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जानें कितने अहम और पुराने हैं भारत – रूस के बीच संबंध…! अटलजी ने भी कहा था पाक-चाइना से निपटने के लिए जरुरी है रूस जैसा एक पक्का यार

DigitalDesk by DigitalDesk
July 9, 2024
in दिल्ली, मुख्य समाचार, राजनीति, संपादक की पसंद
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PM Modi visit to Russia India Russia relations Russian President Vladimir Putin India Russia Annual Summit
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पीएम नरेन्द्र मोदी की दो दिवसीय रुस यात्रा का मंगलवार को दूसरा दिन है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू करने के बाद से पीएम नरेन्द्र मोदी की रूस की यह पहली यात्रा है। पीएम मोदी जब मॉस्को पहुंचे तो रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव ने उनका हवाई अड्डे पर जोरदार स्वागत किया। इस दौरान भातर के प्रधानमंत्री मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वहीं सोमवार की शाम को पीएम नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मुलाकात हुई। यह मुलाकात बेहद खास थी, क्योंकि यह राष्ट्रपति के अधिकारिक सरकारी आवास पर नहीं बल्कि पुतिन ने ​अपने निजी घर में पीएम नरेन्द्र मोदी को स्पेशल डिनर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी आज मंगलवार को राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने वाले हैं। इसके साथ ही मॉस्को में 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भी पीएम मोदी हिस्सा लेंगे।

  • भारत-रुस शिखर सम्मेलन में लेंगे हिस्सा-PM
  • नए ट्रेड रूट,रक्षा समझौतों पर बन सकती सहमति
  • मेजबानी के लिए पीएम मोदी ने माना राष्ट्रपति पुतिन का आभार
  • पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिये जताया पुतिन का आभार

पीएम मोदी औरर रुसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात पर दुनिया की नजर है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रसिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्पक्षिय वार्ता और भारत रुस​ शिखर सम्मेलन के लिए 9 जुलाई का ही दिन क्यों चुना उसे पर पूरी दुनिया में बहस हो रही है। दरअसल आज 9 जुलाई को होने वाली मोदी और पुतिन की मास्को में उसे समय होगी जब अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में नाटो का सम्मेलन चल रहा होगा। यानी एक और रूस और भारत के प्रमुख नेता मिल रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर पुतिन के दुश्मन नाटो देश वॉशिंगटन डीसी में बैठक कर रहे हैं। यही वजह है कि पश्चिमी देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और राष्ट्रपति पुतिन की द्विपक्षी वार्ता से इस मुलाकात से खुश नहीं है। इसका कारण है इस बैठक की टाइमिंग।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे की बड़ी बातों को लेकर प्रमुख बातों को लेकर प्रमुख बिंदु को लेकर चर्चा की जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा को रुस ऐतिहासिक बता रहा है। क्योंकि जब तीसरी बार चुनकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो रुस पहला देश है जिसके साथ वे द्वीयविपक्षी वार्ता के लिए रुस पहुंचे हैं। यह दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को भी दर्शाता है। ऐसी स्थिति में जब पश्चिमी देशों की कोशिश लगातार यह रही है कि किस तरह से रूस को अलग-अलग किया जाए भारत के प्रधानमंत्री ने यह संदेश दिया है कि भारत मजबूती से अपने मित्र देश रूस के साथ खड़ा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्राइवेट डिनर भी दिया है। इस दौरान दोनों ने कई मुद्दों पर बातचीत की। इसे इसलिये भी खास माना जा रहा है क्योंकि यह डिनर राष्ट्रपति पुतिन ने अपने पर्सनल हाउस में अपने मित्र नरेन्द्र मोदी को दिया था। इस दौरान दोनों ने खुलकर बातें की। पुतिन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह भारत और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके बेहद घनिष्ठ मित्र हैं।

1955 में हुई थी भारत-रूस सम्बन्धों की नई शुरुआत

वैसे भारत और रुस की मित्रता आज की नहीं है। यह कई दशक पुरानी है। भारत ने भले ही गुटनिरपेक्षता की नीति निति अपनाई लेकिन भारत की रूस से मित्रता जगजाहिर है। अच्छे संबंध के पीछे कई राजनितिक व आर्थिक कारण हैं, न केवल सोवियत संघ ने भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखे थे, बल्कि समय समय पर रूस ने भारत की आर्थिक और सामरिक रूप से भी भरपूर मदद भी की। इस वजह से भारत के रूस के साथ संबंध और नया रूप लेते गये। भारत और रुस के बीच सम्बन्धों की शुरुआत 1955 में हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और सोवियत रूस के नेता ख्रुश्चेव के भारत दौरे के बाद नई शुरुआत हुई थी। सोवियत रूस ने विश्व पटल पर कश्मीर विवाद पर न सिर्फ भारत का समर्थन किया बल्कि आर्थिक व सैन्य सहायता भी दी। 1965 के भारत पाक युद्ध में रूस ने मध्यस्था कर दोनों देशों के बीच ताशकंद समझौता करवाया। वहीं 1971 में भारत और रुस ने शान्ति, मित्रता के साथ सहयोग सम्बन्धी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके फलस्वरूप भारत को उसी साल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में रुस की सहायता मिली। इसके बदले में भारत की ओर से भी सोवियत रूस की नीतियों का समर्थन किया गया और साल 1979 में रूस ने जब अफगानिस्तान पर हमला किया तो भारत ने मित्र देश होने के नाते सोवियत रूस का समर्थन किया था।

