आसान नहीं होगी सचिन के लिए कांग्रेस से अलग राह,करना होगा इन सियासी ​परेशानियों का सामना

Sachin Pilot Ashok Gehlot

राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच दूरियां खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। सचिन पायलट 11 जून को अपने पिता राजेश पायलट की जयंती पर बड़ी सियासी फैसला कर सकते हैं। चर्चा है कि वे कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना सकते हैं। पायलट खेमे के मंत्री, विधायक और नेता लगातार पार्टी और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिशें कर रहे हैं।

अलग पार्टी बनाने की चर्चा भी इसी का एक रणनीतिक हिस्सा बताई जा रही हैं। हालांकि कांग्रेस सचिन पायलट पर कोई एक्शन लेती है, तो उसके लिए पायलट के पास प्लान भी तैयार है। जिसका खुलासा सचिन पायलट और उनके समर्थक नेता बिल्कुल भी करना नहीं चाहते हैं। ऐसे में पायलट के कांग्रेस छोड़ने और न छोड़ने की स्थिति में किसे कितना नफा नुकसान होगा इस पर सियासी चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि सचिन पायलट यदि कांंग्रेस से किनारा करते हैं तो पार्टी को सीधे सीधे विधानसभा की करीब 35 सीटों पर नुकसान होने की संभावना है। ये वो सीटें हैं जहां गुर्जर मतदाता अच्छा प्रभाव रखते हैं।

राजस्थान में कभी सफल नहीं रहा थर्ड फ्रंट का प्रयोग

हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि सचिन पायलट अजमेर में खुद के लिए नई सियासी जमीन तलाश कर रहे हैं। इसीलिए उन्होंने पिछले दिनों जनसंघर्ष यात्रा के लिए अजमेर को चुना था। वहीं कांग्रेस छोड़ने और नई पार्टी बनाने की स्थिति में सियासी जानकार कहते हैं कि राजस्थान की सियासत में थर्ड फ्रंट का प्रयोग कभी सफल नहीं रहा है। इतना ही नहीं अब क्योंकि विधानसभा चुनाव में महज कुछ ही माह का समय शेष बचा है। ऐसे में नई पार्टी बनाना और इसके बाद संगठन को राज्य भर में खड़ा करना मुश्किल नजर आ रहा है। नई पार्टी बनाने की दशा में पायलट यह सब कुछ कैसे करेंगे यह भी देखने लायक होगा।

क्या 2028 तक करना होगा इंतजार

सचिन पायलट और उनके समर्थक यह बात अच्छी तरह से जानते हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद फिर से कांग्रेस सरकार बनती है तो गहलोत को अब तक दिए गए मौकों का हवाला देकर पायलट को सीएम बनाने की पूरी संभावना है। कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं होने की स्थिति में पायलट 2028 के चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बन सकते हैं। यही वजह है कि सचिन पायलट ने जब 2020 में बगावत की थी तब भी अलग पार्टी बनाने की घोषणा नहीं की। हर बार सचिन पायलट ने सुलह करना ही बेहतर समझा। यही वजह है कि सचिन पायलट ने पिछले साढ़े चार के दौरान गहलोत सरकार पर दबाव बनाकर अपनी मांगें पूरी करवाने में सफल रहे हैं।

पिता की पुण्यतिथि पर दौसा में कार्यक्रम

राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि 11 जून को सचिन पायलट अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि के अवसर पर दौसा में श्रद्धांजलि कार्यक्रम करने जा रहे हैं। बता दें दौसा में ही एक सड़क दुर्घटना में राजेश पायलट का निधन हुआ था। यहां उनकी आदमकद प्रतिमा भी स्थापित की गई है। सचिन पायलट हर साल 11 जून को दौसा में श्रद्धांजलि अर्पित करने जाते हैं।

विदेश में राहुल गांधी और सोनिया गांधी

बता दें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का इसी माह 19 जून को जन्मदिन है, हालांकि वे 20 जून तक लंदन में रहेंगे। वहीं सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी भी अमेरिका के टूर पर हैं। ऐसी स्थिति में यह संभावना कम ही है कि पायलट का इतना बड़ा और अहम राजनीतिक कदम उठाएंगे।

किस फैसले से फायदे में होंगे पायलट

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