बीजेपी ने इस साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियों को अंतिम रुप देना शुरू कर दिया है। खासतौर पर राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में बीजेपी विशेष ध्यान दे रही है। इन राज्यों में लोकसभा की 93 सीटें हैं। मप्र और कर्नाटक में बीजेपी सरकार में है, तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार से उसे चुनाव में दो चार होना हैं। 2019 चुनाव में 303 सीटों पर फतह करने वाली बीजेपी के लिए इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव अहम होंगे। दरअसल यहां पार्टी के लिए कम से कम 116 सीटों पर तस्वीर साफ हो सकती है। इनमें भी 93 सीटें केवल चार राज्यों यानी छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान से आती हैं। इनमें से दो में भाजपा की सरकार है।
छत्तीसगढ़ सफल नहीं हुए चावल वाले बाबा
छत्तीसगढ़ राज्य में बीजेपी साल 2018 से ही लगातार बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। 90 सीटों में कांग्रेस ने 68 सीटें हासिल कर भाजपा की रमन सिंह सरकार को बाहर कर दिया था। बीते साल हुए भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। वह भाजपा की 5वीं लगातार हार थी। इससे पहले भाजपा दंतेवाड़ा, चित्रकूट, मरवाही और खैरागढ़ उपचुनावों में हार मिली थी। ऐसे में रमन सिंह को लेकर संगठन कोई खास उत्साहित नजर नहीं आ रहा है। दरअसल छत्तीसगढ़ में रमन सिंह 2004 से लेकर नवंबर 2018 तक लगातार तीन टर्म सीएम रहे। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। वहां कांग्रेस की सरकार बन गई। ऐसे में बीजेपी अब छत्तीसगढ़ में किसी नए चेहरे को सामने लाना चाहती है। जो पार्टी के लिए लंबी पारी खेल सके। इसी के साथ यह भी तय है कि किसी नए चेहरे को सामने नहीं लाएगी। इससे पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ने का खतरा रहेगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव तो मोदी के नेतृत्व में ही होगा। चुनाव नतीजे आने के बाद ही नया चेहरा सामने लाया जाएगा।
2018 में राजस्थान में मिली हार
200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में भाजपा ने 163 सीटों पर 2013 में जीत हासिल की थी। लेकिन 2018 में कांग्रेस के हाथों हार गई। उस दौरान पार्टी को केवल 73 सीटें मिली थी। हालांकि राज्य में लंबे समय से हर बार सरकार बदलने का सिलसिला चल रहा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस बार फिर से वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है।हालांकि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह साफ संकेत दे भी चुके हैं कि 2023 का विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। किसी शख्स को चुनाव में चेहरा नहीं बनाया जाएगा। पार्टी के लिए भी यह बड़ा सियासी संदेश माना जा रहा है। पार्टी विधानसभा चुनाव के बाद किसी चेहरे को सामने लाएगी। ताकि अगले एक से दो दशक तक राजस्थान में पार्टी के सामने नेतृत्व का संकट पैदा न होने पाए।
बाबा बालक नाथ बोले-राजे ही पार्टी का चेहरा
राजस्थान के अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उनके बयान के बाद राजनीति चर्चा शुरू हो गई है। सांसद बालक नाथ ने कहा- वसुंधरा राजे हमारी नेता हैं, दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। सांसद बालक नाथ ने कहा कि 2023 का विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के चेहरे और पार्टी के अन्य नेताओं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हमारे साथ है। सांसद बाबा बालक नाथ ने ईआरसीपी को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को लेकर राजस्थान की जनता के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत विधानसभा में पीएम मोदी पर आरोप लगा देते हैं, लेकिन 4 साल में वे इसे लेकर पीएम से मिलने नहीं गए।
मप्र 2018 में हारी, 2020 में फिर सत्ता संभाली
साल 2018 में कांग्रेस ने भाजपा के 15 साल के शासन का अंत कर दिया था। 230 सीटों वाले राज्य में कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल कर करीबी मुकाबले में भाजपा को हराया था। हालांकि महज दो साल के बाद सिंधिया की बगावत से कांग्रेस की सरकार गिर गई और 2020 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी की दोबारा सरकार बन गई थी। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बैठक कर 2023 चुनाव के लिए रणनीति तैयार की थी। राज्य में सीएम और पूर्व सीएम के बीच सवाल जवाब का सिलसिला चल रहा है। मप्र में अब भी ये बड़ा सवाल सामने है कि क्या बीजेपी इस बार भी शिवराज सिंह चौहान चौहान के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी। वैसे भी मध्य प्रदेश बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य है। जिसे किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से BJP में आए हैं। तब से उनका कद लगातार बढ़ता जा रहा है। उनका हर व्यक्ति किसी न किसी पद पर है।
कर्नाटक में बीजेपी के सामने सरकार बचाने की चुनौती
साल 2018 चुनाव में भाजपा कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन 224 सीटों में बहुमत साबित करने में असफल रही थी। उस दौरान कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर ने गठबंधन की सरकार बनाई थी, लेकिन बड़ी संख्या में विधायक टूटने के बाद सरकार गिरी और बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा ने वापसी की। अब दक्षिण भारतीय राज्य में सियासी तनाव फिर जगह लेता जा रहा है। एक ओर जहां कांग्रेस राज्य में सक्रियता बढ़ा रही है। वहीं राज्य में भाजपा भी आरक्षण का दांव खेल रही है। खबर है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 136 सीटों का लक्ष्य बनाया है। साथ ही नेतृत्व में खास बदलाव के संकेत नहीं दिए हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अगुवाई में ही चुनाव मैदान में बीजेपी उतरेगी। कर्नाटक में विधानसभा का अंतिम सत्र शुक्रवार 10 फरवरी से शुरू हो रहा है। 24 फरवरी तक चलने वाले सत्र के दौरान हाई-वोल्टेज बहस और टकराव होने की उम्मीद है। दो महीने से भी कम समय में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल और सत्तारूढ़ बीजेपी सत्र में अपनी छाप छोड़ना चाहती है।