1991 में सोवियत रूस का विघटन

1991 में सोवियत रूस के विघटन के बाद रूस की स्थति अपेक्षाकृत कमजोर हो गईं। इसलिए रूस के लिए यूरोप के देशों से बेहतर संबंध रखना उसके आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से आवश्यक हो गया। उसने ऐसा ही किया। इस दौरान भारत से उसके संबंध सामान्य रहे। किन्तु रुसी व्यापार एवं संबंध केंद्र में यूरोप के विकसित राष्ट्र एवं एशिया के जापान व चीन विकसित देश थे। 1993 में जब रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आए तो उन्होंने 1971 में हुए भारत सोवियत रूस समझौते का नवीनीकरण किया। यदपि इस नवीनीकरण में सुरक्षा सम्बन्धी पक्षों को हटा लिया गया। फिर भी इस समझौते से दोनों देशों के सम्बन्धों में सहायता मिली।इसके बाद 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव रूस की यात्रा पर गये एवं दोनों देशों के आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए मास्को घोषणापत्र पर रुसी राष्ट्रपति येत्सिन के साथ हस्ताक्षर किए।
साल 1971 में तत्कालीन प्रधानमत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और रूस के कद्दावर विदेश मंत्री आंद्रेई ग्रॉमिको के बीच समझौता हुआ था। एक ऐसे समझौते के लिए जिसके बाद भारत के लिए रूस आधी दुनिया से टकरा गया था। दरअसल 1971 में पाकिस्तान में बंगाली लोगों की हत्या हुई थी। भारत ने युद्ध छेड़ा लेकिन तब अमेरिका ने भारत को विलेन कहना शुरू किया था। यूके, फ्रांस, यूएई, टर्की, इंडोनेशिया, चीन और आधी दुनिया ने पाकिस्तान का साथ दिया लेकिन रूस ने दोस्ती निभाई और समुद्री रास्ता रोककर अमेरिका, ब्रिटेन समेत दूसरे देशों के पोत को भारत पर हमला करने से रोक दिया था।
बात 1984 की करें तो रूस ने भारत को सिर्फ जंग के मैदान में ही नहीं बल्कि आसमान और अंतरिक्ष को फतह करने में भी साथ दिया। साल 1975 में भारत ने अपने पहले उपग्रह आर्यभट्ट का प्रक्षेपण किया था जिसमें रुस ने मदद की। फिर 1984 में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भी रूस ने ही भारत की मदद की थी।
1971 के बाद तो भारत रूस की मित्रता दुनिया में एक मिसाल बन चुकी थी और दुनिया के दूसरे देश इस दोस्ती पर नजर लगाने में जुट गए। सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव जब आधिकारिक दौरे पर भारत आए तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, मिखाइल गोर्बाचेब की अगवानी के लिए राजीव गांधी स्वयं एयरपोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद साल 1993 में रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन भारत आए। इस दौरान राष्ट्रपति भवन में स्वागत समारोह रखा गया, जिसमें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.शंकरदयाल शर्मा ने रुसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन का स्वागत किया।

अटलजी ने कहा था दोस्त बदल सकते हैं पड़ोसी नहीं

2000 में दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं कहने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भी समझते थे कि पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी से निपटने के लिए रूस जैसा एक यार तो पक्का ही साथ होना चाहिए। इसीलिए दोस्ती को मजबूत करने के लिए अक्टूबर 2000 में वाजपेयी और राष्ट्रपति पुतिन मिले। इस दौरान भारत और रूस के बीच सामरिक भागीदारी के समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। बात करें 2007 की तो अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सरकार भले बदल गई हो पर भारत को लेकर पुतिन के प्यार में कोई कमी नहीं आयी। एक बार फिर पुतिन भारत आए और हिंदुस्तान को परमाणु ऊर्जा के लिए तकनीक और संसाधन देने का वादा किया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की मौजूदगी में ये समझौता हुआ।

2014 में पहली बार पुतिन ने मोदी को लगाया था गले

इसके बाद 2014 में जब नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने पर दुनिया भर में हाय तौबा मची कि भारत की यह सरकार अमेरिका के ज्यादा करीब है। लेकिन पुतिन को पता था भारत कहीं नहीं जाने वाला है। यही वजह है कि एक बार फिर जब पुतिन 2014 में भारत आए और अपने कलेजे से प्रधानमंत्री मोदी को लगाया तो आधी दुनिया के देश इस दोस्ती को देख जल गए। 2021 में जब मामला कश्मीर का आया तो रूस ने आगे बढ़कर संयुक्त राष्ट्र में भारत की आवाज बुलंद की। अब ड्रैगन को जवाब देने के लिए रूस भारत को एस 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भेजी। रूस भारत को सुखोई एसयू 30एमकेएल, जेट फाइटर का अपडेट वर्जन देता है। जिसका वह अपने देश की सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल करता है। इसलिए पीएम नरेन्द्र मोदी की यह रुसी यात्रा अहम है।

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Tags: # # India-Russia annual summit#India Russia Relations#PM Modi visit to RussiaRussian President Vladimir Putin
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