले तीन महीने के लिए चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। दरअसल यूपी मेंं हिंदुत्व के जिस मुद्दे पर बीजेपी ने ने 255 सीटें जीती थीं, वो कर्नाटक में कारगर होते नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि कर्नाटक में बीजेपी ने अपनी रणनीति बदलली है। बीते 90 दिनों में पार्टी ने हिजाब-हलाल-अजान जैसे मुद्दों से किनारा किया है और डेवलपमेंट पर बात करनी शुरू की है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि अगले 90 दिनों के लिए एक नई स्ट्रैटजी भी तैयार की जा रही है। इसमें डेवलपमेंट के अलावा जाति की राजनीति पर फोकस रहने वाला है। धरातल पर ध्रुवीकरण के मुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं

हिजाब-हलाल और अजान के मुद्दे से किया किनारा

बीजेपी ने हिजाब-हलाल और अजान के मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की। तीन महीने पहले तक ये मुद्दे कर्नाटक में व्याप्त थे। लेकिन पिछले एक साल के दौरान बीजेपी को जमीन पर कोई प्रतिक्रिया नजर नहीं आई। उसके बाद पार्टी हिंदुत्व की राजनीति से पीछे हट गई है। बीजेपी ने अब जाति की राजनीति करने का फैसला किया है। इसके तहत राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का अध्यादेश विधानसभा में पेश किया गया। इस अध्यादेश के जरिए एससी का आरक्षण 15 से बढ़ाकर 17 फीसदी और एसटी का 3 से 7 फीसदी कर दिया गया है। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एचएन नागमोहन दास की अध्यक्षता वाले आयोग की सिफारिशों के मुताबिक यह फैसला लिया गया है।

कर्नाटक में आरक्षण बढ़कर 56% हो जाएगा

इससे कर्नाटक में आरक्षण 56% हो जाएगा। इसलिए विपक्षी दल सरकार से पूछ रहे हैं कि वे इसे कैसे लागू करेंगे। इसी तरह, सरकार ने लिंगायत पंचमसालिस और वोक्कालिगा समुदाय के लिए भी आरक्षण बढ़ा दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने अब सरकार से पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। कर्नाटक कैबिनेट ने पिछले साल दिसंबर में राज्य के दो प्रमुख समुदायों, लिंगायत पंचमसालिस और वोक्कालिगा के आरक्षण के लिए दो नई श्रेणियां बनाने का निर्णय लिया था। जबकि सरकार ने लिंगायत पंचमसालिस को 2-डी आरक्षण मैट्रिक्स में शामिल करने का निर्णय लिया। उसने वोक्कालिगा समुदाय को 2-सी आरक्षण मैट्रिक्स में शामिल करने का निर्णय लिया।

SC-ST के बाद लिंगायतों की सबसे अधिक आबादी

पंचमसाली समुदाय 2-ए श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार ने जयप्रकाश हेगड़े की अध्यक्षता वाले पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर इसे 2-डी में शामिल कर लिया। राज्य में एससी-एसटी के बाद सबसे ज्यादा आबादी लिंगायतों की है।

कोटा बढ़ाने की मांग कर रहा वाल्मीकि समाज

पंचमसाली के अलावा वाल्मीकि समुदाय भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को तीन से बढ़ाकर 7.5% करने की मांग कर रहा है। इसी तरह बीजेपी भी छोटे समुदायों पर फोकस कर रही है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद बंजारा समुदाय से मिले थे। बीजेपी ने 2021 में ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। उनकी जगह उनकी ही पसंद के बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया। सीएम पद से हटाए जाने के बाद येदियुरप्पा को साइडलाइन कर दिया गया और बड़े कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया गया। लेकिन इसका नकारात्मक असर जमीन पर देखने को मिला।

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