छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 21 नामों की सूची जारी कर दी है। जिसमें पाटन से बीजेपी ने सीएम भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल को टिकट दिया है। यानी अगर सीएम पाटन से चुनाव लड़ते हैं तो चाचा और भतीजे के बीच फिर टक्टर देखने को मिलेगी। क्योंकि इसके पहले भी दोनों के बीच में टक्कर हो चुकी है। भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच पाटन सीट पर तीन बार चुनावी मुकाबला हुआ। इनमें दो बार भूपेश बघेल तो एक बार विजय बघेल ने बाजी मारी।
- बीजेपी ने की छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तैयारी
- चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले प्रत्याशियों के नाम
- बीजेपी ने 21 नामों की सूची की है जारी
- पाटन से बीजेपी ने विजय बघेल को मैदान में उतारा
- सीएम भूपेश बघेल के भतीजे हैं विजय बघेल
- सीएम बघेल पाटन से लड़ते हैं चुनाव
- फिर दिखाई देगी चाचा और भतीजे के बीच टक्टर
2008 के चुनाव में बघेल को मिली थी ‘विजय’
पहली बार दोनों 2003 के विधासभा चुनाव में आमने सामने थे। तब विजय बघेल एनसीपी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद बीजेपी में शामिल होकर विजय बघेल ने 2008 विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को फिर पाटन से चुनौती और जीत का परचम लहराया। लेकिन 2013 विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने हिसाब बराबर करते हुए विजय बघेल को पराजित कर दिया। अब एक बार फिर दोनों चाचा भतीजे आमने सामने हैं। बता दें 2008 में विजय बघेल पाटन से भूपेश बघेल को चुनाव में हरा चुके हैं। ऐसे में राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी की रणनीति भूपेश बघेल को उनके ही घर में घेरने की है। इससे बीजेपी को चुनाव में फायदा हो सकता है क्योंकि भूपेश बघेल सीट बचाने के चक्कर में अपने ही चुनाव क्षेत्र में व्यवस्त रह सकते हैं।
2018 में विजय बघेल को नहीं मिला मौका
बात करें 2018 के विधानसभा चुनाव की तो उस समय भूपेश बघेल ने बीजेपी के मोतीलाल साहू को 27 हजार से अधिक मतों से हराया था। विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि इस सीट पर कुल 1 लाख 90 हजार से अधिक मतदाता हैं। जिसमें 95 हजार 835 पुरुष तो 94 हजार 549 महिला मतदाताओं की संख्या हैं। 46 प्रतिशत ओबीसी मतदाता उम्मीदवारों की जीत और हार तय करते हैं। इस सीट पर साहू और कुर्मी मतदाता भी अपना खासा प्रभाव रखते हैं।
क्रेशर खदान बनी समस्या
पाटन विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में क्रेशर खदान हैं। ब्लास्टिंग के चलते मकानों में दरारें आ जाती हैं। शिकायतों के बावजूद खदानें बंद नहीं की गईं। क्रेशर खदानों के चलते भूजलस्तर भी नीचे चला गया। जिससे गर्मी के मौसम में पीने के पानी और सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र के अधिकांश युवा बेरोजगार हैं, उनके लिए रोजगार के साधन नहीं हैं। क्षेत्र में अवैध खनन के साथ अवैध लकड़ी कटाई करायी जाती है।