देश का दूसरा सबसे अमीर राज्य तमिलनाडु को माना जाता है। इसी राज्य में एक बड़ा शहर है सेलम। कहने को इस जिले में एक नंबर की गुणवत्ता युक्त हल्दी का उत्पादन होता है,जिसमें करक्यमिन काफी मात्रा में पाया जाता है। हल्दी की इसी खासियत के चलते दुनियाभर की कंपनियां सेलम की हल्दी खरीदने के लिए लालयित रहतीं हैं। इसके बदले दवा कंपनिया भरपूर पैसा भी खर्च करती हैं। वजह ये है कि सेलम की हल्दी में करक्यूमिन लगभग 11 प्रतिशत तक पाया जाता है। करक्यूमिन वो पीले रंग का रसायन है जो देशी ऐंटीबायोटिक के तौर पर काम आता है। इसी खासियत के चलते दवा कंपनियां करक्यूमिन की प्रचुर मात्रा वाली सेलम की हल्दी के मनमाफिक दाम देने को तैयार रहती हैँ।
क्या राहत भरी तस्वीर है!
मतलब उत्पादन,आमदनी और तमाम आय के स्रोत यहां की संपन्नता को मजबूत करते है। तमिलनाडु की यह तस्वीर काफी राहत भरी दिखाई दे रही होगी। पर सेलम की 46 वर्षीय पपथि के लिए तमिलनाडु की यह संपन्नता से भरी तस्वीर बदरंग है। पाई पाई के लिए जूझने वाली पपथि ने बस के आगे कूदकर सिर्फ इसलिए जान दे दी ताकि उसके बेटे के कॉलेज की फीस भरी जा सके। उसे उम्मीद थी कि मैं सफाई कर्मी हॅू इसलिए मरने पर 45 हजार रुपए का मुआवजा मिल जाएगा। इससे पहले उसने कई रिश्तेदारों से फीस के लिए पैसे उधार मांगे थे लेकिन किसी ने उसे फूटी पाई नहीं दी। रिश्तेदारों को पता था कि ये विधवा महिला पैसा चुका नहीं पाएगी इसलिए सभी ने उससे कन्नी काट ली।
जान देकर फीस भरने की चाहत
पपथि का बस के नीचे कूदकर आत्महत्या वाला वीडियो जब वायरल हुआ जो मानवता को सीधे तौर पर शर्मसार कर देने वाला है। ये बात सिर्फ पपथि की नहीं है। देश में ऐसे लाखों लोग हैं जो रात दिन मेहनत करने के बाद भी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं कर पाते। मुझे नहीं लगता इस तरह गरीबी और बदहाली से मरने वालों का कोई आंकड़ा किसी सरकार के पास होगा। यदि है भी तो ऐसे लोगों के लिए कोई पुख्ता योजना क्यों नहीं बनाई जाती है। जब तक इस तरह घटनाएं भारत जैसे विकासशील देश में होतीं रहेंगी तब तक चमचमाता विकास पागल हुआ घूमता ही नजर आता रहेगा।