परिसीमन का बहाना …केन्द्र पर निशाना है… CM स्टालिन ने चेन्नई में जुटाए तीन राज्यों के मुख्यमंत्री…फूंका केंद्र के खिलाफ ये बिगुल…
लोकसभा परिसीन की चर्चाओं के बीच दक्षिण भारत से अब विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की। जहां सीएम एमके स्टालिन ने विरोध की अगुआई करते हुए केंद्र की एनडीए सरकार के खिलाफ अधिक से अधिक ज्यादा राज्यों को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। दूसरी ओर इसी मसले पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है।
परिसीमन प्रक्रिया को लेकर मुखर हुए स्टालिन
तमिलनाडू के CM स्टालिन ने बुलाई थी अहम बैठक
चेन्नई में जुटाए तीन राज्यों के मुख्यमंत्री
परिसीमन को लेकर फूंका केंद्र के खिलाफ बिगुल
दरअसल जनसंख्या के हिसाब से लोकसभा सीटों का बंटवारा किये जाने को लेकर परिसीमन की तैयारी
हो रही है। दूसरी ओर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अलग ही मोर्चा खोल दिया है। स्टालिन का कहना है कि परिसीमन होने की स्थिति में खासकर दक्षिण भारत के राज्यों की लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी। मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत और दूसरे प्रदेशों की ओर से जनसंख्या नियंत्रण के लिए विभिन्न योजनाएं चलाईंं। इसके बाद जाकर यह सफलता मिली है।उनका यह भी कहना है कि जनसंख्या के हिसाब से विभिन्न राज्यों को लोकसभा की सीटें आवंटित करने की स्थिति में तमिलनाडु समेत दूसरे उन राज्यों का प्रतिनिधित्व लोकसभा में कम हो जाएगा। जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में काम किया। उन्होंने साथ ही यह भी कहा वे परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन निष्पक्षरुप से परिसीमन होना चाहिए।
चैन्नई में हुई ज्वाइंट एक्शन कमेटी की पहली बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी और पंजाब के सीएम भगवंत मान मौजूद रहे तो वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार जैसे नेताओं ने भी हिस्सा लिया।
स्टालिन को सीट घटने की आशंका
सीएम एमके स्टालिन ने कहा अगली जनगणना के आधार पर चुनाव क्षेत्रों का जनसंख्या-आधारित परिसीमन कुछ राज्यों में सीटों की संख्या
को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है। खासतौर पर जिन राज्यों ने अपने यहां विभिन्न सामाजिक पहल और प्रगतिशील कल्याणकारी योजनाओं के जरिए जनसंख्या को नियंत्रित किया है। इसके चलते यह राज्य संसदीय प्रतिनिधित्व को काफी हद तक खो देंगे।
एमके स्टालिन ने इसे समझते हुए उन्होंने पिछले दिनों पांच मार्च को तमिलनाडु के सभी दलों की एक बैठक की थी। स्टालिन ने कहा उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि मौजूदा जनसंख्या के आधार पर लोकसभा की 543 सीटें कम की जाती हैं, तो तमिलनाडु में आठ सीटों का नुकसान हो सकता है। यदि संसद में सीटों की कुल संख्या में वृद्धि की जाती है, तो तमिलनाडु को वर्तमान प्रतिनिधित्व के अनुसार वास्तविक वृद्धि की तुलना में करीब 12 लोकसभा सीटों का नुकसान होगा। यह हमारे राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर सीधा सीधा प्रहार होगा। इस बैठक के बाद केंद्र सरकार से परिसमीन को आने वाले 25 साल तक के लिए टालने का आग्रह किया है।
जगनमोहन ने लिखी पीएम को पाती
वहीं आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें परिसीमन की प्रक्रिया को इस तरह से करने की अपील की है कि किसी भी राज्य में सीटें कम नहीं हों। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में वाईएसआरसीपी प्रमुख ने लिखा है कि राज्यों को लोकसभा या राज्यसभा में प्रतिनिधित्व में कोई कमी न हो।
जगनमोहन रेड्डी ने पीएम से परिसीमन की प्रक्रिया को इस तरह से करने का अनुरोध किया है कि जिससे किसी भी राज्य को सदन में कुल सीटों की संख्या के मामले में लोकसभा या राज्यसभा में अपने प्रतिनिधित्व में कोई कमी का सामना नहीं करना पड़े। जगन मोहन रेड्डी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि संविधान में इस तरह संशोधन किया जाए कि किसी भी राज्य को लोकसभा में अपने प्रतिनिधित्व में कमी का सामना न करना पड़े।