RSS Chief statement: रामचरितमान पर हो रहा बवाल थम ही नहीं रहा है। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान को लेकर हंगामा हो रहा है। हालांकि, उनका यह बयान मूल तौर पर मराठी में दिया गया है, तो जिस बात को लेकर हंगामा मचा हुआ है, वह बात शायद भागवत ने कही ही नहीं है। उनके कहे की समीक्षा से पहले यह जान लें कि पूरा मसला क्या था?
संघ प्रमुख मोहन भागवत संत रविदास की जयंती पर मुंबई में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वहां उन्होंने मराठी में अपना व्याख्यान दिया और उसमें पंडित शब्द का उल्लेख किया। मीडिया ने उसमें से पंडित शब्द लेकर उसका अनुवाद ब्राह्मण कर दिया और उसके बाद सुर्खियां रंग दी गयीं- ब्राह्मणों पर भागवत का बड़ा बयान, जातिवाद के बहाने ब्राह्मणों पर भागवत का निशाना…आदि।
पहले जानते हैं कि भागवत ने सचमुच कहा क्या था-
मान सम्मान एक है, अपनापन सबके लिए है। कोई भी ऊँचा या नीच नहीं है। शास्त्रों का आधार लेकर पंडित लोग जो बताते रहते हैं वह झूठ है। जातिभेद की कल्पना में उच्चता-नीचता के भँवर में फँसकर हम भ्रमित हो गए हैं। यह भ्रम दूर करना है।
यह उस मराठी टेक्स्ट का अनुवाद होगा, जो उन्होंने अपने भाषण में कहा था। मराठी में क्या कहा था, वह भी जान लेते हैं-
मान सन्मान एक आहे। आपलेपणा सर्वांविषयी आहे। कोणी ही उच्च, नीच नाही। शास्त्रांचा आधार घेऊन पंडित लोक जे सांगत असतात ते खोटे आहे। जाति-जाति च्या श्रेष्ठत्वा च्या कल्पने मध्ये उच्च नीचतेच्या भोवऱ्यात अड़कून आपण भ्रमिष्ट झालो आहोत। हा भ्रम दूर करायचा आहे।
भागवत के बयान के बाद बवाल
उनके बयान का स्वामी प्रसाद मौर्य ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भागवत ने एक बयान से ही हिंदू धर्म में व्याप्त जातिवाद की कलई खोल दी है। हालांकि, अगर उनका बयान किसी मजबूरी में नहीं दिया गया है और सच्चा है तो उनको पीएम से बात कर रामचरितमानस से वे पंक्तियां हटवा देनी चाहिए, जो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। वहीं, सपा की विधायक पल्लवी पटेल ने एक बयान देकर खुद को स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थक बताया है। उन्होंने कहा कि किसी को बुरा लगे या भला, वह रामचरितमानस के खिलाफ आंदोलन करेंगी।
भागवत और क्या बोले?
भागवत ने कहा कि हमारे समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया। इसी का फायदा उठाकर हमारे देश में आक्रमण हुए और बाहर से आये लोगों ने फायदा उठाया। देश में विवेक, चेतना सभी एक है। उसमें कोई अंतर नहीं । बस मत अलग-अलग हैं>
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने संत रविदास को याद करते हुए कहा कि संत रविदास ने पूरे समाज को जोड़ने की बात कही क्योंकि समाज की उन्नति के लिए काम करना ही धर्म है। सिर्फ अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है और यही वजह है कि समाज के बड़े-बड़े लोग संत रविदास के भक्त बने।