समलैंगिक विवाह को क्या मिलेगी कानूनी मान्यता,केन्द्र सरकार क्यों कर रही है विरोध

Same-sex marriage

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिका पर लगातार चार दिन से  सुनवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा था। इस मामले की सुनवाई भी लाइव स्ट्रीमिंग हो रही है। जिसे सोमवार तक पूरा करना है।

सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान पीठ को मामले को भेजने पर कहा कि हम इस मुद्दे पर चर्चा नहीं कंरेंगे लेकिन इससे सभी को समझने में मदद मिलेगी। कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का वही रुख है, जो हाई कोर्ट में था। क्या अप्रैल में हो सकती है इस मामले की सुनवाई? वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश के हर नागरिक को प्यार करने और खुद को अभिव्यक्त करने का अधिकार है। उस अधिकार में कुछ भी हस्तक्षेप नहीं करता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि उन्हें विवाह करने की अनुमति दी जानी चाहिए। विशेष विवाह अधिनियम में एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह के मुद्दे का भी उल्लेख है। यदि समान-लिंग विवाह को कानूनी मान्यता दे दी जाती है, तो एक विशेष विवाह अधिनियम बनाने का उद्देश्य विफल हो जाएगा। जिसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ेगा।

गोद लिए बच्चे का समलैंगिक होना जरुरी नहीं

CJI की ओर से कहा गया कि समलैंगिक जोड़े के गोद लिए हुए बच्चे को समलैंगिक होना जरूरी नहीं है। इस मामले में पिछले रविवार को केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह का विरोध करते हुए एक हलफनामा पेश किया था। केंद्र ने पिछले रविवार को कोर्ट में 56 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया था। जिसमें इस बात का जिक्र है कि सेम सेक्स मैरिज भारतीय परंपरा के मुताबिक नहीं है। यह पति-पत्नी और उनसे होने वाले बच्चे की अवधारणा से मेल नहीं खाता। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में समाज की मौजूदा स्थिति का जिक्र किया है। केंद्र ने कहा कि आजकल समाज में कई तरह की शादियां या रिश्ते अपनाए जा रहे हैं। इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है।

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग

बता दें इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दिल्ली समेत विभिन्न हाईकोर्ट में दायर सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया था। दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता की जांच करने के लिए सहमत था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने की थी। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर विचार करने के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा सकती है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। अटॉर्नी जनरल को भी नोटिस भेजा गया है। सभी को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

हैदराबाद के समलैंगिक जोड़े ने दायर की याचिका

हैदराबाद में रहने वाले समलैंगिक जोड़े की याचिका में मांग की गई है कि समलैंगिक विवाह को भी विशेष विवाह अधिनियम के तहत लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट भी इस मामले की सुनवाई कर रहा है। वहींअधिवक्ता संजय किशन कौल ने कहा कि यह मामला दो साल से केरल उच्च न्यायालय में लंबित है। यह पूरा मामला जनहित से जुड़ा है क्योंकि यह संवैधानिक अधिकार का मामला है।

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