राजस्थान में विधानसभा चुनावो के लिए कांग्रेस ने 5 नंवबर की देर रात लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में कई सारे दावेदारों को टिकट मिल गए लेकिन कई ऐसे चेहरे में भी हैं जो लगातार दावा करते रहे लेकिन उनको टिकट नहीं मिला। ऐसा ही एक नाम है रामेश्वर दाधीच का। रामेश्वर दाधीच ने पहले बगावती तेवर दिखाए थे। वे सूरसागर से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर भी गए, लेकिन बाद में नाम वापस ले लिया, इसके साथ ही वे बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
राजस्थान कांग्रेस को लगा बड़ा झटका
- मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी ने थामा बीजेपी का दामन
- नामांकन वापस लेकर BJP में शामिल हुए रामेश्वर दाधीच
- नामांकन वापसी के अंतिम दिन लगा सीएम गहलोत को झटका
- जोधपुर के पूर्व मेयर रह चुके हैं दाधीच
- सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं
- रामेश्वर दाधीच ने भरा था निर्दलीय पर्चा
- स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लिया नामांकन वापस
- नामांकन वापस लेने के साथ ही हो गए बीजेपी में शामिल
बता दें राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान जोरों पर है। हर पांच साल में सत्ता बदले जाने का रिवाज अपनाने वाले इस राज्य में अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल अंसुष्ट नेताओं को मनाने की कोशिशों में जुटे हैं। इस बीच कांग्रेस के बागी और राज्य की सूरसागर सीट से निर्दलीय नामांकन करने वाले रामेश्वर दाधीच ने गुरुवार को अपना नाम वापस ले लिया है। वे लड़ाई से बाहर हो गए हैं, लेकिन
बीजेपी में शामिल होकर वे कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी करेंगे। बता दें रामेश्वर दाधीच जोधपुर के पूर्व मेयर हैं। उन्हें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का करीबी भी माना जाता है।
राजस्थान के दूसरे अशोक गहलोत हैं दाधीच
दऱअसल रामेश्वर दाधीच को राजस्थान का दूसरा अशोक गहलोत कहा जाता है। क्योंकि वे गहलोत के हमशक्ल हैं। रामेश्वर दधीचि 2018 में जयपुर नगर निगम के मेयर बने थे। दाधीच मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी माने जाते हैं। दाधीच ने टिकट नहीं मिलने पर बागवती तेवर दिखा दिए। पहले उन्होंने सूरसागर सीट से निर्दलीय ही नामांकन जमा किया था? हालांकि बाद में नाम वापस ले लिया।
कांग्रेस पर आरोप लगाए दाधीच ने ये आरोप
दाधीच ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं। दाधीच ने कहा कि कांग्रेस की उनहोंने पूरी उम्र सेवा की और बदले में उनको क्या मिला। दाधीच ने कहा कि उनके साथ 36 कौम के लोग हैं। हांलाकि दाधीच ये आरोप लगाने से भी नहीं चूके कि सूर सागर मे पार्टी एक ही परिवार पर मेहरबान है। 2018 की हार के बाद भी अयूब खान परिवार को ही मौका दिया गया जो ठीक नहीं है।
कांग्रेस ने उनके साथ गलत किया- दाधीच
दरअसल से रामेश्वर दाधीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी ही नहीं बल्कि उनके हमश्कल भी हैं। रामेश्वर दाधीच कभी जयपुर के मेयर रह चुके हैं। इनका चेहरा अशोक गहलोत से काफी मिलता जुलता है। इसलिए इन्हें गहलोत को हमश्कल भी कहा जाता है। दऱअसल रामेश्वर दधीचि को 2018 में गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद जयपुर नगर निगम का मेयर बनाया गया था। अब दाधीच सूरसागर से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन उनको सूरसागर ने टिकट न देकर पार्टी ने किसी और को मैदान में उतार दिया था।