सीवान। लगभग महीने भर का समय ही बीता है, जब छपरा में जहरीली शराब से लगभग 100 लोगों की जान चली गयी थी। लगभग इसलिए कि सरकारी आंकड़ों और जमीनी आंकड़ों में फर्क था। शराबबंदी वाले उसी बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब ने कहर मचाया है। इस बार सीवान में जहरीली शराब पीने से 3 लोगों की मौत हो गई। इतना ही नहीं, 12 से अधिक लोगों की हालत गंभीर है। इनमें 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। सीवान सदर अस्पताल में 7 लोगों का इलाज चल रहा है। मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है।
- सीवान जिले के लकड़ी नवीगंज ओपी थाना क्षेत्र के बाला और भोपतपुर गांव में लोगों ने जहरीली शराब पी
- रविवार शाम को अचानक एक-एक करके मरीज सदर अस्पताल आने लगे
- देर शाम अस्पताल पहुंचते वक्त एक व्यक्ति की मौत हो गई
- रात में दो और लोगों ने दम तोड़ दिया, दर्जन भर की हालत गंभीर है
- स्थानीय लोगों ने जहरीली शराब पीने की बात कही है
- प्रशासन ने अभी कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है
- परिजनों के मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी गई है, अस्पताल में ताला लगा दिया गया है
- पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल कायम हो गया है।
प्रशासन ने 10 को किया गिरफ्तार
सीवान में जहरीली शराब पीकर मरनेवालों के परिजनों ने शराब पीने के बाद तबीयत बिगड़ने और मौत का आरोप लगाया है। जिले के डीएम अमित कुमार पांडेय ने प्रशासनिक स्तर पर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की बात कही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि लोगों की तबीयत कैसे बिगड़ी और मौत हुई है।
गुप्त सूचना और अनुसंधान के क्रम में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि इससे पहले भी बिहार में दिसंबर 2022 में ही जहरीली शराब पीने से लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी। बिहार में कहने को शराब पर बंदी है और यह एक बड़ा राजनीतिक मसला भी बन चुका है।
अब तक उपलब्ध सूचना के अनुसार लकड़ी नवीगंज ओपी थाना क्षेत्र के बाला गांव और भोपतपुर गांव का यह मामला है। यहां पर जिला प्रशासन को कुछ लोगों के बीमार होने की सूचना मिली थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद सीवान डीएम अमित कुमार पांडेय बीमार लोगों से मिलने सदर अस्पताल पहुंचे। वहां उन्होंने बीमार लोग और उनके परिजनों से मुलाकात की, हालांकि अस्पताल के गेट पर ताला लगा दिया गया है, ताकि मीडिया वाले वहां पहुंच कर और छानबीन न कर सकें।
नीतीश कुमार अपनी जिद पर अड़े हैं
वैसे तो इस मामले में अभी तक मुख्यमंत्री का बयान नहीं आया है, लेकिन शराबबंदी पर अपने रुख को लेकर वह तनिक भी नहीं हिले हैं। आपको बता दें कि दिसंबर 2022 में सारण में शराब पीकर हुई मौतों के बाद उन्होंने विधानसभा में विपक्षी विधायकों के साथ तुम-ताम से बात करने और गुस्सा दिखाने के बाद प्रेस के सामने भी एक संवेदनहीन बयान दिया। उन्होंने प्रशासनिक असफलता या पुलिस की लापरवाही पर बात नहीं की और कहा कि जो शराब पिएगा वो मरेगा ही।
विपक्ष बनाएगा मुद्दा?
सवाल यह है कि क्या इस बार बिहार के विपक्षी दल फिर एक बार सत्तारूढ़ नीतीश पर हमलावर होंगे, जैसा वे पिछली बार हुए थे। तब इस मसले पर जहां एक तरफ राज्यसभा में बिहारी नेता सुशील कुमार मोदी ने सवाल उठाया, तो दूसरी तरफ भाजपा विधायकों ने बिहार विधानसभा के बाहर और अंदर जमकर हंगामा किया था।
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार अगर अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और सारण से सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा था कि शराबबंदी पूरी तरह असफल हो चुकी है। सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को फ्रस्ट्रेटेड करार दिया था।