नए संसद भवन को उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू करेंगी। इसी मांग पर विपक्षी दल अड़े हुए हैं। इसके लिए कई दलों ने लामबंद होना भी शुरु कर दिया है। इसी बीच खबरें ये भी आ रहीं है कि विपक्ष खुद की ताकत दिखाने के लिए इस तरह की कवायद कर रहा है। इसी बीच विपक्ष को एक जुट करने में लगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडयू ने इस विवाद पर कई सवाल उठाए हैं।जेडीयू के एक नेता ने विरोध की वजह का जिक्र किया और एक शख्स पर सवाल भी उठा दिए। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में जहां पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह पर सवाल उठाए हैं वहीं अतीत के कुछ अनुभवों को भी उन्होंने शेयर किया है।
भाजपा को दिया दो टूक जवाब
जनता दल यूनाईटेड के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भाजपा को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि ये लोग सवाल उठा रहे हैं कि नीतीश कुमार ने उद्घाटन में राज्यपाल को क्यों नहीं बुलाया। मैं साफ बता देता हॅूं कि राष्ट्रपति का नॉमिनेट नहीं होते हैं उनका बकायदा चुनाव होता है। जबकि राज्यपाल की नियुक्ति किसी चुनावी प्रक्रिया के तहत नहीं होती है ऐसे में आप तुलना कैसे कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा से बेहतर नौटंकी कोई नहीं कर सकता है। उन्होंने आदिवासियों के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं कराना मतलब देश के प्रथम नागरिक (राष्ट्रपति) का अपमान किया है।
सब कुछ हम करेंगे की भावना है
जेडीयू प्रवक्ता ने पिछले इतिहा का जिक्र करते हुए कहा कि 1970 में तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने संसद भवन की एनेक्सी बिल्डिंग का भूमि पूजन और शिलान्यास किया था। इंदिरा गांधी ने उद्घाटन किया था। लेकिन आज तो हम ही शिलान्यास भी करेंगे और हम ही उद्घाटन भी करेंगे। हमारी समझ है कि पीएम मोदी और अमित शाह ये सीधे तौर पर राजनीतिक रूप से साजिश के तहत जो आदिवासी है उनको राजनीतिक रूप से अछूत मानते हैं।
निशाने पर आए बिमल पटेल
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार के निशाने बिमल पटेल भी आ गए। प्रवक्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि शातिराना तरीके से क्या काम किया गया। जो व्यक्ति केवल गुजरात में खुद बड़े शिल्पकार, वास्तुकार और आर्किटेक्ट थे। उन्हें दूसरे राज्यों क्यों काम दिया गया। जब तक मोदीजी गुजरात के सीएम थे तब तक बिमल पटेल को लगातार काम मिलता रहा है। जब मोदीजी दिल्ली आते हैं तो पटेल को दिल्ली में काम मिलने लगता है। बिमल में ऐसी कौन सी खास बात है कि उन्हे ही काम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस बेकर की डिजाइन को ब्रिटिश हुकूमत के समय रद्द कर दिया गया था उसी त्रिकोण वाली डिजाइन पर कैसे सहमति प्रदान कर दी गई।