क्या है पेगासस स्पाईवेयर, iPhone को भी बनाता है निशाना, जाने कैसे करता है काम
नई दिल्ली- देश में एक बार फिर इसराइली पेगासस स्पाइवेयर को लेकर चर्चा तेज हो गई है. पेगासस स्पाइवेयर के जरिए देश के कई राजनेताओं, जर्नलिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता, कई संस्थाओं समेत चर्चित हस्थियों की जासूसी कराने का आरोप लग रहा है. तमाम विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ सवाल उठाए है. हाल ही में एक अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम में छपी रिपोर्ट के बाद से सरकार भी घिरती नजर आ रही है. क्या है पेगासस स्पाइवेयर, कैसे लोगों की स्पाइवेयर के जरिए होती है जासूसी… तो चलिए आपको बताते हैं…
भारत में साल 2021 को अस्तित्व में आया
पेगासस स्पाईवेयर को लेकर पिछले साल जुलाई में एक मीडिया संस्थान ने चौंकाने वाले दावें किए थे. उन दावों में कहा गया था कि दुनियाभर में अपने विरोधियों, जर्नलिस्ट और कारोबारियों को निशाना बनाने के लिए कई देशों ने पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग किया है. जिसमें भारत की सरकार ने भी अपने विरोधियों की जासूसी के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है. इस मीडिया संस्थान की रिपोर्ट आने के बाद सभी विरोधी पार्टी के नेताओं ने सरकार पर जमकर हमला किया था. केंद्र सरकार पर लगे इन कथित जासूसी के आरोपों को लेकर दर्जनभर याचिकाएं दायर होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2021 को रिटार्यड जस्टिस की अध्यक्षा में एक जांच समिति बनाई थी.
पेगासस स्पाईवेयर क्या होता है?
पेगासस स्पाईवेयर एक जासूसी सॉफ्टवेयर है. स्पाईवेयर का मतलब जासूसी सॉफ्टवेयर होता है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए जिस व्यक्ति को टारगेट करना होता है. उस व्यक्ति के मोबाइल फोन, कंप्यूटर, लेपटाप में बिना उस व्यक्ति की जानकारी के इंस्टाल कर दिया जाता है. इसके बाद यह सॉफ्टवेयर उस डिवाइस के डाटा को चुराने लगता है.
पेगासस स्पाईवेयर को किसने बनाया?
पेगासस स्पाईवेयर को इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है. यह एक ऐसा साफ्टवेयर है जिसे टारगेट व्यक्ति के फोन और लेपटाप में डाल दिया जाता है. और यह साफ्टवेयर बिना उस व्यक्ति की जानकारी के उसके फोन का सारा डाटा थर्ड पार्टी को भेजा जाता है. एनएसओ ग्रुप कंपनी का दावा है कि वो इस सॉफ्टवेयर को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है. इसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना है.
कैसे करता है काम
पेगासस जिस स्मार्टफोन में इंस्टाल किया जाता है उस स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो, मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की यह जानकारी हासिल कर लेता है. इस पेगासस साफ्टवेयर का मामला दूसरे देशों में चार से पांच साल पहले आ गया था. उस वक्त इस साफ्टवेयर के जरिए टारगेट व्यक्ति के मोबाइल पर एक लिंक भेजकर इस्तेमाल किया जाता था. जब व्यक्ति लिंक पर क्लिक करता था तो यह उसके फोन में इंस्टाल हो जाता था. लेकिन इसके बाद इस साफ्टवेयर को ओर स्ट्रांग बनाया गया. अब लिंक पर बिना क्लिक किए भी इसे टारगेट के फोन में इंस्टाल किया जा सकता है.
टारगेट को इसके इंस्टाल होने के बार में जरा भी भनक नहीं लगती. बताया जाता है कि व्हाट्सअप मैसेज के जरिए भी इसे फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है. इतना ही नहीं सिक्योर माने जाने वाले iphone में भी इसे इंस्टॉल किया जा सकता है.
वहीं अब हाल ही में न्यूर्याक टाइम अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है किभारत सरकार ने साल 2017 में दो अरब डॉलर के हथियार सौदे के तहत इजराइली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली खरीदी थी. पिछले साल भी केंद्र सरकार पर उस वक्त जमकर सवाल उठे थे. जब कथित तौर पर पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने की बात सामने आई थी.