राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है। नवंबर दिसंबर में यहां चुनाव होना हैं। ऐसे में प्रमुख पार्टी कांग्रेस-बीजेपी के बड़े नेताओं ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी हैं। इसी बीच कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं ने अपनी उम्र के चलते चुनावी मैदान छोड़ने का फैसला किया है। ये हैं मंत्री हेमाराम चौधरी, विधायक दीपेंद्र शेखावत, भरतसिंह कुंदनपुर और अमीन खान जो चुनाव नहीं लड़के की घोषणा कर चुके हैं। उनके चुनाव न लड़ने के एलान ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। क्योंकि इस बार के चुनाव इस लहजे से खास हैं कि बीजेपी ने जहां युवा प्रदेश संगठन का गठन किया है तो कांग्रेस ने भी यह तय कर लिया है कि करीब 50 फीसदी टिकट युवा उम्मीदवारों को दिए जाएंगे। ऐसे में अब ये बात भी सामने आई है कि 70 साल से ज्यादा उम्र के कुल 25 विधायक दोनों पार्टियों में शामिल हैं।
कांग्रेस के 70 पार विधायक
सीएम अशोक गहलोत 72 साल के हैं
विधायक शांति धारीवाल 80 वर्ष के हैं
विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत 72 वर्ष
खेतड़ी विधायक बृजेंद्र ओला 70 वर्ष
विधायक अमीन खान 84 वर्ष
विधायक परसादीलाल मीणा 72 वर्ष
विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर 75 वर्ष
विधायक बीडी कल्ला 78 वर्ष
विधायक भरतसिंह कुंदनपुर 73 वर्ष
भाजपा के 70 पार वाले विधायक
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे 70 वर्ष
विधायक नरपत सिंह राजवी 72 वर्ष
विधायक कालीचरण सराफ 72 वर्ष
विधायक मोहनराम चौधरी 72 वर्ष
फलौदी विघायक पब्बाराम 72 वर्ष
विधायक वासुदेव देवनानी 73 वर्ष
विधायक कैलाश मेघवाल 89 वर्ष
विधायक सूर्यकांत व्यास 85 वर्ष
दोनों दल में 11 विधायकों के बेटे सक्रिय
वहीं दोनों दल में 11 विधायक ऐसे हैं जिनके पुत्र या पुत्री इस समय सियासत में सक्रिय हैं या फिर व अपने बेटे बेटियों को पॉलिटिक्स में लॉन्च करने की तैयारी में हैं। पिता विधायक चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो ऐसे में उनके बेटे उनकी सीट से दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी जोधपुर से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। मौजूदा दौर में वे आरसीए अध्यक्ष हैं।
कांग्रेस चाहती है चुनाव का मोह त्यागे बुजुर्ग विधायक
दरअसल राजस्थान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने यह साफतौर पर कहा है अधिक उम्र वाले विधायकों को अब अपना अगला चुनाव लड़ने का मोह त्यागना होगा। हालांकि उन्होंने यह भी माना राजनीति में कोई कटऑफ डेट नहीं होती। वहीं हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक के बाद संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से भी इस संबंध में बड़ा बयान आया था। उन्होंने कहा था कि विनिबिलिटी ही टिकट का आधार है। जितने वाले को ही टिकट दिया जाएगा।