क्या अचानक लिया है जातीय जनगणना का फैसला:इसके पीछे बिहार के सीएम नीतीश की क्या है भूमिका?…क्या जातिगत गणना की जड़ में हैं नीतीश बाबू! मुद्दा विहीन महागठबंधन!
बिहार में जारी कई योजनाओं को केंद्र की एनडीए सरकार की ओर से अपनाया गया है। इसमें अब जाति की जनगणना भी का मुद्दा भी शामिल हो गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जातिगत जनगणना की पुरानी मांग को मंजूर कर दिया है। ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारे को गढ़ने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने अब जाति की गिनती को हरी झंडी दे दी है। बता दें बिहार की नीतीश कुमार सरकार की ओर से जाति आधारित गणना के बाद अपने राज्य में करीब 94 लाख गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दो-दो लाख रुपए देने का फैसला लिया था।
- बिहार में चुनाव से पहले आहर आईं अंदर की बात बाहर
- पीएम ने की सीएम नीतीश की मांग पूरी
- नीतीश कुमार ने रखी थी केन्द्र के सामने जातिगत सर्वे की मांग
- महागबंधन में रहते हुए नीतीश कुमार मांग को लेकर मिले से पीएम से
अब कुछ लोग सोच रहे हैं ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसा नारा देने की बात करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी अचानक पूरे देश में जातीय जनगणना के लिए आखिर तैयार कैसे हो गए? सर्वोच्च न्यायालय में कास्ट सेंसस से बचने के लिए इससे पहले कई तरह की दलीलें केंद्र सरकार ने दी थी। इतना ही नहीं बिहार में जातीय सर्वे की भी खुले मंच से कई मर्तबा आलोचना की गई। लेकिन अब अचानक हालात बदल गए। विपक्षी महागठबंधन के साथ रहकर बिहार में कास्ट सर्वे कराने के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार अब एनडीए के पाले में आ गए हैं। वैसे बिहार की कई योजनाओं को केंद्र की एनडीए सरकार की ओर से बड़े स्तर पर स्वीकार किया है। उसमें अब बिहार का जातीय सर्वे भी शामिल हो गया है।
जातिगत गणना की जड़ में नीतीश बाबू!
पीएम नरेन्द्र मोदी बिहार के लोकप्रिय और बिहार के विकास के लिए पूरी तरह से समर्पित हमारे लाडले सीएम का तमगा तो नीतीश कुमार को बहुत पहले ही दे चुके हैं। बताया जाता है कि पूरे देश में जातिगत जनगणना कराए जाने के फैसले की जड़ में भी नीतीश बाबू ही हैं। उनकी पुरानी इस मांग को पीएम मोदी की एनडीए सरकार ने स्वीकार कर लिया है इसके साथ उसे धरातल पर भी उतारने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
श्रेय लेने के लिए लालू ने ठोके रहे दावा
आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव का भी दावा है कि ‘उनके कहने पर ही 1996-97 में तत्कालीन संयुक्त मोर्चा की केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना को कराने का फैसला लिया था। इसके बाद बनी एनडीए की सरकार ने इस फैसले को लागू नहीं किया। हालांकि यह भी सच है कि तत्कालीन पीएम स्वर्गीय मनमोहन सिंह के 10 साल के शासन काल में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी केन्द्र की सरकार में अहम भागीदार थी, लेकिन उस समय जातीय जनगणना को लेकर कोई पहल नहीं की गई। अब लालू जाति आधारित जनगणना के फैसले का श्रेय ले रहे हैं।
जाति की गणना तो महज बहाना है…आरक्षण निशाना है?
कास्ट सेंसस के लिए मिशन के तौर पर काम करने का श्रेय बिहार के सीएम नीतीश कुमार को ही दिया जाता है। बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने इस संबंध में जमकर माहौल बनाया था। हालांकि यह अलग बात है कि तब नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। बिहार में सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी पार्टियों की सहमति ली गई थी। इसके बाद सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं को लेकर दिल्ली भी गए। वहां पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की। अंतत: बिहार में कास्ट सर्वे हो गया। नीतीश बाबू ने डेटा भी सार्वजनिक कर दिया। इसके आधार पर नीतीश कुमार सरकार ने 65 प्रतिशत आरक्षण भी अपने राज्य में लागू कर दिया। हालांकि बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन गरीबों के जो डेटा सरकार को सर्वे में मिला उसके आधार पर नीतीश सरकार आगे काम कर रही है।
झटके में बदल डाला बिहार में चुनावी मुद्दा
बिहार में नीतीश बाबू की सरकार के कास्ट सर्वे से कई जानकारी आईं। जिसमें पता चला कि बिहार में 94 लाख परिवार अत्यंत गरीबी में जी रहे हैं। इन गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने दो-दो लाख रुपए देने का फैसला किया और उस अमल भी किया। इस पर फेजवाइज काम किया जा रहा है। हालांकि जातिगत सर्वे और उसके फाइंडिंग के पूरे काम तब हुए थी जब बिहार में नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। इसके बाद ही नीतीश कुमार पूरे देश में विरोध दलों को एक कर महागठबंधन बनाने की अपनी मुहिम पर चल पड़े । जिससे लोकसभा चुनाव 2024 में तत्कालीन केंद्र की मोदी सरकार को हराया जा सके। इंडी गठबंधन ने भी कास्ट सर्वे को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो इसे अपना मिशन ही बना रखा था। हालात तेजी से बदल, नीतीशकुमार ने पाला बदला, एनडीए में शामिल हुए और अब केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला लेकर बिहार चुनाव में विपक्ष के एक बड़े मुद्दे को एक झटके में बदल दिया।..प्रकाश कुमार पांडेय