क्या लाल शास्त्री और नीतिश कुमार की तरह साहस दिखाएंगे अश्विनी वैष्णव,विपक्ष मांग रहा इस्तीफा

Railway Minister

ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे के बाद देश भर में शोक की लहर दिखाई दे रही है। हादसे की चपेट में तीन ट्रेन आईं हैं। जिसमें करीब 288 यात्रियों की मौत हो गई तो वहीं सैकंड़ों यात्री घायल बताए जा रहे हैं। दर्दनाक ट्रेन हादसे के बाद विपक्ष की पार्टियों ने केंद्र सरकार से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग तो की ही है। इसके साथ ही कई नेताओं ने कहा कि हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

वैसे ये रेल हादसा को पहली बार नहीं हुआ हुआ है। देश में इससे पहले भी कई रेल बड़े हादसे हुए हैं। बालासोर इस हादसे ने भारतीय रेलवे के उन तमाम हादसों की एक बार फिर याद दिला दी है, जिसमें कई यात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। देश में हुए अब बड़े रेल हादसों नजर डाले तो तारीख 6 जून 1981 को कौन भूल सकता है। जब बिहार में तूफान के कारण ट्रेन नदी में जा गिरी थी। इस रेल हादसे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। भारतीय रेल के इतिहास में इसे सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा करार दिया गया, क्योंकि इस हादसे में एक दो नहीं पूरे 800 रेल यात्रियों की मौत हुई थी। बिहार के मानसी से सहरसा जा रही एक पैसेंजर ट्रेन की सात बोगियां पुल को तोड़ते हुए नदी में समा गई थी।

इस रेल हादसे के बाद छोड़ दी थी शास्त्री जी ने कुर्सी

भारतीय रेल के 170 साल पुराने इतिहास में बिहार रेल हादसा काले धब्बे की तरह हैं। जिन्हें चाहकर भी मिटाया नहीं जा सकता है। इसके बाद और पहले कई छोटे बड़े रेल हादसे हुए। जिसमें नवंबर 1956 में हुए रेल हादसा, जिसमें 142 यात्रियों की मौत हुई थी। ये हादसा तमिलनाडु के अरियालुर में हुआ था। उस समय देश के रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री थी। जिन्होंने इस रेल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने शास्त्री जी को सर्वोच्च सत्यनिष्ठ व्यक्ति के रुप में सम्मानित किया था। वहीं अगस्त 1999 में गैसल ट्रेन हादसे में 290 रेल यात्रियों की मौत हुई थी। उस समय रेल मंत्रालय का कामकाज नीतीश कुमार के पास था।। जिन्होंने इस रेल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद दो और मौकों पर रेल मंत्री रहते हुए इस्तीफे की पेशकश की गई थी। जिसमें ममता बनर्जी ने 2000 में रेल हादसे के बाद अपने सद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ममा बनर्जी के इस्तीफे को खारिज कर दिया था। इसके बाद अगस्त 2017 में हुए रेल हादसे के बाद तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि उनका इस्तीफा भी मंजूर नहीं किया गया था।

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