राजस्थान की राजधानी जयपुर में इन दिनों वीरांगनाओं की मांग को लेकर सियासत गरमा गई है। ये वो वीरांगनाएं हैं जिनके पति पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए थे। ऐसे में राजधानी जयपुर में इन दिनों भारतीय सेना के शहीद जवानों की वीरांगनाओं को लेकर सियासी पारा चढ़ता दिखाई दे रहा है। यहां जयपुर में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बंगले के बाहर पिछले पांच दिन से धरने पर बैठी तीन वीरांगनाओं सहित उनके 8 परिजन और साथियों को जयपुर पुलिस ने आखिर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को गिरफ्तार कर उन्हें सेज थाने ले गई।। वहीं वीरांगनाओं को एंबुलेंस से उनके घर पहुंचाया गया। इस पर सियासी बयान बाजी भी शुरु हो गई है।
- पायलट के बंगले के बाहर कर रही थी वीरांगनाएं धरना
- फिर हुई पुलिस सख्त,एंबुलेंस से पहुंचाया जबरन घर
- रातों-रात तीनों महिलाओं को पहुंचाया घर
- परिवार के 8 लोग और साथी गिरफ्तार
- राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा गिरफ्तार
- चोमू विधायक मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा भी गिरफ्तार
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने वीरांगनाओं के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा वीरांगनाओं की बात सुनी जाना चाहिए थी। उनकी मांगों को मानना या नहीं मानना ये बाद का मुद्दा था। जहां तक नौकरियों की बात है। किसी को एक-दो नौकरी देने से बदलाव आने वाला नहीं है। ये मामला मार्मिक है। इसे उसी तरह से डील भी करना चाहिए। सचिन पायलट ने कहा अगर किसी को कुछ नहीं भी देना चाहें तो बैठकर मिलकर संवेदनशील होकर समझाएं। हो सकता है इससे मामला बेहतर बन सकता था। सचिन पायलट ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा उन्हें नहीं लगता कि इसमें कांग्रेस, बीजेपी या जनता दल या इस प्रकार की बातें करनी चाहिए। यह देश, एक दल का नहीं है यह पूरे भारतवासियों का है। भारत की फौज पूरे देश की रक्षा करती है। सैनिक सरहद पर खड़े होकर गोली खा रहे हैं। गोली खाने को तैयार हैं। ये सैनिक किसी जाति धर्म और विचारधारा के लिए नहीं पूरे देश की रक्षा के लिए खड़े हैं। उनके मान सम्मान में कोई कमी नहीं आने देनी चाहिए और ऐसा लगना भी नहीं चाहिए। सचिन ने कहा किसी तरह की कोई गलतफहमी है, ज्यादा मांग की जा रही है बैठकर समझा सकते थे। जिससे बेहतर समाधान निकल सकता था।
वीरांगनाओं का किया जा रहा सियासी इस्तेमाल-मुख्यमंत्री गहलोत
बता दें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि वीरांगनाओं को पैकेज दिया जा चुका है। बीजेपी के कुछ नेता वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर सियासी रोटियां सेंक रहे हैं। सीएम गहलोत ने कहा की शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकंपा नियुक्ति मांग रही है जो नियमों के विरुद्ध है। इन्हें नौकरी दे दी जाती है तो आगे चलकर सभी वीरांगनाओं के परिजन और रिश्तेदार नौकरी मांगेंगे। जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उनका क्या होगा। वहीं शहीद हेमराज मीणा की पत्नी की मांग है सांगोद चौराहे पर उनकी मूर्ति लगवाई जाए। स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाए। इसी तरह वीरांगना मंजू जाट का कहना है अब सरकार नियमों में नही होने की बात कह रही है जबकि मंत्रियों ने पहले घोषणा की थी।
मुंह में घास रखकर किया प्रदर्शन
वीरांगनाओं ने मुंह में घास रखकर प्रदर्शन किया था। इनका कहना था की वीरांगना सरकार की गाय हैं। लेकिन गहलोत सरकार ने इनकी नहीं सुनी। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बंगले के बाहर से आखिर वीरांगनाओं को एंबुलेंस में घर पहुंचाया गया। साथ ही वीरांगनाओं के साथ धरना दे रहे राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को गिरफ्तार किया गया। किरोड़ी लाल मीणा और पुलिस में काफी झड़प हुई। लेकिन पुलिस ने सांसद किरोड़ी मीणा को गिरफ्तार करने से पीछे नहीं हटी। डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा को गिरफ्तार करने के बाद राजकीय सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र गोविंदगढ़ से जयपुर एसएमएस रैफर किया गया। बताया जाता है कि पुलिस से हुई धक्कामुक्की के दौरान वे घायल हो गए थे।
दरअसल, 2019 को पुलवामा में शहीद हुए तीन सैनिकों की विधवाएं विरोध दर्ज करा रही हैं। उनकी मांग है कि राजस्थान सरकार ने उनसे की मांगें पूरी नहीं की। अपनी मांगों के लेकर तीनों वीरांगनाएं पहले सीएम अशोक गहलोत से मिलने पहुंचीं थीं, लेकिन वहां कथित तौर पर पुलिस ने तीनों वीरांगनाओं के साथ बदसलूकी की। इससे पहले तीनों विधवाओं ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से भी मुलाकात की। वादा पूरा नहीं करने पर अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी। पुलिस की कथित बर्बरता का शिकार हुईं वीरांगनाओं का कहना है कि कई मंत्री उनके घर आए और बड़े-बड़े वादे किए। लेकिन उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सरकार ने उससे वादा किया है कि वह उसके पति की मूर्ति उसके गांव में लगाएगी और स्थानीय स्कूल का नाम उसके पति के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने दावा किया कि वादे पूरे नहीं किए गए।