क्या राजस्थान में इस बार बदलेगा राज या कायम रहेगा रिवाज? क्या रंग लाएगी पायलट की बगावत?

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राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ सात महीने रह गए हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल चुनावी व्यूह बनाने में जुट गए हैं। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के सीएम अशोक गहलोत को भरोसा है कि उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं से इस बार के विधानसभा चुनाव में हर बार सत्ता बदलने का रिवाज बदल जाएगा, लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बागी तेवर देख बीजेपी उत्साहित है और उसे रिवाज बरकरार रहने का भरोसा है। वहीं राजस्थान में इस बार आम आदमी पार्टी भी पूरा जोर लगा रही है। इन दिनों आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का वोट कटवा पार्टी का दर्जा मिला हुआ है। दरअसल पिछले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को खासा नुकसान पहुंचाया था। यहां तक की कांग्रेस अब आम आदमी पार्टी को बीजेपी की बी टीम करने से भी नहीं चूक रही है। क्या है चुनावी समीकरण आइये जानते हैं।

राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 108 सीटें जीती हैं। जबकि बीजेपी 70, भाकपा माले 2 सीट, निर्दलीय 13 राष्ट्रीय लोक दल एक, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी तीन, और भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक चुनकर आए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 1.22 प्रतिशत वोट हासिल किये थे। करीब 1 लाख 77 हजार वोट अधिक हासिल कर कांग्रेस ने 79 सीटें बीजेपी से अधिक जीती थी। वही इतने वोटों के अंतर पर बीजेपी को 90 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। इससे बीजेपी सत्ता से दूर हो गई थी और 2018 में सत्ता बदलने का रिवाज कायम रहा।  राजस्थान में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी विधानसभा चुनाव की तैयारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसे में अपनी पिछली चुनावी की कमी को दूर करने के लिए बीजेपी अभी से जुट गई है। विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी प्रदेश की राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर काम कर रही है। बीजपी ने प्रदेशाध्यक्ष ब्राह्मण समाज के सीपी जोशी को बनाया तो राजपूत समाज के सात बार के विधायक राजेंद्र राठौड़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किये गये। वहीं प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए डॉक्टर सतीश पूनिया को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर बीजेपी ने जाट समाज को भी खुश करने की कोशिश की है।

राजस्थान में भी कांग्रेस के वोट काटेगी ‘आप’

इस बीच आम आदमी पार्टी ने राजस्थान में अपना संगठन मजबूत करने की दिशा में काम कर दिया है। कोटा के नवीन पालीवाल प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं। जो राज्य का दौरा कर रहे हैं। वहीं राज्य विधानसभा चुनाव का प्रभार राज्यसभा सदस्य और पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉक्टर संदीप पाठक पहले ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं तो दिल्ली के विधायक विनय मिश्रा राजस्थान प्रभारी के रुप में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं पार्टी ने दिल्ली के साथ पंजाब और गुजरात के 7 विधायक नरेश यादव, चेतर वसावा, अमनदीप सिंह गोल्डी, नरेंद्र पाल सिंह सवाना, शिवचरण गोयल, मुकेश अहलावत और हेमंत खावा को सह प्रभारी बनाया है।

ओवैसी भी मरुभूमि में बहा रहे पसींना

वहीं इस बार राजस्थान के चुनावी समर में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असादुदीन ओवैसी भी पसींना बहा रहे हैं। दरअसल राजस्थान में मुस्लिम वोटों की तादाद 9 प्रतिशत के आसपास है। राज्य की 40 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का दबदबा है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का पूरा संगठन पार्टी अध्यक्ष और नागोर से सांसद हनुमान बेनीवाल सक्रिय हैं। बेनीवाल ने पिछले दिनों दिल्ली में अपनी बेटी का जन्मदिन मनाया था। जन्मदिन की इस पार्टी में दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हुए थे।

सचिन पर कार्रवाई करने से बच रही कांग्रेस

सचिन पायलट कांग्रेस में 25 सितंबर 2022 की घटना में दोषी नेताओं पर कार्रवाई की मांग करते रहे हैं। कार्रवाई न होने से नाराज पायलट जयपुर में अनशन कर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। उन्होंने सीएम अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए दोनों को कठघेरे में खड़ा किया, लेकिन कांग्रेस अब उन्हें कठघेरे में खड़ा कर रही है। कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी करार दे चुके हैं। हालांकि पायलट के खिलाफ अब तक अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। नाराज पायलट को हनुमान बेनीवाल और आम आदमी पार्टी अघोषित तौर पर समर्थन दे रही है। दरअसल पार्टी आलाकमान यह जानते हैं कि पायलट के खिलाफ किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई की तो राजस्थान की स्थिति पंजाब की तरह हो सकती है। कांग्रेस के असंतोष से बीजेपी खुश है। बीजेपी को उम्मीद है कि कुल मिलाकर चुनावी दौर में कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का उसे लाभ मिलेगा और पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज कायम रहेगा।

जानिए राजस्थान में हर 5 साल में क्यों बदलती है सरकार

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