सिंधिया के ‘किले’ में ‘सेंधमारी की तैयारी,ग्वालियर-चम्बल में सियासी हलचल तेज, क्या ग्वालियर-चम्बल के पास है सत्ता की चाबी!

Political stir in Gwalior Chambal Does Gwalior Chambal have the key to power

मप्र में साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होना हैं। ऐसे में कांग्रेस ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। खासकर ग्वालियर चंबल अंचल पर कांग्रेस की नजर है। जब से सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी है तब से कांग्रेस यहां कमजोर दिखाई देने लगी है। ऐसे में कमलनाथ ने इस अंचल पर खास फोकस किया है। लगातार दौरे कर रहे हैं। 5 फरवरी को भी वे एक बार फिर ग्वालियर का दौरा करेंगे। इस दौरान ग्वालियर चंबल अंचल को साधने का प्रयास किया जाएगा।

रविदास जयंती पर थाटीपुर में कमलनाथ की सभा

पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 5 फरवरी को ग्वालियर दौरे पर हैं। संत रविदास की जयंती पर यह दौरा आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान एक विशाल जनसभा क़ा आयोजन थाटीपुर स्थित दशहरा मैदान पर किया जाएगा। इस दौरे को लेकर ग्वालियर के कांग्रेसियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है दरअसल 2018 में बनी कांग्रेस की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलग होने के बाद गिर गई थी। ऐसे में सिंधिया के गढ़ को कमलनाथ ने भेदने की तैयारी कर ली है। सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर चंबल अंचल पर कांग्रेस का ज्यादा फोकस है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 5 फरवरी को ग्वालियर जिले के दौरे पर रहेंगे। जहां कमलनाथ एक आम सभा को संबोधित करेंगे। इस मौके पर सीमावर्ती जिलों के कार्यकर्ताओं से भी फीडबैक लेंगे।

संभाग को साधने निकलेंगे कमलनाथ

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में ग्वालियर चंबल अंचल की बेहद अहमियत है। ग्वालियर चंबल अंचल में ग्वालियर और चंबल संभाग के कुल 8 जिले हैं। 8 जिलों में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 34 सीटों में से 20 पर कब्जा जमाया था। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा और 26 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी को 2013 के मुकाबले 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था और 2018 में 7 सीटों पर सिमट गई थी।

कई मायनों में अहम है कमलनाथ का दौरा

पांच फरवरी का कमलनाथ का दौरा कई मायनों में अहम हैं। कुछ माह बाद ही विधानसभा चुनाव हैं। ग्वालियर चंबल अंचल में सिंन्धिया समर्थकों को हराना कमलनाथ के लिए नाक का सवाल है। क्योंकि सिंन्धिया के कांग्रेस छोड़ने पर ही कमलनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। और वह जख्म अभी तक हरा है। जिसकी टीस कमलनाथ के बयानों में साफ दिखाई देती है। अब सिंन्धिया के गढ़ में कमलनाथ दलित वोटों को साधकर जोरदार तरीके से चुनावी बिगुल फूंकने का प्रयास करेंगे।

ग्वालियर-चंबल अंचल की 16 सीटें हैं बीजेपी के पास

लेकिन साल 2020 में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की ही थीं। विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल कर एक बार फिर ग्वालियर चंबल में कांग्रेस को पटखनी दी थी। तब सिंधिया ताकत दिखाने में कामयाब रहे। यही वजह है कि अगले साल होने वाले चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी होंगी।

सिंधिया के रहते कभी ग्वालियर नहीं गए कमलनाथ

बता दें कि जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तब कमलनाथ ग्वालियर नहीं आते थे। कई बार प्रेसवार्ता में भी कमलनाथ यह बात कह चुके हैं कि सिंन्धिया थे। इसलिए वे कभी नहीं गये। अब जब सिंन्धिया भाजपा में है तो इस अंचल में कांग्रेस को मजबूत करना कमलनाथ के लिए एक चुनौती है। जिसे स्वीकार करते हुए अब वह यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं।

 

Exit mobile version