राजस्थान विधानसभा चुनाव: खामोश हैं गहलोत और पायलट, फिर भी कम नहीं हुई कांग्रेस के सामने चुनौतियां

Rajasthan Assembly Elections Ashok Gehlot Sachin Pilot

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। राजस्थान के राजनीतिक इतिहास को देखें तो इस राज्य में सत्ता के बदलने का रिवाज रहा है। अगर इस बार कांग्रेस की जीत होती है तो राजस्थान की पिछले 30 साल से चली आ रही यह परंपरा भी बदल जाएगी।

हालांकि राज्य में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस के सामने से अभी भी कई चुनौतियां हैं। जिनका सामना उसे चुनाव में करना पड़ेगा। अब तक कांग्रेस के पास सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के दो कद्दावर नेता अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच सुलह करवाना था। जिसमें कांग्रेस नेतृत्व सफल तो हो गया। कांग्रेस की अंतरिम कलह पर फुलस्टॉप लग गया हो लेकिन इस साल होने वाले चुनाव में जीत दर्ज करने के पार्टी की चुनौतियां खत्म नहीं हुई है। चुनाव से पहले राज्य में होने वाले तमाम सर्वे और उनके परिणाम बताते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है।

गहलोत और पायलट एकजुटता के साथ मैदान में उतरे

पिछले दिनों सामने आए एक सर्वे में बीजेपी को राज्य में बढ़त मिलती नजर आ रही है। इसके अलावा एक दूसरी एजेंसी के सर्वे में भी कांग्रेस 200 में से 97-105 सीट मिलने की उम्मीद है। इस सर्वे में बीजेपी को 89-97 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। हाल ही में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राजस्थान के दोनों नेताओं से मुलाकात कर दोनों की सुलह कराई थी। इस मुलाकात के बाद वेणुगोपाल ने कहा था अशोक गहलोत और सचिन पायलट एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमत हैं। इसके साथ ही गहलोत और पायलट ने एक दूसरे को लेकर कोई बयानबाजी नहीं की है। इससे माना जा रहा है कि फिलहाल सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट दोनों आपसी गिले शिकवे भुलाकर कांग्रेस की खातिर एकजुटता के साथ मैदान में उतर गए हैं। गहलोत सरकार पर लगे हिंदुत्व विरोधी होने के आरोप को लेकर कांग्रेस अब इसे दूर करने में जुटे हैं। चुनाव से पहले कांग्रेस पर बीजेपी ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। आरोपों में सीएम अशोक गहलोत का हिंदुत्व विरोधी होने का आरोप चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। सीएम गहलोत की सरकार पर बीजेपी कई बार हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा चुी है। ये वो मुद्दा है जिस पर कांग्रेस को फिलहाल बैकफुट पर रहकर सियासी खेल खेलना पड़ रहा है। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति बदलकर इस बार हिंदू तीर्थस्थलों और धार्मिक पर्यटन स्थलों के साथ मंदिरों में जमकर निमार्ण कार्य कराये हैं और कई योजनाएं भी चलाई हैं।

राज बदलने का रिवाज बड़ी चुनौती

कांग्रेस की एक बड़ी चुनौती यह भी है कि यहां पिछले 30 साल से राजस्थान में एक कार्यकाल के बाद सरकार बदलने का रिवाज चला आ रहा है। इस ट्रेंड को तोड़ना कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अधिकांश लोगों को उम्मीद है कि बीजेपी इस बार राजस्थान में सरकार बदलनी की परंपरा के सहारे सत्ता में आ सकती है। यही वजह है कि कांग्रेस को चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को अधिक विश्वास दिलाना होगा कि कांग्रेस की गहलोत सरकार बीजेपी से बेहतर क्यों है।

प्रकाश कुमार पांडेय

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