अब चुनाव भी होंगे डिजिटल , मोबाईल से होगी वोटिंग , इलेक्शन कमीशन कर्नाटक चुनाव में कर रहा नई टेक्नोलॉजी टेस्ट

अब चुनाव भी होंगे डिजिटल , मोबाईल से होगी वोटिंग , इलेक्शन कमीशन कर्नाटक चुनाव में कर रहा नई टेक्नोलॉजी टेस्ट

 

 

कर्नाटक विधानसभा चुनावों के आज वोट डाले जा रहे है. सेलिब्रेटी हो या आम जनता सभी अपने घरों से निकल रहे हैं और वोट डालने जा रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि यह तो नॉर्मल है, लेकिन रूकिए अब तो असली बात की शुरूआत होती है. आपको बता दें कि इस बार इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया कर्नाटक चुनावों में वोट डालने के लिए नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने जा रही है. जी हां तकनीक के इस दौर में इलेक्शन कमीशन भी अपग्रेड हो गया है. अब आप सिर्फ मोबाईल एप और सेल्फी की मदद से वोट डाल सकते है.चलिए आपको इस टेक्वनॉलिजी के बारे में बताते है ताकि आपको वोटिंग की लंबी लंबी लाइनों में फंसना न पड़े.

 

वोटिंग बनेगी आसान
इलेक्शन कमीशन ने कर्नाटक चुनावों के लिए इस बार नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है. इसमें फैशियल रिकग्निशन के जरिए आप वोट डाल पाएंगे. साफ शब्दों में कहे तो आपको वोट डालने के लिए वोटर आई़डी की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपको सिर्फ एक सेल्फी लेना है और इलेक्शन कमीशन के ऑफिशियल एप पर सबमिट करना है. जब एप पर आपकी सेल्फी स्कैन सफल हो जाएं तो आप डायरेक्ट वोट डाल सकते है. इलेक्शन कमीशन फिलहाल इसे बैंगलोर के एक पोलिंग पर स्मार्ट तरीके से वोट डलवाकर टेस्ट कर रहा है. इस टेक्वनोलॉजी के आने से वोटिंग बहुत आसान हो जाएगी और लोगों को लंबी लंबी लाइनों में भी नहीं लगना पड़ेगा. इलेक्शन कमीशन को उम्मीद है कि टेक्नोलॉजी की मदद से वोटिंग परसेंट बढ़ेगा और लोग वोटिंग में हिस्सा लेंगे.

 

फर्जी वोटिंग पर लगेगी लगाम
नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर इलेक्शन कमीशन का कहना है कि इससे फर्जी वोटिंग पर लगाम लगेगी. फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी के जरिए वोटर का फेस सिस्टम के डाटा से मैच की जाएगा. इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. इलेक्शन कमीशन एप के डाटाबेस में वोटिंग के इलाके का डाटाबेस भर देगा, जिससे एप व्यक्ति को रिक्गनाइज कर पाएगा. आगामी लोकसभा चुनावों को देंखते हुए यह टेक्वॉलिजी चुनाव प्रक्रियाओं को आसान करने मेंं मदद कर सकती है.

 

सुरक्षा पर उठे सवाल
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की तरफ से पहली बार किसी इलाके में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में इस पर सवाल उठना लाजिमी है. हालांकि इलेक्शन कमीशन का कहना है कि नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ पोलिंग बूथ के पास किया जा रहा है. ऐसे में फर्जी वोटिंग का सवाल ही नहीं उठता है.

 

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