राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट एक बार फिर टोंक से चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले पांच चुनाव में हर बार अपना विधायक बदलने वाली इस सीट से सचिन पायलट के सामने अपनी जीत का अंतर बढ़ाने की चुनौती बनी हुई है। लेकिन पायलट के समर्थक तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर अड़े हैं। समर्थक एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ज्यादा वोट के अंतर से चुनाव जिताने में जुटे हैं।
समर्थक चाहते हैं पायलट ही बने सीएम
- विधायक के तौर पर दी पायलट ने सौगात
बनास नदी पर बना 3 किमी लंबा पुल - शहर को गहलोद गांव से जोड़ता पुल
- 250 करोड़ की लागत से बना है पुल
- शहर से जुड़ेंगे गहलोद सहित आसपास के 50 गांव
- समर्थक चाहते हैं पायलट सीएम के तौर पर करें पुल का शुभारंभ
- टोंक के लोगों की मांग के बावजूद का सधा हुआ बयान
- सचिन पायलट का बयान मिलकर करना होगी जीत दर्ज
- विधायक और हाईकमान ही तय करेंगे अगला सीएम
- टोंक सीट से अपनी रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं पायलटबता दें 2018 चुनाव में पायलट ने गहलोत से दस हजार अधिक वोट से जीत दर्ज की थी। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या पायलट इस बार कांग्रेस की जीत की स्थिति में अपनी और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बीच की दूरी को पाट पाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि पायलट ने विधायक के तौर पर बनास नदी पर करीब साढ़े 3 किलोमीटर लंबा पुल बनाकर शहर को बड़ी सौगात दी है। यह पुल शहर को गहलोद गांव से जोड़ता है। करीब 250 करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल गहलोद सहित आसपास के लगभग 50 गांवों को शहर से जोड़ देगा। उनके समर्थक चाहते हैं कि इस पुल का शुभारंभ पायलट मुख्यमंत्री के तौर पर करें। टोंक के लोगों की मांग के बावजूद सचिन पायलट हमेशा यह कहते रहे हैं कि सबसे पहले हम सबको मिलकर जीत दर्ज करनी होगी। विधायक और हाईकमान ही अगला सीएम तय करेंगे। पर वह इस बार टोंक सीट से अपनी रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं। यही वजह है कि टिकट के ऐलान के फौरन बाद उन्होंने सभी बूथ कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनको जीत का मंत्र दिया।
पायलट सीएम बने तो लोकसभा में कांग्रेस की राह होगी आसान
सचिन पायलट समर्थक तर्क दे रहे हैं कि इस बार चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो सचिव पायलट को सीएम बनना चाहिए। समर्थक सिर्फ यही नहीं रुके उनका कहना है पायलट राजस्थान में मुख्यमंत्री बनते हैं तो लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी क्योंकि 2018 के चुनाव में सचिन पायलट के मुख्यमंत्री नहीं बनने से लोगों को मायूस होना पड़ा था। इस बार भी सचिन पायलट को मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिलने की उम्मीद है। टोंक के लोगों की मांग के बावजूद सचिन पायलट हमेशा यह कहते रहे हैं कि सबसे पहले हम सबको मिलकर जीत दर्ज करनी होगी। विधायक और हाईकमान ही अगला मुख्यमंत्री तय करेंगे। पर वह इस बार टोंक सीट से अपनी रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं। यही वजह है कि टिकट के ऐलान के फौरन बाद उन्होंने सभी बूथ कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनको जीत का मंत्र दिया। वार्ड और पंचायतों से भी बात की। पार्टी नेता मानते हैं कि रमेश विधूड़ी टोंक सीट पर तो ज्यादा असर नहीं डाल पाएगें, पर टोंक जिले की मालपुरा, देवली और निवाई सीट पर गुर्जर वोट पर असर डाल सकते हैं। पिछली बार चार में सिर्फ एक सीट भाजपा को मिली थी, जबकि तीन सीट पर कांग्रेस जीती थी। ऐसे में भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह टोक की ज्यादा से ज्यादा सीट जीत सके।
बनास नदी पर इसलिए जरूरी पुल
मानसून के दौरान बनास नदी में जलस्तर बढ़ जाता है। पानी अस्थायी पुल को बहाकर ले जाता है। अस्थायी पुल टूटने से गहलोद गांव सहित करीब 50 गांवों का संपर्क शहर से टूट जाता है। इन गांवों के लोगों को करीब 20 किलोमीटर लंबा चक्कर काटकर शहर पहुंचना पड़ता है। पुल का निर्माण कार्य जारी है। इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विकास को रफ्तार देने के लिए ऐसी कई योजनाओं की जरूरत है।
टोंक में हैं 60 हजार मुस्लिम मतदाता
टोंक सीट मुस्लिम बहुल होने से कांग्रेस पिछले 50 साल से मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारती रही है। यहां से जाहिदा खान कई बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच चुकी हैं। वहीं साल 1980 से लेकर 2013 तक बीजेपी सिर्फ हिन्दू प्रत्याशियों को ही टिकट देकर मैदान में उतारा। लेकिन पिछले 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने सचिन पायलट को टिकट दिया था। इस चुनाव में बीजेपी ने तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के दबाव में उनके खास और भरोसेमंद समर्थक युनूस अली को टोंक सीट से प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था। टोंक विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता करीब 60 हजार है जबकि 35 हजार मतदाता गुर्जर और 45 हजार अनुसूचित जाति हैं। वहीं 15 हजार मतदता ब्राह्मण वर्ग के हैं।